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तो एसा ही भारी मिस्टेक हिस्टे में भी किसी से हुआ है। बात ये 1761 की जब थर्ड बैटल अफ़पानी पत खिला जाता है मराथा फोर्सेज वरसेज अफ़गान फोर्सेज के बीच में। अफ़गान फोर्सेज को तो लीड कर रहा था एहमस शाब डाली मराथा फोर्सेज को बाला जी बाजी राह उस समय के पेशवा थे वो उस फोर्स को लीड नहीं कर रहे थे क्यूं? जिकि वो उस समय अपनी दूसरी शादी में बिजी थे तो उन्होंने अपने बेटे विश्वास राह और सदाशिव राह को भेजा और इस बाटल में दोनों की हो जाती है डेथ और मराथाईस वार को हार जाते हैं लेकिन एहमस शाब डाली को भी काफी छटी पहुंचती है उसकी फोर्सेज को भी और जब इसको यह बात पता चलती है कि बालाजी बाजी राह अपनी दूसरी शादी फिनिश करने के बाद डेली की ओर बढ़ रहे हैं अफगानी फोर्सेज को हराने के लिए तो उन्होंने एक अपॉलजी लेटर लिखा बालाजी बाजी राह को कि आपके बेटे यानि सदा शिवराव भाव