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beant 1 poem

beant 1 poem

Beant Paprala

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ससीकल जी की हाल चालन जी सरेंदे अमीद करता हैं सरे ठीक ठाके होंगे एज बड़ा ही सुना दिन चड़े आए ते मैं सोचिया की एक कवीता तोड़े सामने पेश करां कटाव राणी तत जो की हरमन दोरा लिखी गई है उदे भीच कवीता है कि कुडियां केस वांधियाने मैं अपनी वाद भीच पेश करां जा रहे हैं अमीद करता हैं सुनो पसंदा होगा गुरांदा दर्स वडे राई गुरांतो कादा पड़दाई कुडियां केस वांधियाने सूरज तुपा करदाई किनियां सोनियां कंगियाने वे लगदे रब तो मंगियाने इनांदा दाज भी कतना है अजे ता कोठा शतना है दुनियां दम्डे चबदी है पैसा कूल के पींदी है नि थोड़े काजर चोणे ने चोखी रखम लडींदी है ये फगण दे गल पत्यां दे हार हमिलां वर्गियाने चा आलियां बोलियां उम्रां दे विच विसरी खेलां वरगियाने ये दूडां भावरियां होयां कित्ह कुछ जाके बैना है संदूरी डबियांदा चाका हवाँच दर्दा रेना है ये कुडियां कानसां भूँज़दियां सुचे सहज़दा चश्माने इनानो जमयां मापयाने इनानो मारया रसमाने कि दिल विच हौल जया पहिनदा है बापू चुप चुप रहनदा है तुनी दे बाग च बसतेनो कुड़े की हो गया हसतेनो कि मैंदी चड़ जावे सूही जमीना गेन दर्दा है ये कुडियां केस वोंदियांने सूरज तुपां करदा है कि सूही पग दे चानननो चद खबां विच फेक दिया तमादे व्यावारे लिडे उतो पापा के विख दिया इनांदे वीरानी होया सिर्थे चीरानी होया ये जिरे तारे जग देने इनानु वीरे लग देने इनांदे पैर पंबेरीयाने ये कमी तंदी रुजियाने एक खुली गंड दे वर्गियाने फिर भी कातो गुझियाने इनानु खाता पचदाई ये सूले रब दे गोंदियाने ये जादे कखकंडियानु सिर्था ताज बनाओंदियाने जो शाकरता दिया लेराने इनांदे कार विच बडियाने इनाने वर्के पल्टेने हत विच कलमा फडियाने इनाने चुले ढोणेने इनाने करव सोणेने गुढियां आपता फडियाने इनाने पुत पड़ाओनेने दिलांदे दर्द पशान दिया तियांविन किठे सरदाई कि गुढियां केस वांदियाने सूरज तुपां करदाई

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Titlebeant 1 poem
AuthorBeant Paprala
CategoryPodcast
Duration03:09
FormatAUDIO/X-WAVPACK
Bitrate365.207 kbps
Size8.67MB
Uploaded7 Oct 2023

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