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Everyone has a 2 AM.
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Everyone has a 2 AM.
बाई सुनो न, कुछ बताना यार तुमको। हाँ बाई, बोलो। मैं जिस कॉल ख़तम करके आता हूँ। ये है मेरा 2 AM फ्रेंट। हलो और वैल्कॉम के लिए सौरव गुस्वामी शोओ। ये एपिसोड बहुत स्पेशल है। क्योंकि ये एपिसोड है दोस्तों के वारे में। और ये वो दोस्त नहीं है जो आपके फेज़ बोक, इंस्टाग्राम या ट्विटर पे हैं। पर ये वो दोस्त है जो हमेशा अवेलबिल होते हैं। जब भी आप चाहें, इन्हें कॉल कर सकते हैं। और स्पेशली जब भी आप इन्हें रात को दो बज़े कॉल करते हैं, ये सिफ यही बोलते हैं, हाँ बोलो, क्या हो गया। ऐसे लोग इस दुनिया में बहुत स्पेशल हैं। आप लोग के पास भी ऐसे 2 am फ्रेंड जरूर होंगे। और अगर नहीं है, तो जरूर होना चाहिए। बिक़ज ये वो लोग हैं जिन पे आप कॉंट कर सकते हैं। आप लोग के पास भी अपने 2 am फ्रेंड जरूर होंगे। आप लोग के पास भी ऐसे 2 am फ्रेंड जरूर होंगे। और अगर नहीं है, तो जरूर होना चाहिए। बिक़ज ये वो लोग हैं जिन पे आप कॉंट कर सकते हैं। आप विश्वास कर सकते हैं। आप कभी भी इन्हें कॉल कर सकते हैं, बुला सकते हैं। और ये आपके सुख धुख में हमेशा आपके साथ होते हैं। अगर आपके कोई 2 am फ्रेंड नहीं है, चिंता के कोई बात नहीं है। अभी भी वाक्त है, बना सकते हैं। तो ये कहानी है उस 2 am फ्रेंड की। उसे जब भी आप कॉल करें, वो अवेलेबल होता है, वो बुलाएं, वो बात करना चाता है। और आपके सारी बाते सुनता है, आपको जज नहीं करता है। और आपको कभी सजेशन भी नहीं दिता है। ये एक special दोस्त होता है, जो सिर्फ सुनता है, क्यूंकि आप कुछ बोलना चाते हैं। कई बार, बहुत सारी चीजें अपने आप समझ में आने लगती हैं, अपने आप clear हो जाती हैं, या अपने आप आप शांत हो जाते हैं सिर्फ बोल के। हम जो humans होते हैं न, ये थोड़े unique beings हैं। हमें बोलना पसंद है। चाहे आप introvert हो या extrovert हो, बोलना सबको पसंद है। और वो ही एक medium है जिसके थूँ आप अपनी भावनाओं को बाहर निकालते हूँ। या अपने दिमाग के complications को solve करते हूँ। बिना बोले, बिना बात करे, ये बढ़ा मुश्किल है। ये कहानी उस 2 am फ्रेंट की है, जिसको मैंने एक बार call किया था। और मैंने इसको बोला, यार मैं बहुत confused हुँ life में। मुझे समझ नहीं आ रहा है मैं क्या करूँ। कुछ अच्छा नहीं हो रहा है। मैं जहां भी देखूँ, हर जगे परशानी है। कोई ना कोई difficulty है। मैं बहुत परशान हो चुका हूँ। सोच रहा हूँ, सब छोड़ चाड़ के हरिद्वार चले जाओ। या फिर सब छोड़ चाड़ के गोआ चले जाओ। कुछ तो ऐसा करूँ, कि मैं इससे निजाद पा सकूँ। मैं सिच्वेशन से बाहर निकलना चाता था। तो मैंने उससे कॉल किया और मैंने उससे कम से कम, दो से तीन घंटे तक सिफ यही रैंट दिया, यही कहानी सुनाए, कि यार कुछ सही नहीं चल रहा है। मजा नहीं आ रहा है। कुछ करने का मन ही नहीं कर रहा है। और यह तीन घंटे बाद जब उसने फाइनली बोलने का मौका मिला, तो उसने सिर्फ एक ही बात कही। उसने कहा, बस कर पगले, रुलाएगा क्या। और यह सुनके मुझे हसी आ गई। यह बोला, यार भै इतनी सीरियस बात कर रहा हूं, और आप बोल रहे हों कि मैं रुलाओंगा। मैं तो खुदी रो रहा हूं। मैं क्यों रुलाओंगा किसी को। और फिर मैं अगले 10-15 मिनिट तक फिर से लगा था। मैं एक गलास पानी पीने के लिए रुका। और तब उसने जो कहा ना, वो मुझे आज तब याद है। तब उसने मुझे से कहा, देख भाई, सोचते ही रहोगे तो करोगे कम। तुम सोच बहुत रहे हो। जो करना है ना, वो करो। सोचो मत। क्योंकि अगर सोचते ही रहोगे तो तुम अपने आप को रोकोगे, अपने आप को क्रिटिसाइस करोगे और अपने आप को आगे बढ़ने से खुद ही रोक लोगे। किया दिया कुछ नहीं, गलास फोड़ा हजार उपे का। यह वही बात हो गए, कि आप अपनी सोच में ही इतना फस्ते चले गए, कि भई जो अक्शुली में करना चाहिए था, वो आपने किया नहीं। और ये उसने इतने सरल शब्दों में कहा, सोचते ही रहोगे तो करोग और मैं अगले 30 मिनट के लिए फिर से शुरू हो गया, वो सुनता रहा और साड़े तीन पौने चार घंटे के बाद, फाइनली जब फोन की बैटरी ने कहा, बसकर पगले, रुलाएगा क्या, तब मुझे समझ आया, सुबह के 5 बच चुके हैं, मेरी वाट लग गई है, वो धूब आयी नहीं थी, चिड़िया भी सोके बस उठी थी और कुट्टे तो सोई रहते हैं हमाई सोसाइटी के नीचे, उनको कोई फ़रक नहीं पढ़ा, कोई चल रहा है, कोई कुछ कर रहा है, लेकिन वो जो मैंने वाक की ना, वो वाक में अचानक से दिमाग शांत हो गया, दिमाग खुल गया, और वो जितनी भी सारी चीजे थी, जो परिशानिया हो रही थी लाइफ में, या कोई कंफ्यूजन था, वो सारा ऐसा लगा कि गायब हो गया, वो एक वाक, पेडो के बीच से, खुली हावा में, शांत इन्वायमेंट में, जहांपे चिरिया बस सोके उठ रही है, उनकी अभी आवास चालूई हुई है, कोई गाडी का शोर नहीं, कोई एसी का शोर नहीं, कोई लोगों का शोर नहीं, बस शांत, और दिमाग अपने आप शांत होते चले गया, मुझे नींद नहीं आए, लेकिन मेरी नींद और खुल गई, मेरा दिमाग खुल गया, और वहाँ से, मेरी जर्नी के शुरुआत हुई, जहां मैंने डिसाइड किया, कि बस सोचते ही रहोगे, तो करोगे कब, और जब करने की बारी आती है, तो करो, सोचो मत, और जब भी इस बात का कंफ्यूशन होता है, कि क्या करें, तो मैं निकल जाता हूँ एक वाक पर, सुबह पांच ब� पगले, रुलाएगा क्या, लेकिन उसके बाद जो फीलिंग आती है न, वो बहुत अच्छी, और मैं ऐसे बहुत लोगों को जानता हूँ, जो छोटी-छोटी बात पर, छोटी-छोटी परिशानियों में, आके बहुत आसानी से बोल देते हैं, यार मैं आज डिपरेस्ट हूँ, मुझे न एंजाइटी हो रहा है, बहुत परिशानी में हूँ, मुझे समझ नहीं आ रहा है क्या करूँ, और ऐसे वो मुझे तीन घंटे तक सुनाते हैं, मैं भी तो किसी का टू-एम फ्रेंड हूँ न, और मैं � कोई चीज अगर आपके एसाब से नहीं हो रही हो अपने लाइफ में, सो बोल देते हैं, मैं डिपरेस्ट हूँ, कोई भी चीज अगर आपको नहीं मिले, जो आप चाह रहे हो, वो बोलते हैं, तो मैं डिपरेस्ट हूँ, डिपरेस्ट होना क्या फैशन है, भाई, डिपरेस्ट होना कोई फैशन नहीं है, अपने आपको कमजोर दिखाना अगर कोई फैशन है, बिल्कुल नहीं, गलत है, मेरे असाब से इंसान बना ही नहीं है डिपरेशन के लिए, इंसान हमेशाँ खुश रहने के लिए बना है, बस कभी-कभी, बहुत सारी रीजन्स के कारण वो क्लिनिकल डिपरेशन वाली कंडिशन में जरूर चले जाता है, मैं मांता हूँ उसको, लेकिन वो बहुत कम लोग होते हैं, जो लोग ये वर्ट को बहुत आसानी से यूज़ करते हैं, कि मैं डिपरेश्ट हूँ, प्लीज करना बंद करो, तुम डिपरेश्ट नहीं हो, तुम थोड़े से सैड हो, वॉक करो, सब ठीक हो जाएगा, अबने 2 am फ्रेंड से बात करो, सब ठीक हो जाएगा, और कुछ भी ना होना, तो स्ट्रेस मैनेज्मेंट की क्लास तो मती जॉइंच करना, क्योंकि स्ट्रेस को मैनेज नहीं करना चाहिए, उसे रिलीज करना चाहिए, और उसके लिए आपके बास बहुत चारे आपशन्स हैं, दो तीन मैने बता हैं, बाक ही आप ढूंड सकते हो, लेकिन जो सबसे अच्छा उप्शन है न, वो आपका 2 am फ्रेंड है, तो आज के लिए बहुत हो गया है इस पॉटकास्ट में, मैं जाता हूँ अपने कॉल पे वापिस, बिक्करस मेरा फ्रेंड वेट कर रहा है, आप मुझे फ़ालो कर सकते हैं, अपने इंस्टेग्राम मेरे लिए, आप मुझे एक डियम कर सकते हैं, और मैं आपके लिए आपके लिए आपके लिए आपके लिए आपके लिए आपके लिए आपके लिए आपके लिए आपके लिए आपके लिए आपके लिए आपके लि