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Listen to Wednesday at 4-04 pm (enhanced) audicity by Shashank Kumar MP3 song. Wednesday at 4-04 pm (enhanced) audicity song from Shashank Kumar is available on Audio.com. The duration of song is 06:30. This high-quality MP3 track has 757.681 kbps bitrate and was uploaded on 2 Nov 2023. Stream and download Wednesday at 4-04 pm (enhanced) audicity by Shashank Kumar for free on Audio.com – your ultimate destination for MP3 music.
यह कहानी है एक बारा साल के बच्चे अनुज की जो उत्तराखन के छोटे से गाउ में अपने माता पिता के साथ सहता था। वो अपने नाना नानी से मिलने जाता है और उसके माता पिता को अर्जिन काम होने के कारण वो उसे वहाँ छुड़कर वापस शहर चले जाते हैं। अनुज घर की ओर जाने की सोंच रहा था इतने में उसके पीछे वाली जारीयों में से कुछ हलचन होने लगी जिसने अनुज का ध्यान अपने ओर ठीचा और वह बहुत की दराउनी और मन को भैवीत करने वाली से लग रही थी और वो आवाज बरती चली गई तिर उसे जा जिसका कोई चेहरा नहीं था और अनुज उस चेहरों को देखनी की कोशिश कर रहा था परन्तु उसे उसका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था उसकी दराउनी नहीं उसकाण और दराउनी आवाज से अनुज के पैर वहापर चम से गए अनुज डर के मारे वहाँ से हिल नह होश में आया और घर के ओर भादने लगा कुछ देख तक अनुज को अपनी आपू पर और जो देखा उसने उस घटना पर उसे यकीन नहीं हो रहा था ये सबसूर सोचकर उसकी हालत खराव हो रही थी रास्ते में चलते हुए ये यही सोच रहा था कि जो उसने देखा वो नाना नानी उस घटना को सुनकर हराण हो गए और रोने लगे अनुज अपने नाना नानी को रोने अनुज अपने नाना नानी के रोने को समझ नहीं पा रहा था कुछ देव बाद अनुज के नानी ने अनुज को खाना खिलाया और उसके नाना दिनव कुछ बताये घर के बाहर चले गये उसके रोने और नाना के घटने बाहर जाने के बारे में अनुज को कुछ नहीं बता उसके जंगल में उसने औरण देखी थी यो एक छलावा है छलावा की आत्मा जो अपना रंग सरूप बदल कर शिकार करती है उस आत्मा ने गाउं के बहुत सारे लोगों को अपना शिकार बनाया है और इस बार उसने तुमें शिकार के रीप में चुना है वो आत्मा जिसे देती है वो इसी बहाने से उस व्यक्ति को जंगल की ओर बुलाती है फिर उस व्यक्ति के साथ क्या होता है किसी को मालूम नहीं होता है और आज तक किसी को मालूम भी नहीं हुआ जो भी व्यक्ति उस आत्मा के नजर में आया है वो बच नहीं पाया है और अनिज उसका अद क्योंकि मैं पाक के एक कांतरिक से लोबान लेकर आया हूँ जो आपको बुरे साइर से रखशा करेगा और मैंने आपके ममी पापा को भी कौन कर दिया है वो पल आ जाएंगे और तुम्हें यहाँ से ले जाएंगे यह कहकर अनुशके नाना ने वह लोबान कमरे के कोने में बैठकर रोनी लगा वह कमरे में बैठा हुआ सोच रहा था और उसे अपने नाना नानी के रियक्शन को देखकर कुछ समझ नहीं आ रहा था और जो उस आत्मा का हुआ हाजसा था वह उसके दिमाक से निकल ही नहीं पा रहा था उसके कानों में वह खौपनाक आवाज ही ग� वहार से आई अनुज़ बेटा अनुज़ बेटा अग तुम वहार आ सकते हूँ अनुज़ बेटा अग खट्रा तल गया है तुम वहार आ सकते हूँ अनुज़ बात को द्वान से सुनने के लिए दर्वाजी के पास चला जाता है फिर उसे नाना की बताई हुई बात याद वह उसी लोबान से आ रही थी अनुज़ बहुत धभ्रा चाता है और सिर्फ वही गेट के बाहर से आवाज आती है और वह इसी डर से वहाँ पर दिनोश होकर दिर चाता है अगले दिन अनुज़ की माता पिता उसे वहाँ से ले जाते हैं और अनुज़ के नाना नानी फिर चयम से रह पाते हैं उन्हें ऐसा लगता है कि वे अनुज़ को मौत के लिए से बचार लाएं हैं अनुज़ के साबध की घटना के लगबर एक साल बीच जाते हैं अब अन अभी तक पूरी तरह से ठीक नहीं है इसलिए अनुज़ के पिता गाओ जापर वह लोबान लाते ही जिसे उसके नाना अपने घर पर जलाया करते थे अनुज़ के पिता इसे अपने घर में प्रती जिन सुवा जलाते थे एक दिन अनुज़ की नानी का फोन आया और उसे ब हुआ था एक दिन इसी बहाने से अनुज़ जंगर की ओर चला गया और वही आत्मा ने उसे मार डाला