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Sanjay Arora

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नमस्कार दोस्तों, आज का पोड़कैस्ट कुछ थोड़ा पिछले अंकों से अलग है और थोड़ा इंटेंस भी इसमें उर्दू के घहरे शब्दों का इस्तेमाल करना इस पोड़कैस्ट की कहानी की जिरूरत थी दोस्तों भाषायां तक मसूस ना करें और ये उर्दू के शब्दों को समझना मैंने आपके लिए थोड़ा आसान किया है और सोरी लाइन को समझने को आपको दिक्कत नहीं होगी, ऐसा मिरा मानना है तो चले शुरू करते हैं, आज का पोड़कैस्ट, औरत ये दिलों के सोड़े भी अजीव होते हैं, जिनमें कोई नाप दोल नहीं होता, सिर्फ नफा ही नफा नुकसान होतो नजर ही नहीं आता, यही हाल कुछ अराध्या के साथ हुआ, अराध्या आजकल पाकिसान की कराची शहर में बसी हुई है, उसको सुहेर से महाबब नहीं एश्क था, सुहेर की सहरंगे सक्षियत के सामने उसकी सारी खुबियां सिफर हो जाती, और कुछ दिखाए ही ना देता, जबकि अराध्या एक मजबूद अराध्या वाली सची खरी दड़ साथ साथ वो एक खुश शकल और स्मार्ट देखने वाली लड़की थी, स्कूल से कॉलेज और फिर युनिवस्ती तक वो अपने खोबियों को मनवाती चली गई, और युनिवस्ती नहीं उसकी मुलाकाथ सुहेर से हुई, सुहेर एक हमागीर, खूब सूर्थ शक्सियत का तालीम ख़त्म होने के बाद दोनों ने अपने करियर की तरफ तवच्चो दी, और बहतरीन इदारों पे मुलाजमत और मुहारत हासिल की। कुछ ही अर्शे के बाद दोनों अपने अपने खादानों की रजमंदी से शादी के बंदन में बंद रहे। शादी के शुरू का अर्शा गुझर जाने के बाद नामालूम अराध्या को ऐसा मैसूस हो रहा था कि सुहेल की आदिते कुछ अजीब हैं। जिस तरह प्यास परसे पर्तें उतरती हैं, उसी तरह सुहेल की उपर से भी धीली देवी पर्तें उतर रही थी। ये तो वो जानती थी कि अन दोनों में एक कदर की मुझ्टरक नहीं। सुहेल एक हासा नफासत पसंद और जिंदिगी में तरकीद का कायल था। वो वह्मी हद तक का सफाही पसंद था। और जबकि अराध्या एक हद लावबाली और लापरवाह थी। वो चीज़ों को अपने उपर हावी ना करती पलकि जिंदिगी को आसान और आरामदाई बना कर ही जीना पसंद करती। शादी के बाद अराध्या ने अपनी आपको काफी हद तक सुहेल की मरजी के मताबिक अपनी आपको ढाल लिया था। घर अमेशा शिशे की तरह चमकता रहता। घर की हर चीज़ अपनी जगर पे तर्टीब से रहती और महफूस रहती। सुहेल की कोई भी ढाल के साथ मेल करती और सुहेल की हर बात को सा आँखों पर रखती और उसकी तौकीर भी करती। फद ये कि सुहेल ने उसकी नौकरी करने पर भी हलका सा इतराज किया। वो चाहता था कि आराध्या सारा वक्त घर को दे। और आराध्या ने दफटरी साथियों के मना करने और बॉस के समझाने के बावजूद इतनी अच्छी नौकरी को सिर्फ सुहेल की खोशी के खातिर खैर बात कह दिया। अजीजों और दोस्तों से दूरी अख्यार कर ली क्योंकि सुहेल को जादा लोगों से मिलना पसंद नहीं था। वक्त गुज़रने के साथ साथ आराध्या तनहाई का शिकार होती गई। उसने बार-बार उलाद की ख्वाईश का इजहार किया। मगर सुहेल को बच्चों से चिर थी, वो कहता कि बच्चे घर गंडा करते हैं और हम एक-दूसरे के लिए काफी हैं। आराध्या ने यी भी कर्वा घूट सुहेल की खातिर पी लिया। आराध्या और सुहेल अपनी जिन्दिगी की आदी-आदी बहारी देख चुके थे। ये उम्रू का वो हिस्सा होता है जब मिजाजों में गहरा ठैराव आ जाता है यहां फिर पुरानी आदितें और बुक्ता हो जाती हैं। आराध्या की तरबीर में तो सबर और ठैराव ने एक अपने बच्विन की दोस्त को खाने भी बुलाया था। जब आराध्या स्वीट डिश लेकर क्रॉइंग रूम की तरफ जा रही थी तो उसने दोनों दोस्तों के बीच तबी आवाजों में बात सुनी। पित्रती चत्जस्स के तहट उसने दवाजे से कान लगा द पित्रती चत्जस्स के तहट उसने दवाजे से कान लगा दवाजे से कान लगा दवाजे से कान लगा दवाजे से कान लगा दवाजे से कान लगा दवाजे से कान लगा दवाजे से कान लगा दवाजे से कान लगा दवाजे से कान लगा दवाजे से कान लगा दवाजे से क वो सोच रही थी ये वही महभूब शक्स है जिसके लिए उसने अपने खुशीओं और ख्वाशीओं को तद्ज कर दिया उसकी खुशी के खादे उलाद जैसी नम्स से मू मोडा अपनी आददों को तब्दील किया इतनी अच्छी नौकरी को खैर बात कहा अजीजों और दोस्तों को छोड़ा इतना बड़ा दुखा ऐसी बेवफाई उमर के इस हिस्से में किस बेरुखी से उसने उलाद के लि� और इंतिकाम की आग में वो जुलसने लगी जिसने फैसला किया कि सुहेल को इसकी सजा ज़रूर मिलनी चाहिए अगर उसके पास पिस्तॉल होता तो सारी गोलियां सुहेल की सीने में उतार देती तब भी उसकी इंतिकाम की आग धंदी ना होती कुछ दबू लड़की तो थी नहीं जो रोधो कर चुक बैठ चाती या तलाग लेकर उसके लिए मैदान साफ कर देती अब वो ऐसा चाती थी कि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना तूटे अगले दिन सुहेल बेदार हुआ तो अपने आपको ठका ठका और कमजोर महसूस कर रहा था कमपनी की मसलसल हिसारे में जाने और नई शादी की वज़े से वो शडीत जहनी दबाब का शिकार था आफिस में भी सही काम ना कर सका शांसिया को हर बात का उमक्त सर दवाब दिया और जल्दी घर चला आया और आध्या सोधा लेने बाहर गई थी बेद्रुम में दाखिल होते ही उसका पारा आस्मान को चुनी लगा बिस्तर के एक कोने में रखा गीला तॉलिया कोली की तरह उसके दिमाग को लगा ये मुश्कर उसने अपने आपको संभाला और तॉलिया को नजर अंदास करता हुआ बात्रुम में दाखिल हुआ तुद्पेस का खुला डकन डब में गिरा शैंपू और फर्ष पे फैले � होने पर रहती अगर आज वो वहाँ नहीं थी कुस्य और ब्लेट पैशर के जाती के सबब धुन्धलाई आँखों से सारी शेल्स में हाथ मारने के बाद एक जगह पर दवा मिल गई उसने जल्दी से दवा निकली और सूफे पे लेट गया वो पूरी तरह से पसीने पसीन पहले उसने कभी हाथ लगाया और ना अब बे धिहाने में तुमने ही कहीं उपर रख दी होगी सोहिल हैरान था कि उससे इतनी बड़ी गल्टी कैसे हो गई अराध्या काफी देव पास बेटी रही महब्बत से तसली देती रही और बार-बार कम्पिनी के हाँ सारे में बात करती रही अराध्या ने सोहिल को मश्वरा दिया कि वो एक हफ़्ती की चुट्टी लेकर घर पर आराम करे अगले दिन सोहिल धर पर आराम कर रहा था और अराध्या उसके लिए उसकी पसंदीदा किताप लाई और खाना भी बेड्रुम में ही दिया दुपहर में सोहिल किसी काम के लिए किचन में गया और शल्प में सामने ही बड़े-बड़े बैंगन रखे थे बैंगन से उसको चिर थी, आज सक उनके घर में कभी बैंगन नहीं आय थे उसके कानों और सर में संसना हाट होनी लगी किटन का दवादा जोर से बंद करके और गहरी-गहरी सांसे लेता हुआ बिस्तर पर आकर लेट गया पूछने पर बताया कि पड़ोस के फाम से दिग्गर सबजियों के साथ ये भी आ गए हैं मैं ऐसे आभी फैंक देती हूँ आगले दिन रात को सुहे जबी किचन में से पानी पीने उठा तो किचन के सिंक में गंदे टाप और गंदे बर्तलों से भरा सिंक देख कर उसे शहतीद बेहाली का एसास महसूस हुआ तो पानी पीने बेगैर ही आकर लेट गया उसके दिमाग में खून ठोकरे मार रहा था वैसे तो ये आम बाते थी मगर इस चैसे नफासत पसंद आदमी को जहनी मारीज बनाने के लिए काफी थी अगले दो दिन वो बेडरुम में ही आराम करता रहा रात को उसने शाजियों से बात की वो काफी परिशान थी उसको तसले दी जैसे ही तबियत ठीक होती है वो उसे मिलने आएगा शाम को वो कमरे से निकला तो उसने देखा कि उसकी पसंदीदा सफेट सोफे पर कैचब का एक बड़ा धबा पढ़ा है और उसकी संबली हुए तबियत फिर से बिकरने लगी हाथ पैर कांपने लगे उसकी शिदत से उसको जहनी आजियत हुई आराद्या ने जल्दी से कहा तुम सो रहे थे मेरी सहेली आई थी उससे कैचब गिर गया मैं अभी साफ करने ही वाली थी जहनी आजियत से उसका बल्ड प्रेशर बढ़ने लगा वो जानता था उसका बल्ड प्रेशर जल्दी जल्दी इतना बढ़ना उसके लिए ठीक नहीं है उसने आराद्या से बात करने का फैसला किया कहने लगा ऐसे पहले तो इतिफाक नहीं होते थे आप क्यों हो रहे हैं? आराद्या ने कहा पहले भी ऐसी चोटी चोटी बाते होती थी तुम ध्यान नहीं करते थे ये तुमारा जहनी वहहम है कंपनी की काम हसारी की वज़े से तुम जहनी मरीस होते जा रहे हो तुमको आवाजे देती रहती हूँ और तुम सुनते ही नहीं किन ख्यालों में गुम रहते हो? कल आफियस से दो दफ़ा फोन आया मैंने तुमको बताया मगर तुमें याद ही नहीं सुहेल हैराणी से सोचता रह गया कि उसकी क्या होता जा रहा है उसकी यादाज ऐसी तो नहीं थी वो चीज़े भूलने लगा है उसका अपने उपर से कंटरोल खोने लगा है उसके हाथ पर यूँ कामती रहते हैं आँखों के आगे अंधेरा आजाता है जल्दी से किसी अ पर से हाथ अटाना बूल गया घंटी की तेज आवाज उसके दिमाग को हटोड़े की तिरा लग रही थी गुस्य से उसके रगों में खुण होश माने लगा वो तेजी से उठा चक्रों की वज़ा से उसके आँखों के आगे अंधेरा आ गया था दवाज़े तक पहुंच से पहुंच से वो तेवरा कर गिरा और दुनिया माफिया से बेखाबर हो गया उसके नाक से खुण जारी था आद या सोझ रही थी काश सुहेल तुम जान सकते कि मैं तुमसे कितनी मोहबत करती हूं अगर मोहबत में दूखा भी तो नाकाबली बरदाश थेना ब्रेन हैमरिज तो तुमको होना ही था मैंने हालाद जो इससे पैदा कर दिये थे आद या सोझ रही थी काश सुहेल तुमसे कितनी मोहबत करती हूं आद या सोझ रही थेना ब्रेन हैमरिज तुमको होना ही था मैंने हालाद जो इससे पैदा कर दिये थेना ब्रेन हैमरिज तुमको होना ही था मैंने हालाद कर दिये थेना ब्रेन होना ही था मैंने हालाद कर

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