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आइए आज हम असीम कुमार पाठक उर्फ पथिक जी के जीवन परिचय के विषय में अध्ययन करेंगे - आधुनिक काव्यधारा के कवियों ने लोकहित के निमित्त बहुत कुछ लिखा भी है और सामाजिक कुण्ठा को दूर करने का सफल प्रयास किया है ठीक उसी तरह नवोदय कवियों में असीम कुमार पाठक उर्फ पथिक ने भी अपने काव्य कौशल के माध्यम से समाज में बदलाव लाने का प्रयास भी किया है |इनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व में गत्यात्मकता,भावात्मकता , सत्यनिष्ठा, अभिप्रेरणा, आशा,प्रत्याशा, तत्परता , राष्ट्रीय एकता, बाल कल्याण, स्त्री शिक्षा, शिक्षकत्व, विनम्रता , पात्रता, आत्मरक्षा, आत्म सम्मान इत्यादि बहुत विषयों का समावेश प्राप्त होता हैं। इनके कविताओं में सार्थकता, विश्वसनीयता एवं वैधता का अप्रतिम संगम देखने को मिलता है। इनके व्यक्तित्व निर्माण में इनके पिताश्री एवं माताश्री का अप्रतिम योगदान रहा । इनके साथ साथ सभी गुरुजनों के स्नेह एवं वात्सल्य प्राप्त हुआ।। इन्होंने न केवल शिक्षा क्षेत्र में अपितु तकनीकी क्षेत्र में भी उतने ही निपुण एवं सरल स्वभाव के व्यक्तित्व का निदर्शन किया जा सकता है। उनका जन्म सात फरवरी उन्नीस सौ पंचानबे में पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था|उनके पिता का नाम श्री पीताम्बर पाठक तथा माता का नाम श्रीमती किरण देवी है | उनका मूल निवास स्थान बिहार राज्य के सीवान जिले में स्थित हरिपुर गाँव में है | उनकी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में हुई तथा उच्च शिक्षा के लिए वाराणसी गए | काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि दो हज़ार सोलह में प्राप्त की। उसके बाद बी.एड. की उपाधि वर्ष दो हज़ार अट्ठारह में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से प्राप्त की । यहाँ उनकी मुलाकात रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति चर प्रोफेसर रामानुज देवनाथन जी से हुई | उनके प्रेरणा स्रोत से काव्य लेखन की शुरुआत की तथा कवि सम्मेलन में भाग ग्रहण किए और कविता के नवीन शैली की प्रशंसा भी हुई| पुनश्च श्री लालबहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से वर्ष दो हज़ार बीस में शिक्षा शास्त्र विषय में एम.एड की उपाधि प्रोफेसर रजनी जोशी चौधरी जी के निर्देशन में प्राप्त की। वर्ष दो हज़ार बाईस में पटना विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में इन्होंने एम.ए की उपाधि प्राप्त की। वर्तमान में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, श्री रणवीर परिसर , जम्मू से शिक्षा शास्त्र में पीएचडी डॉ मदन कुमार झा जी के निर्देशन में कर रहे हैं। शिक्षा जगत में भी इनका योगदान अतुलनीय और अविस्मरणीय हैं । इनकी रचनाएं संस्कृत एवं हिन्दी भाषा में विरचित है । इनके प्रकाशित हिन्दी कविताओं में प्रमुख कविता कुछ इस प्रकार हैं- कौन कहता है तू अनमोल रतन नहीं ,बदलाव, सपने टूटे तो टूटे , हे पथिक! प्रवीर हैं तू आगे चला चल , जन, विचलित मन ,उन पुष्पों से डर लगता है ,भारतीय एकता का संदेश , ज्ञान की प्यास ,उपराम की कहरों में , डर डर के चलते , उत्तम शिक्षक और चुनौतियां , सपना , वक्त हैं संभलने का अब भी , वक्त था तुम संभले क्यूं नहीं ,जीवन की कसौटी में , पथिक बता तू मार्ग क्यूं भूला , मुझे प्यार करती है आप तो , नारी हूं धरती की शान जैसी ,काव्यमाला , हैं उन्हें फ़िक्र तो, प्रेम , कितना नादान था वह प्यारा , सपना ही अपना है ,ग़ज़ल , एवं मुशायरा हैं। पुनः संस्कृत कविता" स्वप्ना भञ्जितास्तर्हि भञ्जेरन् "हैं। असीम कुमार पाठक उर्फ पथिक ने अपना आत्म परिचय देते हुए कहा है कि - "साहस के दौर में मंजिल भी पायेगा बढा मनोरथ पथिक! तेरा दौर आयेगा यूं तो अकेले ही आया है असीम पथिक! लेके संसार का अप्रतिम स्नेह जायेगा जिस कठिनता की कसौटी पर चला पथि अविरल प्रवाह में भी पथिक छा जायेगा आज का स्नेह कल का प्यार है पथिक तू विश्व वंदिता स्मृति के ख्याल है पथिक तू जीवन के उन उद्देश्यों को पूरा कर हे पथिक ! प्रवीर है तू आगे चला चल" पुनः इनकी कविताओं के साथ प्रस्तुत होंगे। इजाज़त दीजिए जय हिन्द जय भारत आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद