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Pathik Biography

Pathik Biography

Ashim Kumar PathakAshim Kumar Pathak

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आईये आज हम सभी असीम कुमार पाठक उर्फ पतिक जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के विशय में अध्यायन करेंगे। आधुनिक काव्यधारा के कवियों ने लोखित के निमित बहुत कुछ लिखा भी है और सामाजिक कुन्था को दूर करने का सफर प्रयास किया है। ठीक उसी तरह नवोधय कवियों में असीम कुमार पाठक उर्फ पतिक ने भी अपने काव्य कौशल के माध्यम से समाज में बदलाव लाने का प्रयास भी किया है। इनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व में गत्यात्मक्ता, भावात्मक्ता, सत्य निष्ठा, अभी प्रेर्णा, आशा, प्रत्याशा, सत्पर्ता, राश्चिय एक्ता, बाल कल्यान, स्री शिक्षा, शिक्षकत्व, विनम्रता, पात्रता, आत्मरक्षा, आत्मसम्मान इत आगे बढ़ते रहने की सकारत्मक पूर्ण की कला है, इसे आप मार्गदर्शत के रूप में भी समझ सकते हैं. पथिक काविय की धूरी है, जो अपने अंतह करण में विद्यमान काविय ज्ञान तथा साहित्य ज्ञान से विश्व बंदुत्व की भावना को स्थापित करने का प्रयास करती है, जिन प्रकार दो पहियों पर चलने वाली रत की गती सकारत्मक पूर्ण एवं टीवर हो � तीय उद्देश उन अवगुणों को धीरे धीरे दूर करने का प्रयास शामिल है, पुना इसका कार्य मैत्री भावों को सर्वत्र स्थापित करना है, पथिक स्वयमें सभी मनुश्यों को अनमोल रत्म की द्रिश्टिकोंड से देखता है, यह पथिक अवश्य ही सभी मन� इन्होंने न केवल शिक्षाक्षेत्र में अपितु तक्नीकीक्षेत्र में भी उतने ही निपुण एवं सरल स्वभाव के व्यक्तितों का निधर्शन किया जा सकता है, उनका जन्म साथ फर्वरी 1995 में पश्चिम बंगाल के मिद्नापुर जिले में एक ब्रामण परिवार उनकी प्रारमदिक शिक्षा गाव में हुई तथा उच्च शिक्षा के लिए वारानसी गए काशी हिंदु विश्व विध्याले से सनातक की उपाधी 2016 में प्राप्त की, उसके बाद बी एक की उपाधी वर्ष 2018 में राश्चिय संस्कृत संस्थान से प्राप्त की, यह विश्व विध्याले से संस्कृत विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व विश्व वि� प्रवीर है तू आगे चला चल जन विचलित मन उन पुश्पों से दर लगता है भारतिय एक्ता का संदेश जान की प्यास उप्राम की कहरों में दर दर के चलते उत्तम शिक्षक और चनौतियां सपना वक्त है संभलने का अब भी वक्त था तुम संभले क्यों नहीं जीव है उन्हें फिक्र तो प्रेम कितना नादान था वह प्यारा सपना ही अपना है गजल एवं वशायरा है पुना संस्कृत कविता स्वपना भंजिता सर ही भंजेरन है असीम कुमार पाठक उर्फ पत्थिक ने अपना आत्म परिचाय देते हुए कहा है कि साहस के दौर में मंदल भी पाएगा बढ़ा मनोरत पत्थिक तेरा दौर आएगा यू तो अकेले ही आया है असीम पत्थिक लेके संसार का अपरतिम स्नेह जाएगा जिस कथिन्ता की कसोटी पर चला पत्थिक अविरल प्रवां में भी पत्थिक च्छा जा� तु आगे चला चल धन्यवाद

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TitlePathik Biography
AuthorAshim Kumar Pathak
CategoryPodcast
Duration05:23
FormatAUDIO/MPEG
Bitrate48 kbps
Size1.94MB
Uploaded21 Aug 2023

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