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Imagine a poor boy from a small village who works in the fields for 16 hours a day just to have one meal. Now imagine that this boy becomes the owner of a car company worth billions. This is the story of Hyundai's founder, Chung Ju-Young. Despite facing many challenges and setbacks, Chung never gave up and worked hard to build his empire. He started with a small wooden business and eventually expanded into construction and car manufacturing. Hyundai became a global powerhouse, with its cars being successful not only in Korea but also internationally. Chung's determination and perseverance are the key factors behind Hyundai's success. एक चोटे से गाउं में एक गरीब लड़के की कल्पना कीजिये, वह रोजाना सत्रा घंटे तक खेतों में काम करता है, सिर्फ एक बारा भोजन के लिए. अब सोचिये कि यह लड़का भविश्य में लाख करोड के मूल्य की एक कार कंपनी के मालिक बन गया. यह है हिउंदई के संस्थापक चांग जू यूंग की कहानी. चुंग जू यूंग का जन्म 1915 में कोरिया के एक चोटे से गाउं में हुआ था. उन्हें विद्यालाय अध्यापक बनना था. लेकिन उनका परिवार इतना गरीब था कि उन्हें बहुत अधिक अध्यायन करने की संभावना नहीं थी. बच्पन में उन्हें अपने परिवार के साथ खेतों में काम करना पड़ता था. लेकिन इतनी मेहनत करने के बाद भी कभी कभी वे एक दूसरे को भोजन भी नहीं दे पाते थे. सही कपड़े और चिकित्सा सेवा के बारे में तो भूल ही जाईए. चंग को आसपास के शेहर में लकडी बेचने जाना पड़ता था. यहाँ उन्होंने देखा कि लोग खेतों में पूरे दिन काम किये बिना ही परियाप्त भोजन और कपड़े रखते थे. इसे देखकर उन्हें बहुत दुख और निराशा महसूस हुई. वह अपने लिए बेहतर जीवन चाहते थे. एक दिन उन्होंने अख़बार में पढ़ा कि एक निकटवर्ती शहर में एक बड़ी निर्माण साइट को श्रमिकों की आवश्यक्ता है. यह समाचार उन्हें कुछ करने के लिए प्रोजसाहित करता है. 1932 में, 16 वर्ष की उम्र में, चंग ने एक आश्चर्य जनक निर्णाय लिया. वह शहर के लिए भाग जाने वाला था. एक रात, चंग अपने दोस्त के साथ शहर की ओर चुपचाप निकल गए. उन्होंने लगभग 160 किमी तक चल कर कोवोन शहर पहुंचा और वहां निर्म जीवन लगभग इसी तरह चलता रहा, लेकिन उसके बाद कुछ महीने तक जब वह पकड़े गए. चंग के पिता ने उन्हें खोज लिया और उन्हें वापस आना पड़ा. उनका परिवार उन्हें वापस पाकर खुश था, लेकिन चंग नहीं थे. इन दो महीनों ने चंग में निर्मान और सिविल इंजिनियरिंग में एक उत्साह जलाया था. उन्हें पता था कि वह खेतों में काम करके कभी भी गरीबी को परास्त नहीं कर सकते थे. और इसी लिए उन्होंने और दो बार भागने का प्रयास किया. लेकिन हर बार उनके प राजधानी है. वहाँ जो कुछ काम मिला, वह करते गए. पहले निर्मान श्रमिक, फिर कारखाने में कामगार, और अंत में उन्हें बोक्यांग राइस स्टोर के डिलिवरी बॉय की नौकरी मिली. ग्राहकों और दुकान के मालिकों को उनके काम से इतना प्रभावित हुआ कि सिर्फ छे महीने में उन्होंने दुकान का प्रबंधक बन लिया. इसके बाद चंग ने दुकान को बढ़ाने के लिए बहुत मेहनत की. 1937 में दुकान के मालिक गंभीर रूप से बीमार पड़े और उन्होंने एक आश्चर जनक निर्ने लिया. चंग की मेहनत के शुक्र गुजारी उन्होंने उसे उसको सौंप दिया. 25 साल की उम्र में चंग ने नौकर से बिजनस चलाने वाले व्यक्ति बन गया था. अगले जापान ने कोरिया पर राज किया था. जापान को युद्ध के दोरान उनकी सेना के लिए परियाप्त चावल की आपूर्ती चाहिये थी और उन्होंने कोरिया में सभी चावल की दुकानों को जब्द कर लिया जिसमें चंग की चावल की दुकान भी शामिल थी. उसकी सारी मेहनत एक ही समय में तवाह हो गई. चांग बहुत दुखी थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. अगर मैं जितने भी काम कर रहा हूँ उसमें दिल से और समवेदन शीलता से जुट जाता हूँ तो मैं निश्चित रूप से सफल हो जाऊँगा. इस सोच के साथ उन्होंने उस व्यवसाय की तलाश की जो जापानी सरकार को नहीं कर सकती थी. जल्द ही उन्होंने कार रिप बाद ही आग लग गई और सब कुछ जल कर राक हो गया. चंग की स्थिती बहुत मुश्किल थी, उसे अपने कर्ज चुकाना था और उसके ग्राहकों को नुकसान का हरजाना देना था. एक सामान्य व्यक्ति इस तरह की स्थिती में आसानी से हार मान लेता, लेकिन चंग ने हमेशा की तरह समस्या का सामना सामने से किया. उसने 3500 वॉन का और एक बहतर गेराज बनाने के लिए और एक कर्ज लिया. चंग को यह मालूम हो गया कि ग्राहकों की सबसे बड़ी समस्या थी कि उनकी गाडियों को ठीक कराने में बहुत जादा समय लग जाता था. इसलिए उसने गती को अपना मुख्य ध्यान दिया. जहां उसके प्रतिसपर्धी किसी कारे को सुधारने में 20 दिन लगाते थे, वह उसे 5 दिन में कर देते थे. उसका गेराज इतना सफल था कि अगले 3 साल में, अर्थात 1943 तक, उसके कर्मचारी 80 तक बढ़ गए थे. जापान को द्वितिये विश्व युद्ध के लिए युद्ध से सम्बंधित उपकरण बनाने की आवश्यक्ता थी. इसलिए जापान ने उसके गेराज की स्वामित्वता ले ली और उसे स्थानिय इसपात कारखाने से मिला दिया. एक बार फिर उसका व्यवसाय उससे छीन लिया गया था. चंग फिर से गाउं अपने परिवार के साथ वापस जाना पड़ा, लेकिन इस बार उसके पास 50,000 वॉन बच गए थे और उसे यकीन था कि वह एक और व्यवसाय स्थापित कर लेगा. द्वितिय विश्वियुद्ध के समापन के साथ जापान का कोरिया पर शासन भी समाप्त हो गया. कोरिया के उतरी क्षेत्रों में सोवियत संग का प्रभाव था और दक्षिनी क्षेत्रों में अमेरिका का. दोनों ने द्वितिय विश्वियुद्ध में जापान के खिलाफ हियुन्दाई का मतलब होता है आधुनिक. कार रिपेर व्यापार चल रहा था और इसी दोरान चंग को ध्यान आया कि अमेरिका अपनी सैन्य बलों के लिए इमारतें बना रहा था. उन्होंने निर्माण व्यवसाय में एक बड़ा मौका देखा. उन्होंने निर्माण में बहुत अनुभव नहीं था. लेकिन उन्हें वही निर्माण की प्रेरिणा थी जो उन्हें पिछले में श्रमिक के रूप में काम करते समय से थी. इसलिए 1947 में 31 वर्ष की आयू में उन्होंने Hyundai Civil Works Company की स्थापना की और निर्माण व्यवसाय में प्रवेश किया. शुरु में उन्हें कई चोटे परियोजनाएं मिली लेकिन 1950 की दशक में उनकी कमपनी को मुख्य निर्माण परियोजनाएं मिलने लगी और अब यह उनका प्रमुख व्यवसाय बन गया था. सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन कहानी में एक और मोड आया. जून 1950 में उत्तर कोरिया ने दक्षन कोरिया पर हमला किया. उत्तरी कोरियाई सेना सोल सिटी के बहुत करीब थी. इसलिए चंग को सारी बचत सहित पुसान भागना पड़ा. लेकिन इतनी बड़ी संकट के बावजूद भी चंग ने हार नहीं मानी. उस समय संयुक्त राज कमी नहीं थी. उन्हें केवल विश्वसनिय और समय पर डिलिवरी चाहिए थी. और चंग ने उन्हें दे दिया. उन्होंने एक छोटी सी टीम के साथ शुरू किया और कैन डू का नारा अपनाया. अगर मूल्य सही हो तो वे किसी भी निर्मान परियोजना को लेते थे. एक युध चल रहा था और उन्हें कई समस्याओं और नुकसानों का सामना करना पड़ा. लेकिन एक बार जैसे ही उन्होंने अपना वादा दिया, उन्होंने किसी भी परियोजना को बीच में छोडा नहीं. इस विश्वासनियता के कारण उन्होंने अमेरिकी लोगों के साथ मजबूत संबंध विकसित किये. युध 1952 में समाप्थ हुआ, लेकिन चंग को अब भी अमेरिका से अनुबंध मिलते रहे. बाद में, देश को दोबारा बनाने के लिए दक्षन कोरियाई सरकार ने तेजी से पुल बांध और सडकों का निर्मान शुरू किया. ह्युंदाई ने इसमें बड़ी भूमी का निभाई और व्यापार में बहुत व्रद्धी हुई. दक्षन कोरिया का सबसे बड़ा बां चंग ने पहले ही हजारों किलो मीटर सडकें बना दी थी और अब उसकी नजर उन सडकों पर चलने वाली कारों को बनाने पर थी. 1967 में, चंग ने ह्युंदाई मोटर कमपनी की स्थापना की. 1966 में, उन्होंने फोर्ड के साथ एक समझवता किया था, जिसमें उन्हें कोटिना कारों को असेंबल करना था. यह संयुक्त उद्यम दो साल तक सफलता पूर्वक चला. इसके बाद दो कमपनियों के बीच विवाद शुरू होने लगे. फोर्ड चाहता था कि हिउंदाई अपनी खुद की कारें ना बनाए. और इसलिए, 1976 में चंग ने उस साझेधारी को समाप्त किया और तुरंथ नए साझेधारों की तलाश करनी शुरू की. उन्होंने General Motors और Volkswagen से उनकी विनिर्मान प्रद्योगिकी के लिए साझेधारी करने की कोशिश की. लेकिन सभी ने मना कर दिया. अंत में, उसी साल वे जापान की Mitsubishi Motors के साथ साझेधारी कर ली. Mitsubishi तयार था कि Hyundai को उनकी कार निर्मान प्रद्योगी की दे. सबसे अच्छी बात यह थी कि इस समझोते के अनुसार Hyundai अपनी खुद की कारें बेच सकती थी. इसी समय, दक्षन-कोरियाई सरकार ने आटो-मोबायल कंपनियों के लिए नागरिक कार बनाने के आधेश ज दक्षन-कोरिया की पहली मास उतपादित कार Hyundai Pony बनाई. इसकी सस्ताई के कारण यह कार दक्षन-कोरिया में इतनी सफल हुई कि यह दक्षन-कोरिया की सबसे बड़ी कार कंपनी बन गई. लेकिन एक बात थी दक्षन-कोरिया का कुल कार बाजार केवल 30,000 कारें थी. यह लाबकारी होने के लिए परयाप्त नहीं था. और यहां तक कि Hyundai Pony को दक्षनी-कोरिया में सफलता मिली थी. लेकिन विदेशों में 7 सालों से नुक्सान में थी. लोगों ने चंग को सुझाया कि वह तुरंट कंपनी बंद कर दें. लेकिन चंग का फैसला सब को हैरान किया. बंद करने की बजाएं उनकी योजना थी कि एक नई कार-कारखाना बनाया जाएं जो प्रति-वर्ष 300,000 कारें निर्मित करेगा. कंपनी के प्रबंधन इस फैसले को समझ नहीं सका. 30,000 कारों के बाजार में कौन 3,000-4,000 कारें खरीदेगा? लेकिन चंग को जवाब पता था. दक्षन-कोरियाई अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही थी और हर साल हजारों लोग आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे थे. यह मतलब था कि आने वाले वर्षों में कारों की मांग तेजी से बढ़ने वाली थी. साथ ही हिउंदाई की नई कारें विशेश रूप से विदेशों में निर्याद के लिए बनाई गई थी. यह कारखाना 1980 में बनाया गया और 1985 में हिउंदाई ने पोनी 2 को कई सुधारों के साथ लॉंच किया. यह कार न केवल दक्षिन कोरिया में एक बड़ी हिट थी बलकि यह अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैनेडा में सफलता पूर्वक निर्याद भी हुई. 400,000 कारों को बेच कर लापकारी हो गई. हिउंदाई अब वैश्विक स्थर पर एक उच्छित कार कंपनी के रूप में स्थापित हो गई थी. लेकिन दुनिया का सबसे कठिन और बड़ा कार बाजार संयुक्त राज्य अमेरिका अभी भी अनावश्यक था. अंतरराश्ट्रिय रूप में एक प्रमुक कार कंपनी बनने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में सफल होना महत्वपूर्ण था. जब हिउंदाई ने संयुक्त राज्य अमेरिका की बाजार की अध्यन की, तो उसने यह जान लिया कि जापान ने कॉंपैक्ट कार सेगमेंट को कभजा कर लिया था. और मध्य और बड़े साइस के अमेरिकी कार बाजार में पहले से ही कटाक्श की मुकाबला थी. इसलिए हिउंदाई ने उपकॉंपैक्ट कार बाजार को लक्षे बनाया, जहां प्रतिस्पर्धा निर्मूल थी. इसके अलावा हिउंदाई ने देखा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में एक बड़ा यूजट कार बाजार है. उन्होंने अपनी नई हिउंदाई एक सेल को दूसरे हैंड कार की कीमत पर पेश किया, वह भी पांच साल की वारंटी के साथ. इस रणनीती ने संयुक्त राज्य अमेरिका के कार बाजार को हिला दिया. दूसरे हैंड कार के खरीदार तुरंट हिउंदाई एक सेल पर शिफ्ट हो गए. 1986 में हिउंदाई ने संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 187,000 एक सेल बेची. 1977 में उन्होंने लगभग 260,000 कारें बेची. इन वर्षों में हिउंदाई एक सेल संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे ज्यादा आयातित कार बन गई. उस समय तक कोई भी अन्य कार कमपणी ने संयुक्त राज्य अमेरिका के वाजार में इस प्रकार की प्रारंभिक सफलता नहीं देखी थी और इसके साथ ही हिउंदाई को वैश्विक स्थर पर एक प्रमुख कार कमपणी के रूप में स्थापित किया गया था. उस वर्ष, 72 वर्ष की आयू में चंग ने हिउंदाई से सेवा निवरित्व होकर सम्मानन निये चेर्मैन बन गए. उसके बाद उसके भाईयों और पुत्रों ने कमपणी का प्रबंधन किया और उन्होंने उसी प्रकार की दिर्धता के साथ कमपणी का मुख्य ध्यापन किया. आज, हिउंदाई दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कार कमपणी है. सिर्फ 2022 में उन्होंने लगबख 40,000 हजार कारें बेची. भले ही वैश्विक रूप से हिउंदाई को उसके कार व्यवसाई के लिए जाना जाता है. लेकिन, बहुत कम लोगों को पता है कि हिउंदाई ग्रुप में 42 कमपणिया हैं. उदहरण के लिए, हिउंदाई एलिवेटर, हिउंदाई सूचना प्रध्योगिकी और हिउंदाई हैवी इंडॉस्ट्रीज, दुनिया की सबसे बड़ी जहाज निर्मान कमपणी और हिउंदाई के कारण, दक्षन कोरिया जापान को पीछे चोड़कर, दुनिया की सबसे बड़ी जहाज निर्मान देश बन गया है. दक्षन कोरिया के लिए, हिउंदाई एक साधारन कमपणी नहीं है, हिउंदाई एक संस्था है जिसने देश को पुनर निर्मान किया, हजारों नौक्रियां बनाई और दक्षन कोरिया को वैश्विक पहचान दिलाई. और ये सब कुछ उस गाँब के लड़के द्वारा शुरू हुआ था, जिसके पास खाने, शिक्षा, स्वास्थे जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं थी. लेकिन उसके पास बहुत उत्सा, द्रिष्टि और सबसे महत्वपूर्ण रूप से बेहतर की इच्छा थी.