Home Page
cover of मायका
मायका

मायका

00:00-01:30

सबकुछ तो पुराना हो जाता हैं,स्त्रियां बेटी,से बहू और बहू से सास बन जाती हैं ,लेकिन उनके लिए मायका हमेशा नया ही लगता है,जहां आकर वो अपना बचपन जीने लगती हैं।

15
Plays
0
Downloads
0
Shares

Transcription

सुत्र सत्र लेखी का अम्रिता प्रितन जी ने माईके पर क्या खूँ सिखा है। लिष्टे पुराने होते हैं पर माईका पुराना नहीं होता। जब भी जाओ अलाय वलाय सल जाएं यही दूआ माँगी चाहती है। यहां वहां बच्पन के कत्रें मिखरे होते हैं। कहीं अ अल्बं की खाने का स्वाध बढ़ा देती है। अल्बं की तस्वीरे कहीं किसे याग दिला देती है। सामान कितना भी समेटू। सामाहन कितना भी समेटू। कुछ न कुछ छूट जाता है। सब ध्यान से रख लेना इदायत पिता की। कैसे कहूं सामान तो नहीं पर दिल आते वक्त मा आचल नेवों से भर देती है। खुश रहना कहकर अपनी आचल में भर लेती है। आज आती हूं मुस्पुराकर मैं भी। आज आती हूं मुस्पुराकर मैं भी कुछ न कुछ छोड़ते रखना। रिष्टे पुराने होती हैं। जाने क्यों माई का पुराना नहीं होता। उस देहरी को छोड़ना हर बार आसा नहीं होता।

Listen Next

Other Creators