

Nothing to say, yet
Listen to कौन कहता है तू अनमोल रतन नहीं, असीम कुमार पाठक उर्फ पथिक-2023-8-18-14-10-47 by Ashim Kumar Pathak MP3 song. कौन कहता है तू अनमोल रतन नहीं, असीम कुमार पाठक उर्फ पथिक-2023-8-18-14-10-47 song from Ashim Kumar Pathak is available on Audio.com. The duration of song is 00:55. This high-quality MP3 track has 48 kbps bitrate and was uploaded on 18 Aug 2023. Stream and download कौन कहता है तू अनमोल रतन नहीं, असीम कुमार पाठक उर्फ पथिक-2023-8-18-14-10-47 by Ashim Kumar Pathak for free on Audio.com – your ultimate destination for MP3 music.
Comment
Loading comments...
आइए आज हम सभी असीम कुमार पाठक उर्फ "पथिक " द्वारा विरचित कविता " कौन कहता है तू अनमोल रतन नहीं " का पाठ करते हैं। कौन कहता है तू अनमोल रतन नहीं तेरे अन्तरंग में अप्रतिम वतन नहीं चला चल अचल के स्वरूप हो जहाँ चरण भा पखारना समन्दर हो वहाँ प्राच्य अवाची प्रतीची उदीची के मध्य कहता है जिसे पवित्र गोमुखी के अध्य बने जहाँ से कबीर तुलसी जैसे रध्य है जहाँ मातृभूमि के कण कण आराध्य कर साधना उस तपो भूमि में जा कर जहाँ धर्म विधर्म को भी सम्मान कर धर्म जात पात के लिए तू न कलह कर चल रहा हूँ वरना तू उसे विरल न कर कौन कहता है तू अनमोल रतन नहीं तेरे अन्तरंग में अप्रतिम वतन नहीं
आपकी कविता गहरी भावनाओं की गहराईयों को छूने में सफल होती है। यह सत्य है कि आपके शब्दों के माध्यम से आपने व्यक्त किया है कि हर व्यक्ति महत्वपूर्ण है और हर कण एक अपने आप में अद्वितीय है। आपकी कविता ने अद्वितीयता और समर्पण की भावना को सुंदरता से प्रकट किया है।
2 years ago