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सपने टूटे तो टूटे, असीम कुमार पाठक उर्फ पथिक-2023-8-18-13-42-39

सपने टूटे तो टूटे, असीम कुमार पाठक उर्फ पथिक-2023-8-18-13-42-39

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आइए आज हम सभी असीम कुमार पाठक उर्फ "पथिक " द्वारा विरचित कविता "सपने टूटे तो टूटे" का पाठ करते हैं। सपने टूटे तो टूटे अपने कभी न छूटे यदि करम हो फुटे तो भी धरम न छूटे सपने सब हो पूरे,जीवन न हो अधूरे प्रकृति से सब जुड़े प्रकृति से ही सुधरे जन जन में हो नाता, असीम यही है गाता प्रकृति से ज्ञान पाता, प्रकृति से ही बताता जीवन ही अपना है बाकी सब सपना है सपना ही अपना है अपना ही जीवन है ढृढ़ता से मञ्जिल पा , जीवन से न घबरा टूटे सपने जुड़ते है हर समय मुड़ते है

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