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Nothing to say, yet
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Zither Harp ये साथ रुख जाए, बात थुम जाए तेरी पाहों पाहिश जगी है तैसे तैसे लबों पे, कुद को जला दू, तेरी आंखों आगोस में आज मेरे समा आजा, जाने क्या होना है कला जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा जरा घरीब से जो पल मिले नसीब से पीछा