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हे पथिक! प्रवीर हैं तू आगे चला चल-2023-8-19-4-16-57

हे पथिक! प्रवीर हैं तू आगे चला चल-2023-8-19-4-16-57

Ashim Kumar PathakAshim Kumar Pathak

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आइए आज हम सभी असीम कुमार पाठक उर्फ "पथिक " द्वारा विरचित कविता " हे पथिक ! प्रवीर है तू आगे चला चल " का पाठ करते हैं। पत्थर के फूल हो चाहे कंटकमय पथ उत्प्रेरित कर हृदय के अचल मनोरथ को तू जीवन के उन उद्देश्यों को पूरा कर हे पथिक ! प्रवीर है तू आगे चला चल साहस के दौर में मंजिल भी पायेगा बढ़ा मनोरथ पथिक! तेरा दौर आयेगा यूं तो अकेले ही आया है असीम पथिक! लेके संसार का अप्रतिम स्नेह जायेगा जिस कठिनता की कसौटी पर चला पथि अविरल प्रवाह में भी पथिक छा जायेगा आज का स्नेह कल प्यार है पथिक तू विश्व वंदिता स्मृति के ख्याल है पथिक तू जीवन के उन उद्देश्यों को पूरा कर हे पथिक ! प्रवीर है तू आगे चला चल

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Titleहे पथिक! प्रवीर हैं तू आगे चला चल-2023-8-19-4-16-57
AuthorAshim Kumar Pathak
CategoryPodcast
Duration01:01
FormatAUDIO/MPEG
Bitrate48 kbps
Size367.06KB
Uploaded18 Aug 2023

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