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जागरूक ग्राहक के सामने दुकानदार की होशियारी पकड़ी जाती है।
जागरूक ग्राहक के सामने दुकानदार की होशियारी पकड़ी जाती है।
एक दुकान के सामने यह लिखा हुआ था कि यहाँ पर ताजा मच्रियां बेखी जाती हैं। कई लोग आपर मच्रियां खरीद रहे थे। एक ने एक मच्रि को हाथ में लेकर पहले उते अपने मूँ के पास फिर अपने कान के पास थोड़ी से रख कर बाद में उते चटाई पर पेश दिया। मच्रियां बेशनी वाले ने यह समासा दे उसका मज़ा कुछा। देखो भाई यहाँ पर सड़ी गली मच्रियां पेशी नहीं जाती। फिर भी अगर तुम्हें इसकी गंध देखनी थी तो लाग के पास ले जाकर देखो। मूँ और कान के पास तो नहीं रखा जाता। मैं मच्रि की गंध नहीं देख रहा था। मैं इससे बाते कर रहा था। ग्रहाद में जबाब दिया था। वहाँ पर जबाब हुए सभी ग्रहाद कुछ व्यक्ति की ओर विस्में के साथ देखने लगे। ओ ऐसी बात है। तब तो मच्रि ने तुम्हें कुछ कहा होगा। � ग्रहाद में जबाब दिया। उसके बाते सुन तब ग्रहाद हन्ट पड़े। दुकांदार का सर्थ लज्जाते जुख किया।