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आपने बहुत सारे समय व्यर्च के कार्यों में नष्ट किया है। दूसरों का छिंद्रान वेशन कर, उनकी बुराईयों तथा कमजोरियों को बता कर, उनकी खराबियों तथा नुकसानों पर चुपचाप प्रसंद होकर, आपने अपनी व्यक्तिगत उन्नती को रोक दिया है। जो व्यक्ति दूसरों की कटू आलोचना या इरिशा में ही रथ रहता है, उन्हीं की दुष्टताओं के बुरे परणामों को देखता है, वह सोया हुआ है। उसे यह घ्यान नहीं कि उसका अपना कुछ भी हित साधन इन बातों से होने वाला नहीं है। मनुश्य की यह स्वाभाविक कमजोरी है कि वह अपने में बुद्धी तथा दूसरे के पास धन अधेक मानता है। अपनी बुद्धिमत्ता की तारीफ करते वह नहीं ठकता। उसे अपना प्रते कार्य उत्तम प्रतीद होता है। चोर, दुष्ट, कातिल, कम तॉलने वाला, काम से जी चुराने वाला, काला बजार करने वाला, जूत बोलकर अपना कारे निकालने वाला, अपने आपको बड़ा चालाक समझता है। उस अबोध को यह ग्यात नहीं कि चिराग तले अंधिरा रहता है। ऐसे विक्ति सोए हुए ही कहे जाएंगे जिनके जीवन में कुछ योजना नहीं, कोई विशेश लक्ष नहीं, वे यह नहीं जानते कि जीवन से वे आखिर क्या चाहते हैं, उनके भविश्य में क्या होने वाला है, आगे के लिए उन्नती की उन्होंने क्या-क्या योजना आगेती है, उसकी शिक्षा, सम्बन्ध या जीविका के लिए उसे कितनी तकलीफें मोल लेनी होंगी, वह एक परकार से सोया ही पड़ा है, आज आपकी नोकरी लगी है, ग्रहस्ती की गारी मज़े में चल रही है, कल नोकरी छूट जाए, तो कार्य कैसे चलेगा, क्या आपके पास कोई ऐसा साधन है, जिसके द्वारा यह कार्य चलता रहे, क्या आपने अपनी योगेताओं को इतना बढ़ा लिया है, कि यदि इस आपके बाल बच्चे सहैता को आगे न आएंगे, तब आप क्या करेंगे, किस प्रकार अपना व्यक्तिगत वियाय चलाएंगे, क्या आपने इस प्रश्न पर विचार किया है, यड़ी नहीं, तो कब करेंगे, रोज आपकी शक्ती का कुछ न कुछ हिस्सा कम होता जाता है आपकी प्रतेख पुत्तरी अथ्वा पुत्र राष्टर का भावी नागरिक है, क्या आपने कभी सोचा है कि उसे क्या बनाना चाहते हैं, आपकी पुत्तरी का क्या भविश्य है, उसकी शिक्षा, स्वास्थ, सुभाव का क्या हाल है, क्या वह आगे टिक सकेगा, कदाचित आप सोचते हैं कि बच्चों के लिए प्रचोर धन संगरह करके छोड़ जाएं, वे सुखी रहेंगे, यह नितांत भामती मूलत तख्य है, संसार में योगेता ही सबसे बड़ा धन है, जिसतनी उंची योगेता रहेगी, उतना ही रुपिया आपके बाल बच्च सामर्थे का धन उनके पास छोड़ने की योजना बनाईए, अपने स्वास्थ के समन्ध में क्या आप कभी विचार करते हैं, क्या आगे चलकर आपकी वर्तमान शक्तियां स्थिर रह सकेंगी, स्वास्थ और शक्ति के खजाने मेंसे कहीं आप गंदा जीवन व्य एक सुख, शान्ति, आनन्द प्रदान करती है, आपका प्रतेक अवयव उचित रीती से कारे करता है या नहीं, इस प्रकार के सैंकनों प्रश्न हैं जो आपको सोचने चाहिए, यदि आप सोय पड़े हैं तो कुछ नहीं है, यदि नीन से उठ जाएं तो ये प्रश्न ब� धार्मिक और स्वास्त सम्मंदि क्या इस्थिती है, इस इस्थिती को प्रकाशमय बनाईए, निरंतर आगे बढ़ते रहिए