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पती पत्नी का प्रेम सेवजी ने पूछा, रामलाल तुम अपनी बीवी से इतना डरते क्यों हूँ? मैं, मैं डरता नहीं हूँ सेवजी, उसकी कद्र करता हूँ. उसका समान करता हूँ, रामलाल ने जबातिया. सेवजी ने पूछा, रामलाल तुम अपनी बीवी से इतना डरते क्यों हूँ? मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मै मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, मैं, म सेट अच्रत से उसकी बाते सुन रहे थे, वो आगे बोले, रामनार आगे बोला, सेट जी, पत्मी अकेला रिष्टा नहीं है, वल्कि वो कुरा रिष्टों का भंडार है, जब वो हमारी सेवा करती है, हमारे देखबाल करती है, हमसे दुलार करती है, तो एक मा जैसी होती ह है, जब हमारा ख्याल रखती है, हमसे लाड करती है, हमारी गल्टियों पर हमें दाती है, हमारे लिए खरीदारी करती है, तब एक पेहन जैसी होती है, जब हमसे नई नई फर्माईश करती है, नख्रे करती है, रूटती है, अपनी बात मनवाने की जित करती है, तब देटी है, पड़वार चराने के लिए नसीहते देती है, जगड़े करती है, तब एक दोस्त जैसी होती है, जब वह सारे घर का लेन डेन खरीदारी घर चराने की जिन्मेदारी उठाती है, तो एक माल्किन जैसी होती है, और जब वही सारी दुनिया को यहां तक की अपने बच्च सेड़ सी की आखों में पानी आ गया, इसे कहते हैं पती पतनी का प्रेम, ना की जोरूपा कलाम, मैं बहुत घरत था, सेड़ सी ने रामराल चे कहा तो दोस्तों यही थी आज की कहानी, और मुझे पुरी उम्मीद है, आप सभी को पसंद आई होगी, बार बार में हम लोग पती पतनी के रिष्टों को मज़ाग बनाते हैं, और उससे बहुत साई चुटकले होते हैं, और वास्तिक्ता से अगर देखें, तो यह रिष्टा � बहुत धन्यवाद, फिर मिलेंगे एक नए कहानी के साथ, बार बार