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Happy Father's Day

Happy Father's Day

sapphirequeen3112sapphirequeen3112

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हेलो दोस्तो आपका स्वागत है साफायर कुईन चैनल पर आज फादर्स्टे है और फादर्स्टे की आप सबको बहुत-बहुत बढ़ाई पिता का हमारे जीवन में एक बहुत महतपूर्ण रूल होता है और आये सुनते हैं एक छोटी सी कहानी पिता जी के नाम सुमित अपने पापा से बोला पापा ये क्या है दादा जी ने सारे आफिस के सामने आपको डाटा और आप चिप चाप सुनते रहे मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा आप भी कमपनी में सारे कामकार देखते हैं क्या हुआ जो गलती से एक ओर्डर इधर सुलधर हो गया आफिस में सभी आपकी रिस्पेक्ट करते हैं ऐसे वे सब के सामने वो आपको डाट कर बेजजट कैसे कर सकते हैं? सुमित ने अपनी पिता से अपना गुशा जहर करते हुए कहा, मोहन जी वोले सुमित बेटा यहां आओ गैटो, सबसे पहले सुनो, यह गुशा त्याग दो क्योंकि यह गुशा केवल हमें नकार आत्मक करते हैं, मैं सिर्फ उनका बेटा हूँ और उन्हें सारी उम्र मुझे कुछ भी कहने का हक है, तुम अभी बहुत चोटे हो, तुम्हें अभी समझ में नहीं आएगा, बड़े होने पर खुद बखुद समझ जाओगे, माता पिता की यह डाट, यह समझाने का तरीका, उनका ज़िन्मेदार व्यक्ति, एक जिन्मेदार कर्मचारी होने के नाते, यह मेरा कंपणी के परती कर्तव्य बनता है, कि बात कंपणी की है, तो कंपणी मेरी समझाकर खत्म कर देते, हैं पिता जे, बेटा बड़े जब समझाते हैं न, या डाटे हैं न, वो उनकी चिंताओं का एक रूप होता है, जो उनकी अनभोगों से जुड़ा होता है, और वो अपनी डाट के द्वारा वो अपनी अनभोग अपने बच्चों तक बातते हैं, वो अपने बच्चों को कोई गलती नहीं करने देना चाहते, जिसके चलते बाद में उन्हें कोई परिशानी भुगतनी पड़े, मैं उनकी राट से खुश होकर कुछ न कुछ नया सीखता रहता हूं हर रोज, जानते हों, जब वहों मुझे डाटे है न, तब मेरी, मेरे बच्चपन से मुलगात हो जाती है, मोहन जी ने बेटे के कन्दे पर हास रखकर समझाते दे कहा, सुमित पापा की बातों को सुनकर थोड़ा शर्मिंदा हुआ, मोहन जी मुष्करा कर बाहर के ओर चलने को ही थे, कि वापर सुमित के बास आकर, एक बात, और बेटा, कोई तुम्हारे पिटा को कुछ कहें तो तुम्हें अच्छा नहीं लगता है न, जी पापा, जी, तो बेटा जी, कोई मेरे पिटा जी को कुछ कहें तो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता, कहें का सुमित के सिर्फ, पर हाथ थेड़ाते वे, उन्होंने प्यार से सहलाया, और एक प्यारी से मुष्करार देकर, उचित मार्दर्शन करते वे, कम्रे से बाहर निकल गए, वहीं दूसी ओर, दूसे कम्रे में बैठे, मोहन जी के बुजर्ग पिताजी की आँखें भी, खुशी से नम थी, कि उन्हीं भी अपने बेटे की दीवी परविष्व, और उनके द्वारा अपने बेटे को दी जा रही परविष्व, पर गर्म महसूस आप सभी को पित्र दिवस की बहुत, बहुत, बहुत आधिक शुक कामना है, धन्यवाद ये कहानी सुनने के लिए, फिर मिलेंगे एक नई कहानी के साथ, नमस्कार

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