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या सृष्टि सृष्टु राज्ञाः वहदि विधि हुतं याहवरिया जहोत्रि। ये द्वेकालं विधत्तः शुरुधि विशय गुणाः या अत्थिता व्याप्यविच्छुं। या माहु सर्वभीजः प्रग्रदिरिधि ये या प्राणिन प्राणवंतः प्रत्यक्षाभि प्रपन्नस्तनु भिरवतु वथ ताभिरश्टाभिरेशः।