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seewangi rawat

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मैं शुवांती ब्रामती हूँ और मैं पॉंट कॉप्री पार हूँ हूँ मुझे आपको पॉंट कॉप्री पार हूँ चलिए आज की सहारी स्टार्ट करते हूँ एक बार की बार एक चंगल में एक ख़रगूर्श रहता था उसको अपनी गटी पर काफी धवन था वो एक बार एक कच्छुई को देखता है और उसको कहता है कि तुम कितने भीरे चिलने वाले चीद हूँ कच्छुई में उसे दोरने की चुनावती की और फिर दोर्ड शुरू हो जाती है कच्छुआ भीरे भीरे दोरने लगता है घर्वोस बहुत तीजी सी दोरता है उस समय पार उसने लेखा कि कच्छुआ तो उसके आजपास भी नहीं दोर पा रहा है तो वो कहता है बेचारा कच्छुआ बहुत ही पीछे है मैं कुछ देर ही यहाँ पर सो जाता हूँ तभी यो कच्छुआ होता है वो लगातार दोरता रहता है और जो हमारा घर्वोस होता है वो सोता रहता है कुछ समय बार भी घर्वोस की नील खुळती है वो देखता है कि उसको अब बहुत देर हो चुकी है और इसी तरह यो कच्छुआ होता है वो दोर जीख जाता है और घर्वोस का गमन चूर चूर हो जाता है

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