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मैं उस देश की निवासी हूँ जहाँ छत्रपती सिवाजी नहराज और समराट असोक जैसा राजा था। मैं उस देश की नागरिक हूँ जहाँ हर पचात मिल पर दूप पहनावा मजहब बदल जाता था। मैं उस देश की नागरिक हूँ जहाँ डाल-डाल पर सूने की चिरियां को पाया जाता था। मैं उस देश की निवासी हूँ जिसे अपने भुगोल के पहले इस ब्रह्माण का भुगोल समझ आता था। धर्णिवाद।