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MEANING OF 1ST SLOKA IN CHAP 1

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हम सबी नहीं भवट किता के बारे में सुना हुआ है भवट किता को क्यां हम एक पेतिहराशिक धरंत कहें या एक दासनिक पुस्तक कहें या भगवान के मुख से निकला हुआ ज्यान के बाते कहें इससे कोई फर्ग नहीं पड़ता है, फर्ग इससे पड़ता है कि हम से समझते क्या है, से सिखते क्या है, कुछ लोग इसको एक मनदारत कहानी को समझते हैं, जैसे मात्मा गांधी, वो इसको एक प्रतिक रुपर देखते थे कि ये कौरव जो है ये नेगटिव बेनद उनके बारे में बात करते थे, कहते थे कि कृष्ण जो हैं, वो सब देख रहे हैं, कृष्ण के मुख से जो सबता निकल रहे हैं, ये मनस्के गल्यान के लिए उदान के तरपे समझाय जाया है कि धर्म के अधर्म के लड़ाई में हर दर्म के जीत होती है, सत्य के जीत होती या एक कपोल कल्पित रचना है, उससे क्या फ़र्प पड़ता है? हमें तो जो इसका सार है, उसको लेना है. जगर कभी कहते हैं न, वो सार सार को गहर है, थुता देख उड़ा है. सार सार को गहर है, थुता देख उड़ा है. तो हमें जो सार है जिता का, उसको समझना चाहिए. उसके समझने के लिए एक निरपिक्षमस चाहिए. एक जिग्ञासनभाव चाहिए, जिस पकार के जिग्ञासनभाव से अर्जून पिशन से पूछा था. जो तितराशन ने पूछा था संजय से, वो जिग्ञासन नहीं थी, वो था कुटुहल, कुटुहले बस. ये इस वकार से पूछते हैं, कि भी बताओ कि वहाँ वो धर्मके तरपुरुत सितर में हुँ क्या रहा है. क्या कर रहे हैं वो लोग, क्या देख पारे हैं आप, बताओ में से. संजय के पार जो ये प्यार हो रहे हो था, कि बूर्छे देख सकते थे, सूच सकते थे. इस शक्त के बारे में सोच चाहते हैं, हम बाद में सरेंगे, लेकिन आपने ये बात कर रहे हैं, कि अर्जन के पूछने का जो धंग है, वो जिंक्यासु धंग है. और जो दुसराष्ट के पूछ रहा है, उसमें कुछ वाल से पाहूर से बच्चे पूछते हैं, कि बताओ क्या हो रहा है, आपको तो मालम होना चाहिए उनको, कि वो युद्धर के समय रहे हो रहे हैं, और युद्धर की जिंदर रखीता जा चुका है, और से हो चुका है, उनको जो पुत्र है, दुसराष्ट है, और बाकी जो पुत्र है, सो पुत्र होते, इससे कहा जाता है, तो इनका तो नाश होई जाएगा, और हो सकता है कि राज्जा ही चला जाएगा, कि वो दुसराष्ट है, तो तो पता पकरना, राज्जा को पकरना, इन जमेन चाह या बुद्धे से, जिवेक से, अंधे से, ये भी हो सकता है, किसी का अपना अक्षट, तो इससे कोई फरू भी परता है, कि वो दुसराष्ट को दिखाई परता था, अगर दिखाई परता था, ये तो जरूर है कि जिवेक के बिच्चे से उनको दिखाई नहीं परता था, ये भी हो सकता है, कि ये कुछ वो रोती, भी संधी हो जाए, जगड़े नहीं हो जाए, ये भी हो सकता है, कि ये मन में आये, कि पांदल जो हैं, ये कौनों सुना को दिखें, वहां ड़के भाग जाए, तो ये भी हो सकता है, कि मन में आया हो, कि कृष्णा जो इसमें माया संजे से पूछते हैं, धर्मक्षित्र और कृष्णा का नाम के बारे में चलसा बताने चाहूंगा आपको मैं, कि धर्मक्षित्र और कृष्णा, जो दो संधों का प्रयोर किया गया है, ये क्यों किया गया है, कि पिछे क्या राज है, कृष्णा को इसलिए प� कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया गया है, कि जो भी हरात हो जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया � कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया � कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया जाएगी, कृष्णा को इसलिए प्रयोर किया � तो नितराश्ठ का नाम से ये कसी करता है, तो मुझे जी आपका नाम देखी ये स्थिल, मतलब स्थिल बुद्धी के इंसान या कहें तो दुर्जोधन, नाम से ये नेगटिम रखता है, दुर्जोधन जैसे नाम से बना है, दुर्जोधन जैसे नाम से बना है, दुर् किसने सुनने नहीं बात गए, किसने सुनने नहीं कोशुक नहीं की, उसको जो सिख्षा जी गई, उसको जो मान पढ़ा हुआ, खुरूप, अहंकार पढ़ा हुआ, किसने विरोब नहीं किया, जब रभदे को भिर सावन लाते उसने उलग न करने के पाड़ेंश दिया उस करने को तप्पर उठा और किया, जाहें भवान कुछ नहीं रभदे को बचाया, वो दुसरी बात है, लेकिन इस तकार की करम करने की जो उसमें जो बुद्ध हैं आई, बुद्ध हमें, ये सभी शीजें बताती हैं, कि संसकार किस पकार से होते हैं, जैसे दितरा भाव था विवेक्षिन ज़िक्ति से, एक विवेक्षिन पिता के घर में बच्चे भी ऐसे ही होते हैं, काम करते हैं माता के तकर संसकार के बाते हैं, तो माता के तकर संसकार अच्छे होते हैं, तो बच्चे भी अच्छे बनते हैं, जैसे दितरा भाव था खोड़े ही विवेक्षिन हैं, काम करते हैं, तर काम नहीं कर रहा है, नित्रही नहीं, देखिए, जो नित्र की बात करते हैं, देखने की बात करते हैं, तो हम जो किसी को request करते हैं, वो करते हैं, आप देख लेना, यह काम होगा, आप देख लेना, मतलब क्या सच मुझे देखने के बाते करना हैं, हम करते हैं, आप निगा कर लेना, और दिहां देखना, देखने का मतलब दिहां देखना है, देखने का मतलब यह करते हैं, वि� देखने का मतलब देखने का मतलब देखने का मतलब देखने का मतलब देखने का मतलब देखने का मतलब देखने का मतलब देखने का मतलब देखने का मतलब देखने का मतलब देखने का मतलब देखने का मतलब देखने का मतलब देखने का मतलब देखने का मतलब देखने का म आपने देखा होगा जबि ये मुर्ट लोग नहीं होँगे तो रचनाएं अच्छी रचनाएं या प्रश्ण होगे तभी तो उत्तर आहमें नितराश्ण या से अवेर्थी लोग प्रश्ण पूछते हैं तभी तो वितारा उदर होता है और जो पूछता है जिज्ञासों को पूछता है तभी तर ज्ञाम का सुफ खुलता है जैसे बताया नहीं है कि ये विताराश्ण कुट्वरी ढंग से पूछता है ये अर्जुन जो पूछता है जिज्ञासों को ढंग से पूछता है दो लोग फर्क ही है जिज्ञासों का जो सबाल होता है वो गंगेर सराफ़ होता है तो उसका उत्तमी पार जैसे जिंदरी च जैसे जिज्ञासों होगा वो साइन्टिस्ट होगा वो जानना चाहेगा वो सूर्फ में जानना चाहेगा दियान कि कहां से कहां से जानता होगा जानना होगा जब तो कोई जानने लगा उसके मन में शालतनी होगी जिज्ञासों की बहुत प्यासा होता है उसके जो प्रस् गिता को जो हम समझने के कोशिश करेंगे आगर संखला में इसमें कुछ तत है कुछ लोजिक कुछ खत के बाते करेंगे जैसे पिखा जाया तो महता लंदने ने अपने हिसास को बताया तेलग ने बताया सप्रिस्टन ने बताया हजारों मनेश्यों ने गिता आत्मा अमर है अजर है चिन्ता मत करो ड़ो मत ये सुनाने के लिए गिता बात किया जाता है डर से बचाने के लिए लेकिन जिसको आप सुना रहे हैं जो मदने वाले वेक्सी है इसको तो सुन भी नहीं रहा है वो तो मुझे पर वैसे मुश्चित हो जुका है आप उसको दिलासा दे रहे हैं वो तो सुनने नहीं पा रहा है हो सकते है कि आप अपने को दिलासा दे रहे हैं कि अपना प्रेजन जा रहा है अपने को कह रहे हैं कि आत्मा अमर है चिन्ता मत करो ड़ो मत दखी मत हो अपने को दिलासा दे रहे हैं कि आपने को दिलासा दे रहे हैं कि आपने को कह रहे हैं कि आपने को दिलासा दे रहे हैं कि आपने को दिलासा दे रहे हैं कि आपने को दिलासा दे रहे हैं कि आपने को दिलासा दे रहे हैं कि आपने को दिलासा दे रहे हैं कि आपने को दिल

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