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Bhagavatam 06-02

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Jayesh Das

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শ্রীমদ্ভাগবত স্কন্ধ ৬ অধ্যায় ২ বিষ্ণুদূত কর্তৃক অজামিল উদ্ধার Srimad Bhagavatam Canto 6 Chapter 2

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अमल पुरान् शर्मद भागबत शस्ठ शकन्ध दितिय उध्धाय विश्णुदूत को त्रिक अजामिल उध्धाय सिलो शुब्देव गुषमी बललेन एइ राजन निति शास्त्र उशल विश्णुदूते रा जमदूतदेर मुखे से कथा सुने तार उत्तरे बललेन आहा की कस्ट करमचारिदेर उत्त्र बचने हे परजादेर पालन कराउचित एबुं रखखा कराउचित तादेर करतब्ग शास्त्र इर निर्देश अनु निरी हो निर्दोष बक्ति के डनडित करे पखखपार परधशन करे ता हले परति पालन एबुं शुडखखर जननो परजारा क साधरन मनुशिर अबसथा ठिक एकटि अबध पशुर मतव जे तार पालन करता परफुर अपर समपूर्ण रूपे विश्षास कर� आके दन्ड दिते परेन अथव आखता करते परेन अजमिल तार समसत पाप तिके मुक्त होयि गाछेन परकृत पखे तनी केबुल एइ जिबनेर पापेर पाइस चित्तु ही करनी बिबस होयि नारायनेर दिब्ब नाम उचचरन करार फले तार कोटी कोटी जनमेर पापेर पाइस चित्त होयि गाछ सटरन अथव अनन्यन्य मुल्लबान बसतु अपहरन करि मद्द पई मितर दरही बरमह घाती गुरु पतनी गामी स्तरी हत्तकर महा पातकी रोयचे स्रि विष्णूर नाम उचचरनी तादे स्रिश्ठ पराइस चित्तु के बल भगवान स्रि विष्णूर दिब्बो नाम उचचरण मानुष जे फाबे निर्मल हय बैदिक ब्रोतो अथवा पराइस चित्तु करार फले सेइ फाबे निर्मल हया जायना जरिओ पराइस चित्तु करार फले पाप थेके मुक्त हमा जायन, इन्तु तार फले भगोबद भुख्तिर उण्मेश हय � करज कलप इर दिके धाबित हय, अतो इर जरा सकाम करमेर बन्धन थिके मुक्त हवा रभिलाशि, तादिर पुखे हर� अति उच्छ शरे भगवानेर नारायन नाम उचचरन करछेन, केबल से नाम उचचरने समसत पापमाय जिबनेर क� भगवानेर दिब्ब नाम किरतन करार फले ततखनात अशेश पाप थके मुक्त हवाजाय। शास्छ तत्त बिद महजनेर आ सइ कता शिकार परहेशन। उच्छ बिह थके पति तहे पथे जते जते पाप इचले पडे नरोग जनजन अभोक परते हय ना। महरशिडा विशस विचार करे गुरु पापेर गुरु एबुं लखु पापेर लखु पा रिदायर करमो बाशन समले उतपाटित करते पारे ना। किंतु केयं जदि भगवाने शिपाद पधदे शवा करेन ताहले ततखनाद करमो बाशन रूप समस्थ कलुष थके तइनी समपुर्ण रूप मुकत हन। ओगनी जमन चिनो राशी भश्षि भुत करे तयमनी गयतो शरे अथवा अगयतो शरे उत्तम शलक भगवानेर नाम किरत� ना जनले ओगनी अशुधेर शखती रुगीर गयनेर अपोर निरभर करे ना तयमनी भगवानेर दिब्ब नाम किरतनेर पर� जमदुददेर बन्धन थके मुक्ट करे छिलेन एबन् आशनन मित्तु थके परित्टान करे छिलेन हे ओडि निशुदन महराज परिखित एइ भाबे विशनु दुददेर परत्तुतत सुने जमदुदेर जमरजर काछे गिये ता� तार सर्षद्ध परनती निबेदन करे छिलेन तादेर दर्षन करे तार तखन परम आनम्द हे छिलो करन तारा ताके जमदु कथपकथन सटबन करे अजमिल बुछते परे छिलो जरा परकृति तिन गुणेर ओधिन धरमो की सइ तत्तो तिन बेडे बुरनित हेचे तनी जीब एबुंं भगवाने संपरक सममन्धे चिनमय गुणातित भगवधरम सममन्धे ओ� अजमिल बललेन हई अमर इन्जी र दाश हे आमि कतो इन अधकपतित हे छलम आमि आमार गाम हनचित गुण हरिए एकट आमा के धिक, आमार पिता माता बिद्ध छिलेन एबं तादेड दाखसना करार जनन कनो पुतरो बा बन्ध छिलो ना जहितु आमि तादेड रखना बिखखन परिनी ताइ तादेड ना ना दुख्ख कस्ट भूख परते होयचे हई, एक जन जगहण नीच आकरितग से खाने निक्षेप करा हबे, जहाने तादेड दुश्ष हो जनतर ना भूख करते हई, आमि की शपनो दिख्चिलाम, नता बस्तग छिल एबं पिथिबी रदह देशे नरके नियमान पाश बध्ध आमा के उद्धार करछिलेन, तादा कुता गयलेन, पापे इर समुद्र निमज्जी तो आमि, अबश्य ओतनत गरिनन एबं दूर भगा, किन्छु तार सत्ते ओ, आमार पुर्वकृत सुक्रिती र फ� पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सु पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सु पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्व पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्व पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्वकृत सुक्रिती र फफ, पुर्व अजामिल पुर्ण रूपे भगवाद भुक्तिते जुक्तो है चिलेन, एइ भाबे तिनी तार मन के इंजिय शुग्भोबेर विशाय थेके बिजुक्तो करे चिलेन, एबं भगवाणेर सच्चिदानन्द रूपेर ध्याने पुर्ण रूपे मग्नो है चिलेन, जखन तार बुद्धी एबं मन भगवाणेर स्री रूपे निबध्ध है शिलो, तखन ब्राम्होन अजामिल आबार तार सम्मुखे चार जन दिव्व पुरुष के देखते पेलें, तादेर तिनी पुर्वद्रिष्टो चार जन पुरुष बोले चिनते पेरे मस्तक अ� जा भगवत पार्शद्देर उपजुक्त शिलो, विष्णदुद्धेश संगे शर्ण निर्मित विमाने आरोहन करे अजामिल आकाश मरगे लोखिपति भगवाण श्री विष्णुर धामे गामन परे चिलें, अजामिल चिलें ब्राम्होन, किन्तो अशत संगेर फल तीनी एक टी बेशा के ओ एक जन रोखिता रुपे रेखे चिलें, तार फले जंदुद्धेरा ताके नरोखे निये जाच्छिलो, किन्तो नारायनेर नामाभाष उच्छारणेर प्रुभाबे तीनी तत्खणार जंपास तेके मुत्तो है चिलें, अतो ये जारा जार ज� नाम, जाश, रूप, लिला आधीर महिमा किर्तन करार पंथा अबलंबन करा, पुन्नो प्राइश्चित्तो, मनधर्मी गैन एपों अस्तांगो जोगी ध्यान आधीर अन्नार्ण पंथाई जथार तो लाब है ना, तारण ये समुस्त पंथा अनुशिलन करार परेओ, रजो एबुं तमगुनेर दारा कुलुशितो मुन के संग्जतो करते समुत्तो ना हवार पले, मानुष पुनुराय साकाम परमे लिक्तो है, जेहे तु एइ अत्तन्त गपणियो एतिहाशिक काहेनी समुस्त पाप दूर करार सक्ती रहेछे, ताइ केव जदी बिश्षास एबुं भुक्ति सहवकारे ता स्वभुन करें अथवा बर्णो ना करें, ता हले जर देहो समुन्नित हवा सत्ते ओ, एबुं महा पा� पर तिनी भगवध्यामे फिरे जान, जेखाने तिनी स्रुध्या सहवकारे समाद्रितो एबुं पुझितो हान। मृत्तूर समाय अजामिल तार पुत्र के सम्भोधन करे, भगवाने दिव्वो नाम उच्छारन करार फले भगवध्यामे फिरे गिये चिलेन। अतो

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