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बांझ

बांझ

SangeetaSangeeta

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00:00-03:35

एक स्त्री जब पूर्ण होती है ,जब उसके अंदर एक बीज प्रस्फुटित होता है,वरना बांझ,कुलक्षिणी,और पता नहीं किस किस नाम से पुकारी जाती है।

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Transcription

टेश एक कहानी बांच है। शादी के आठ सान भुली तो थे और अभी तक महेश और पहमा के अगर नहीं थे। बच्चे की किलकारी भी नहीं कुछे थे। देवा की शादी को अभी टेसी थार देते थे तो नन्य मेमान का आपमन भी हो गया थे। घर के कोने कोने में नन्य बच्चे के किलकारीया पूछ रही थी। सास ने पूरी काउंग में लडू बटवाए धूल बजवाए चठी भूजन का आयंजन भी होने बाला था जिसकी तैयारी पौपा जोरो दोस्ते। महिमा दौड़ दूर कर सारी काम लिप्टा रही थी और देवारी की सेवा भी कर थी। चठी के दिन सास ने महिमा से कहा सब महिमा कमरी से बाहर मत निकलना। शुबकारी में वैसे भी तुम्हारा कोई काम नहीं। काउंग की अर्टोने तो वैसे भी ताना मार मार कर हमारा � प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्र� प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्र� प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्रवाद प्र� महेश ने महीमा से वादा लिया था कि वड़ इस बास को किसी से न बताया महीमा ने इसकी बास मान भी ली थी क्योंकि उसके भी अध्वास था कि औरत से ज़्यादा मर्द की खिल्ली उड़ायी जाती है समाज में महेश ने किसी तरह महीमा के हाथ पैठ चोड़ कर मनाया आज तान तुम ढुप जा। कर्ल नया सवेरा होता हमारी बिदली महीमा रुप गई बोनों की आखों में नील कहा राज कमरे की चखने हाथ से निकल गई भोर में कब आख रख गई पता ही नहीं चला महेश की मा महीम आप कुछ नहीं करेगी हम दोनों अनाथालाई जा रहे हैं बच्चा गोध लेगी और हाँ मा एक बात और कहना है मा नहीं पन पाने का तारण महीमा नहीं है बलकी मैं हूँ महीमा तयार हो जाओ महेश की मा को अपने काना पर विध्वास नहीं हो रहा था पूरे घर में कोह

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Titleबांझ
AuthorSangeeta
CategoryPodcast
Duration03:35
FormatAUDIO/WAV
Bitrate1058.4 kbps
Size28.5MB
Uploaded30 Nov 2022

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