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नमस्कार दोस्तों आज का पॉटकास्ट कुछ सोड़ा पिछले अंकों से अलग है और थोड़ा इंटेंस भी इसमें उर्दू के घहरे शब्दों का इस्तेमाल करना इस पॉटकास्ट की कहानी की जिरूरत थी दोस्तों भाषायां तक मसूस ना करें और ये उर्दू के शब्दों को समझना मैंने आपके लिए थोड़ा आसान किया है और सोरी लाइन को समझने को आपको दिक्कत नहीं होगी ऐसा मिरा मानना है तो चले शुरू करते हैं आज का पॉटकास्ट औरत ये दिलों के सौदे भी अजीब होते हैं जिनमें कोई नाव तोल नहीं होता सिर्फ नफा ही नफा नुकसान होतो नजर ही नहीं आता यही हाल कुछ अराधय के साथ हुआ अराधय आजकर पाकिसान की कराची शहर में बसी हुई है उसको सुहेर से महाबत नहीं एश्क था सुहेर की सहरंगे सक्षियत के सामने उसकी सारे खुबियां सिफर हो जाती और कुछ दिखाई ही ना देता जब की अराधया एक मजबूत अराधय वाली सची खरी लड़की थी जूट और दोके से सक्ष नाफ़रक थी उसे हर बात साफ और मुफ़ पर कर देनी की कायल थी बहतरीन खांदानी मंज़र रखने के साथ साथ वो एक खुश शकल और स्मार्ट दिखने वाली लड़की थी स्कूल से कॉलेज और फिर युनिवस्टी तक वो अपने खोबियों को मनवाती चली गई और युनिवस्टी में ही उसकी मुलाकाथ सुहेल से हुई सुहेल एक हमागीर, खुबसूरत शक्सियत का मालिक था खेल और मैदान बल्कि हर शोबे में महास आरालिया और सुहेल में काफी आदतों का आपस में मेल था यही वज़े उनको एक दूसरी की करीब लाने का सबग बनी और धीरे धीरे महावपड में जबनील हो गई तालीम खात्म होने के बाद दोनों ने अपने करियर की तरफ तवच्चो दी और बहतरीन इदारों पे मुलाजमत और मुहारत हासिल की कुछी अरसे के बाद दोनों अपने अपने खानदानों की राजमंदी से शादी के बंदन में बंद रहे शादी के शुरू का अरसा गुछर जाने के बाद नामानुम अराध्या को ऐसा महसूस हो रहा था कि सुहेल की आदिदे कुछ अजीब है जिस तरह प्यास पर से पर्टें उतरती हैं उसी तरह सुहेल की उपर से भी धीली धीली पर्टें उतर रही थी ये तो वो जानती थी कि अन दोनों में एक कदर की मुझ्टरक नहीं सुहेल एक हासा नफासत पसंद और जिंदिगी में तरकीद का कायल था वो वेहमी हद तरका सफाही पसंद था और जबकि आराध्या एक हद लाव वाली और लापरवाह थी वो चीज़ों को अपने उपर हावी ना करती पलकि जिंदिगी को आसान और आरांदाय बनाकर ही जीना पसंद करती शादी के बाद आराध्या ने अपनी आपको काफी हद तक सुहेल की मरजी के मताबिक अपनी आपको ढाल लिया था घर अमेशा शिशे की तरह चमकता रहता धर की हर जीज़ अपनी जगए पे तरदीब से रहती और महफूस रहती सुहेल की कोई भी दाल के साथ मेल करती और सुहेल की हर बात को अच्छा आँखों पर रखती और उसकी तौकीर भी करती हद यही कि सुहेल ने उसकी नौकरी करने पर भी हलका सा इतराज किया वो चाहता था कि आराध्या सारा वक्त घर को दे और आराध्या ने तफत्री साथियों की मना करने और बॉस की समझाने के बावजू इतनी अच्छी नौकरी को सिर्फ सुहेल की खोशी के खातर खैर बात के दिया अजीजों और दोस्तों से दूरी अख्यार कर ली क्योंकि सुहेल को जादा लोगों से मिलना पसंद नहीं था वक्त गुज़रने के साथ साथ आराध्या तनहाई का शिकार हो दिगई उसने बार बार उलार की ख्वाईश का इजहार किया मगर सुहेल को बच्चों से चिर थी वो कहता कि बच्चे घर गंडा करते हैं और हम एक दूसरे के लिए काफी हैं आराध्या ने ये भी करवा घूट सुहेल के खातर पी लिया आराध्या और सुहेल अपनी जिन्दिकी की आदी आदी बहारी देख चुके थे ये उम्रों का वो हिस्सा होता है जब मिजाजों में गहरा ठैराव आ जाता है ज्यां फिर पुरानी आदितें और बुक्ता हो जाती हैं आराध्या की तरबीर में तो सबर और ठैराव आ गया था बगर सुहेल की वह्मी तबियत में और इजाफा हो गया था वो जैनिवरी की एक सर्द राथ जो आराध्या की जिंदिगी में तारीकियां खोल गयी सुहेल ने एक अपने बच्विन की दोस्त को खाने बर बुलाया था जब आराध्या स्वीक डिश लेकर क्रॉइंग रुम की तरफ जा रही थी तो उसने दोनों दोस्तों की बीच तबी आवाजों में बात सुनी पितरती चज्जस्स के तहट उसने दरवाजे से कान लगा डिये सोहिल उसको बता रहा था कि उसने एक दफ़टर की लड़की शाजिया से शादी कर ली है और अब उसको ऐसास हो रहा है कि उसने आउलाद न पैदा करके कितनी बड़े गलती की है विहाजा मैं आप फैमिली बनाना चाहता हूँ अगर इतनी बड़ी बात में आराध्या को दुबारा मजबूर इरादे वारी आराध्या बन गई वो एक नए अजम से उठी और ड्रॉइंग रूम में दाखिल हुई और ऐसा जाहिर किया जैसे सब नॉर्मिल है वो रात उसकी जिंदिगी फैसला कुन रात थी दुख और सदमे ने उसके आसाब को तोड़ करक दिया था वो सोच रही थी ये वही महभूब शक्स है जिसके लिए उसने अपने खुशीओं और खुशीओं को तज़ कर दिया उसकी खुशी के खाते उलाद जैसी नमससे मुँ मोडा अपनी आदतों के दूसी शादी की जिसकी तमन्ना में वो तड़कती रही सुहेल के लिए उसकी सारी महबबट शदीत नफरत में तब्दील हो चुकी थी यू लग रहा था जैसे वो तबते रेगिस्तान में घड़ी हो बदला और इंतिकाम की आग में वो जुलसने लगी उसने फैसला किया कि सुहेल को इसकी सजा ज़रूर मिलनी चाहिए अगर उसके पास पिस्टॉल होता तो सारी गोलियां सुहेल की सीने में उधार देती तब भी उसकी इंतिकाम की आग धंदी नहोती वो दबू लड़की तो थी नहीं जो रोदो कर चुक बैठाती या तलाग लेकर उसके लिए मैदान साफ कर देती अब वो ऐसा चाहती थी कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न तूटे अगले दिन सुहेल बेदार हुआ तो अपने आपको ठका ठका और कमजोर महसूस कर रहा था कमपणी की मसलसल हिसारे न जाने और नई शादी की बज़े से वो शडीत जहनी दबाब का शिकार था आफिस में भी सही काम न कर सका शाजिया को हर बात का कमक्तसर जवाब दिया और जल्दी घर चला आया और आधिया सोधा लेने बाहर गई थी बेद्रूम में दाखिल होते ही उसका पारा आस्मान को चुने लगा बिस्तर के एक कोने में रखा गीला तॉलिया कोली की तरह उसकी दिमाग को लगा बे मुश्कर उसने अपने आप को संभाला और तॉलिया को नजर अंदास करता हुआ बात्रुम में दाखिल हुआ तुट पे इसका खुला ढक्कन, डब में गिरा शैंपू और फर्ष पे फैले पानी ने उसके बल्ड-प्रेशर को इंदहा पर पोचा दिया उसने अपने उपर कंटॉल करते हुए शैल्फ पे से बल्ड-प्रेशर की दवा की बोतल उठानी चाही अगर वो वहाँ नहीं थी वो बड़ा बातर दीप शक्स था सालों से वो बोतल शैल्फ के कोणे पर रहती अगर आज वो वहाँ नहीं थी कुस्य और बल्ड-प्रेशर के जाती के सबब धुन्दलाई आँखों से सारे शैल्फ में हाथ मारने के बाद एक जगा पर दवा मिल गई उसने जल्दी से दवा निकली और सोफी पे लेट गया वो बुरी तरह से पसीने पसीने हो रहा था इतने में आराध्या आ गई और उसके ये हालत देख के परिशान हो गई आराध्या ने बताया कि आसल में वो इतनी जल्दी में गई थी कि गलती से घीला तोलिया बिस्तर पर रह गया और दवा को तो ना पहले उसने कभी हाथ लगाया और ना आप बे धिहाने में तुमने ही कहीं उपर रखती होगी सोहिल हैरान था कि उससे इतनी बड़े गलती कैसे हो गई आराध्या काफी देल पास बेटी रही महब्बत से तसली देती रही और बार-बार कम्पिनी के हसारे में बात करती रही आराध्या ने सोहिल को मश्वरा दिया कि वो एक हफ़ती की चुट्टी लेकर घर पर आराम करे अगले दिन सोहिल घर पर आराम कर रहा था और आराध्या उसके लिए उसकी पसंदीदा किताब लाई और खाना भी बेड्रुम में ही दिया दुपहर में सोहिल किसी काम के लिए किचन में गया और शेल्फ में सामने ही बड़े-बड़े बैंगन रखे थे बैंगन से उसको चिर थी आज सकुन के घर में कभी बैंगन नहीं आय थे उसके कानों और सरमे संसना हट होने लगी किचन का दवादा जोर से बंद करके और गयहरी-गयहरी सांसे लेता हुआ बिस्तर पर आकर लेट गया कुछने पर बताया कि परोज के फार्म से विग्र सबजीओं के साथ ये भी आ गए हैं मैं इसे अभी फैंक देती हूँ अगले दिन राप को सुहिये जबी किचन में से पानी पीने उठा तो किचन के सिंक में गंदे टॉप और गंदे बरतलों से भरा सिंक देख कर उसे शहती देहाली का एसास मेंसुस हुआ तो पानी पीने बेग्गैर ही आकर लेट गया उसके दिमाग में खून ठोकरे मार रहा था वैसे तो ये आम बाते थी पर इस जैसे नफासत पसंद आदमी को सहनी मारीज बनाने के लिए काफी थी अगले दो दिन वो बेडरुम में ही आराम करता रहा रात को उसने शाजिया से बात की वो काफी परेशान थी उसको तसली दी जैसे ही तबियत ठीक होती है वो उसे मिलने आएगा शाम को वो कमरे से निकला तो उसने देखा कि उसके पसंदीदा सफेट सोफे पर कैचब का एक बड़ा धबा पड़ा है और उसकी संबली हुए तबियत फिर से बिगरने लगी हाथ पैर कांपने लगे उसकी शिद्धत से उसको जहनी आजियत हुई आरादया ने जल्दी से कहा तुम सो रहे थे मेरी सहेली आयी थी उससे कैचब गिर गया मैं अभी साफ करने ही वाली थी जहनी आजियत से उसका बलट प्रेशर बढ़ने लगा वो जानता था उसका बलट प्रेशर जल्दी जल्दी इतना बढ़ना उसके लिए ठीक नहीं है उसने आरादया से बात करने का फैसला किया कहने लगा ऐसे पहले तो इतिफाक नहीं होते थे आप क्यों हो रहे हैं आरादया ने कहा पहले भी ऐसी चोटी चोटी बाते होती थी तुम ध्यान नहीं करते थे ये तुमारा जहनी वहहम है कंपनी की काम हसारी की वज़े से तुम जहनी मरीज होते जा रहे हो तुमको आवाजे देती रहती हूँ और तुम सुनते ही नहीं किन ख्यालों में गुम रहते हो कल आफिस से दो दफ़ा फोन आया मैंने तुमको बताया मगर तुमें याद ही नहीं सुहिल हैरानी से सोचता रह गया कि उसकी क्या होता जा रहा है उसकी यादाश ऐसी तो नहीं थी वो चीज़े भूलने लगा है उसका अपनी उपर से कंटरोल खोने लगा है उसके हाथ पर यूँ कामती रहते हैं आँखों के आगे अंधेरा आजाता है जल्दी से किसी अच्छी डॉक्टर को मिलना होगा अगले दिन अराध्या किसी जुरूरी काम का कहकर बाहर गई थी सुहेल का सर दर्च से फटा जा रहा था पलर प्रेशर की गूलियां खाने के बावजूर भी तबियत समबलने को ही नहीं आ रही थी इतने में किसी ने दर्वाजे पर घंटी मारी और घंटी पर से हाथ आटाना बूल गया घंटी की पेज आवाज उसके दिमाग को हटोड़े की तरह लग रही थी गुस्य से उसके रगों में खुन होश माने लगा वो तेजी से उठा चक्रों की वज़ा से उसके आँखों के आगे अंधिरा आ गया था दर्वाजे तक पहुंच से पहुंच से वो तेवरा कर गिरा और दुनिया माफिया से बेखाबर हो गया उसके नाक से खुन जारी था आदी घंटी के बाद आराध्या घर में दाखिल हुई उसको इस सूरते हाल में देखकर घबरा कर एमुलिंस को फोन किया डॉक्टर के मुताबे सुहिल को ब्रेन हैमरिज हुआ था जिसकी वज़े से वो जानकी बाजी हार गया एमुलिंस में बैठी आराध्या सोच रही थी काश सुहिल तुम जान सकते कि मैं तुम से कितनी मोहापत करती हूँ अगर मोहापत में दूखा भी तो नाकाबली बरदाश थे न ब्रेन हैमरिज तो तुमको होना ही था मैंने हालात जो इससी पैदा कर दिये थे हाँ

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