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Rishi Nishad

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نمشکرہ دوستو میں ہوں رشیر اور سواغت کرتا ہوں میں اپنے چارہ ہندو گیان ہب میں آج ہم سائن کے کچھ انٹرسٹنگ ٹاپک میں تھے ایک ٹاپک جو ہے ایلین کا واضح تو کیا ایلین سچ میں ہیں؟ وہ کہاں رہتے ہیں؟ کیا وہ دھرتی پر آتے ہیں؟ ہم منیشے کبھی ایلین تک پہنچ پائیں گے؟ ایلینز کہاں رہتے ہیں؟ اور دھرتی پر کیسے آتے ہیں؟ اس کا جواب تو ابھی تک دور نہیں پایا جا سکتا ہے لیکن ہماری ہندو دھرم گھنٹوں میں پجوی سے باہر ایسے کئی ستھان کے بارے میں بتایا گیا ہے جہاں ایلینز رہتے ہیں یہ وہ ایلینز نہیں ہیں جن کے بارے میں آپ علموں اور کتابوں میں دیکھتے ہیں دراصل ایلینز کا ارث ہے دوسرے گرہیاں پے دوسری لوگ کے واسطے ہندو دھرم گھنٹوں کے مکیم انصار یہ ایلینز پرکلی کے اوپر اور پرکلی کے نیچے ستھانوں میں نیواز کرتے ہیں کون ہیں یہ ایلینز اور کون سے یہ ستھان ہیں اس کا نیواز جانیں گے آج کے اس ویڈیو میں آگے بڑھنے سے پہلے ویڈیو کو لائک اور چانل کو سبسکرائب ضرور کریں ویدو اور پرانو کے انصار آسان کے برمبان میں سے ایک ہمارے برمبان میں تین لوک اور چودہ بھون پائے جاتے ہیں تین لوک میں سے تین لوکوں میں سے اوپر چوتھے لوک ہے بیپونٹ لوک جہاں بھگوانی بیشنو بیواز کرتے ہیں یہاں لوک ہمارے برمبان سے باہر ہیں اور سمیت سے بڑے ہیں پتھری سے گیوپنٹ کی دھوری چار پر دس منی اور چودہ کھرب تین عرب پندرہ کروہ سات ہزار آٹھ سو چونوالیس کلیمیٹر ماننے لگا ہے موجود تین لوک کے سوانی سویم بھگوان شیوہیں اس میں شیوہ جی کو تین لوک ناک بھی کہا جاتا ہے یہ تین لوک کے بھولوک پوٹھ لوک اور آدھو لوک بھولوک یعنی پتھری جہاں پر منسیوں کا واقع ہے اس میں مٹی لوگ بھی کہتے ہیں کیونکہ یہاں جنگ لینے والا ہر ویکتی کو ایک نہیں ایک دن یہاں سے جانا ہوتا ہے اور یہاں رہنے والے لوگ پاپ اور پنی کے شکر بھی گلچیں ہو جاتے ہیں یہ لوک سمیت سے بندہ ہوا ہے اور کیے جانے والے کرموں کے انصار ہی ویکتیوں کے آگے کی گتی کا نمائن کیا جاتا ہے پتھری یا بھولوک کے اوپر اور پوٹھ لوک ہے جہاں چھے بھولوک صفیح ہیں اسی طرح پوٹھ لوک کے نیچے آدھو لوک ہیں جہاں ست بھولوک صفیح ہیں اسی طرح پوٹھ لوک بھولوک اور آدھو لوک کے سبی بھولوک کو ملا کر چودہ بھولوک بنتے ہیں پتھری کے اوپر بسے لوکوں میں کے سب سے پہلے بھول لوک جہاں ہیں جو پتھری کے سب سے نقطے ہیں یہاں دیدے آتماؤں اور رشی مرینوں کا عبادت ہے یہاں رہنے والے لوگ سورج لوگ میں رہتے ہیں رہنے والے دیوتاؤں کی سہاتا کرتے ہیں اور کبھی کبھی یہاں بھولوک یعنی پتھری پر بھی آنے جانے کی شمت رکھتے ہیں اس کی جیونکار مرشد ہوتا ہے جکے بعد ان کے کرموں کے انصار دیوتاؤں اور منوش یا اسے نیچے کا جنگ ملتا ہے بھولوک کے اوپر آتا ہے سورج لوک جہاں تیتیس کوٹی دیوی دیوتاں نیواز کرتے ہیں جیسے سوردیو، چندردیو، ورندیو، اگنیدیو اتیادی سبی دیوتاؤں کے راجہ انڈر ہے سورج لوک کے اوپر گندرو، دیوتت، افسرائیں اور انیدیوی شکیہ بھی رہتی ہیں سمدھر مندن کے دوران نکلنے والے چودہ رتنوں میں سے کئی رتنیں سورج لوک میں موجود ہیں ان میں کامدہیو گائے، انڈر کا وہاں، کراوٹ اور اونٹا انگے والا گھوڑا اوچھر، سوافک، مہر، لوہ یہاں وہ گیانی صادو اور رشی مہارشی دیواز کرتے ہیں جنہیں آپ تپ سے مٹھو پر دیجار پرابت کریں گے اور جن کے پاس انتگیان کا بھندار ہے یہاں رہنے والے رشی منی کو گھوڑ لوک اور سورج لوک میں آن جانی کی انوٹی ہے موڈن سائنس میں اسی کو تیلیپ کہا جاتا ہے جو آدھری گیان کے لیے ابھی تک ایک کلپنا ماد ہے یہاں رہنے والے کی عمر برامہ جی کے ایک دن کے مرابعہ ہے یعنی پتھلی کے سمیہ کے انوسان 432 کرون سال مہر لوک کے اوپر ستت ہے جن لوک اس کی دوری مہر لوک سے دو کرون یوجن ہے یہاں بیرار نام کی دیوتا گنوں کا سان ہے جن لوک کے اوپر بھون کا نام ہے تپ لوگ جو جن لوک سے آٹھ کرون یوجن دور ہے یہاں بشن کے اوٹار ہوئی جانے والے چار کماروں کا دیوار ہے جن کو سنکاردک مونی کہتا رہا ہے اس کے نام ہے سنک سناتن سنک اور سناتن اس کی میٹیو نہیں گوتی اور ان کی شریف پان سار کے بچے بھی رکھتا ہے اس کی پوویترتا اور دیدی گناوں کے کارن ان کو ہر لوک میں آنے جانے کی انمتی ہے سنکاردک مونیوں کے شعب کے کارن ہی گائی پونٹ کے دوار پالوں دو جائے اور وی جائے کو تین جنب کا تک اسو یونی میں جنب لینا پڑا تھا ستی اوگ میں جائے وی جائے میں ژرنگ کرشک اور ہنکش کے روپ میں جنب لیا पेता युग में रावण और कुंकरण के लूप में और द्वापर युग में शिष्वपाल और दंतल ब्रक्र के रूप में इनो ही जन्म में भगवान विश्मी के अवतार ने इनका उध्धार किया खैर आगे बढ़ते हैं जन्म लूप के उपर की यात्रा में आने वाले भवान का नाम है ब्रंब लोग यह तप लोग से बारा करोर योजन दूर है यहाँ स्वाया ब्रंब देव का निवास है जहां ब्रंब देव माता ससती के साथ रहते हैं यहाँ ऐसी पवित्रा आत्मा रहती है जिन्ने कड़ी तपत्या और जन्म जन्मांतर तक पुन्य कारे करके ब्रंब लोग में अपनी जगा बनाया है यहाँ तो पुरिद्वी लोग से उपर बसे ओज लोग के छै बुवन अब हमारी यात्रा शुरू होती है पुरिद्वी के नीचे स्थित है साथ बुवन ओज पर यहाँ साथो बुवन नर्क लोग का हिस्ता है पुरिद्वी के नीचे से पहला बुवन का नाम है अतल जो पुरिद्वी से 10,000 योजन नीचे स्थित है अतल का राज है अशुर बर्जो की दानों का पुत्र है जिसके प्रकार दानों का वास्तुकार भगवान विश्कर्मा है जिसके प्रकार अशुरों का वास्तुकार मा दन नाव है अतल के नीचे आता है वितल वितल इसलिए भी खाद है क्योंकि यहां स्वैं भगवान शिव का वास है या भगवान शिव अपनी अनी रूप खड का रिश्वर महादेव के रूप में मौजूद रहते हैं इसके साथ ही अन्य भूतगण और पार्सद भी यहां निवास कर वितल पे भी नीचे चलेंगे पर हम पहुंचते हैं तीश्री भून पर जिसका नाम है सुतर्व यहां राजा बली का निवास है यहां वही बली राजा बली है जीही एक समय स्वर्ग पर अपना अधिपत्य साफित कर लिया था तब भगवान विश्मू ने वामन अवतार लेकर बली के स्वर्ग का अधिपत्य वापस दिया और उन्हीं पाताल का दाईत्व सौप दिया वितल में वितल से भी 10,000 योजे नीचे सिद है अलव भून जिसका नाम है तलातल यहां में दानव का निवास है जो यहा और अपनी मानवी शक्तियों, मायावी शक्तियों से हर प्रकार की रजना कर सकता है इसलिए इसे अगिरो का वासुगाल भी कहते हैं आ जाता है पित्वी की नीचे का पाँच्वा भून जो तलातल के की 100 हज योजे नीचे सिद है उसका नाम है महा तत् यहां की भूमी पत्री ही है यहां अनीक सीर वाले नागु के समुदाए रहते हैं जिसको पोड़ वर्ष कहा जाता है यहां नाग कश्यप रिशी की पत्में कज्र पे उतर पन्न हुए थे इमें टकशक, काली, सूशेन, शुशेन और कहुः है टकशक सरव वासुकी का छोटा भाई और वस वही नाग है जिसे भगवान शिवने अपने गली में धारन किया है वासुकी सरव के राजा है इन्हीं सरव राजा दीत है तो कहा जाता है, महांत की नीचे इस्तित है, प्रसातर यहां पर नाम के गाईदव पा नाम का दज्व का निवात है, इन्हीं हिरण्या पूर्वासी भी कहा जाता है, पहले महांत देवराज इंद्र के अधिन हुआ करता था और यहां इंद्र लोग से भी सुन्दर था पर ब्रामभाद जी के आशिवार से पिर्दाइब दैत्या अधिक शक्ति साली हो जाया और इन्हें इंद्र से यहां जगा छीन लिए, सबसे अंत में आनी वाला भूवन है पाताल, यहां रसातर्क्ष से दश रजार में यो जन्दी के सिथ है, उनकी भूमी सोने के बनी हुई है, यह अत्यंत ही क्रोधी और बड़े-बड़े पनों वाले नाग का वास है, उनिक देवदत, धनेजर, सुंख, संखचूर, अक्षद और वास की इत्यादी नाग इन में से प्रमुक है, इन नागों में किसी के पास सौ से भी सौ तक किसी के पास अजार सील है, इसके सेरों के ऊपर मनी चमकती है, जो पाताल के अंदरकार को समाप्त करने के लिए पर नागों में वासुकी प्रमुक है, और यह सम्पुर्ण नागवंच के राजा भी है, अक्यत विशार और लंबा होनी के कारण वासुकी में देवताओं और असुरों के मीच होए समुद्रमंधन में रफी के रूपों में अपने एहम लोगदान दिया था, इन सभी लोगो के पूरी मनुष्य अली लोग तक नहीं पहुंच तकता, क्योंकि मनुष्य के पार सीमिक तक्तिया और इंदियों है, वेदों में बताया गया है, 64 आयाम यानी 64 डाइमेंशन में से मनुष्य की पहुंच केवल भौति जगत के चार आयामों तक ही है, सिमित है, इन में से तीन आयाम है लंबाई, चोडाई और गहराई, इसके अलावा समय यानी टाइम, चौता आयाम है, ब्रम्बलोग तक सभी स्थान हमारे ब्रम्ब ब्रम्भान में ही पाय जाते है के साथ ये तीन लोगों का भी अंठ हो जाता है, इसके बाद पुना नए ब्रम्भान का निर्मान होता है और यहां प्रक्वियान यांतर चलती रहती हैं आशा है आज की यहां वीडियो आपको पसंद आ रही होगी, कमेंड में अपनी विचार और जैश्री राम या जैश्री रादे ज़रूर के, वीडियो को लाइक करें, शेयर करें और साथ ही चैनल को सब्सक्राइब करें, फिर मिलते हैं अगले वीडियो में, जैश्री रा

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