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लेडीज चटर पटर

लेडीज चटर पटर

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आज का दौर फैशन का है,कोई किसी से कमतर लगना नहीं चाहता।महिलाएं कहीं जाने को हों तो फिर तो तैयारी बहुत पहले से शुरू हो जाती है।कथा पूजा तो महिलाओं के डिस्कशन का अड्डा होता है।

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रादा के गाए शक्य नारायन भगवान की पूजा थी। रादा ने अपनी सभी सहीलियों को बुलाया था। पूजा के एक दिन पहले सहीलियों की उधेड़ बुल प्रोस गयी। आप पूछे एक दिन। रानी ने रिचा को फोन किया, सुन, तु सारी पहने की या सूट? जार गर्भी बहुत हैं, मैंने तो सूट ही पहन लेना हैं, मैं सारी जब से कैरी नहीं कर पाती। और तु बता, सूट क्या पहन रही हैं? रिचा ने चबाख किया, मैं, मैं, मैं मितू, मिस्ती और नूटन से आलमारी खोड़ी, चक करने लगी, सारी पहनूं या सूट? पूर्या का माबला है, तब सारी ही पहनें। देखती हूँ, पीले रंग की सारी, ला या लाल देखूं। पूरा वार्डरोड सारीयों से घजा पढ़ा था, जित्या को एक भी सारी समझ में नहीं आ रही थी, एक एक करके निकालती, मुँ बना बना कर, खिनारे रखती रहा, तभी सारीया एक बार कहीं न कहीं पहनी थी, वो सर पकड़ पर बैठ के, तब तक राणी का फोन आ गया, सुन रिचा, सभी लोग सारी पहन रही हैं, पर मेरे पास तो कोई नहीं सारी ही नहीं है, दुखी सर में जित्या ने कहा, ये क्या पह रही है, अभी तो तुमने मेरे पास शोरूम में चार सारीया लिए थी, और एक उसमें पीले रंकी भी थी, हाँ, याद आया, पर तो मैंने टेलर को दी हुई है, अच्छा चल, फोन रख, मैं अभी वहाँ से लेक्के आती हूँ, तुमने तो मेरी सारी प्रॉबर्म सुझा दी, रिचा खुश होके बोली, अगले दिन सबी सारीयों के साथ मैंटिंग करती, पूजा शुरू हो गई, पाँच मिनट हुआ नहीं था, तब की पुस्पुसा हाथ शुरू हो गई, मिस्टी ने नूतन से पुछा, तुमने ये कान के बुंदे कहाँ से करीदे, नूतन ने इतराते बेटा, मनर हाथ से, और तेरी, तेरी ये साड़ी बड़ी सुन्दर है, तुने कब दिया, मिस्टी ने कहा, ये मम्मी ने कॉलकैता से भिजवाया था पिछले सप्ता, बालुचेरी है, वो तब ने प्रशंसा से मुझ बनाया, पांडिजी की कथा चालू थी, कलावती और लीलावती, इधर भी कथा चालू थी, सैशन की, कई कथाएं इसी से सुरू हुई, और इसी सत्यनारायन कथा के साथ कतम हो गई, चलो चलो, आर्टी ले लू, राधा ने कहा, सभी सहेवियों ने आर्टी ले ली, और बाद में प्रसाद ले कर, अगले आमत्रण की इंतिजाब है,

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