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Nothing to say, yet
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अकेलापन हम लोग अक्सर यह कहते हैं हम लोग अकेले हैं तनहा है क्या किसी ने कभी यह सोचा है अकेलापन होता क्या है क्या हम सिर्फ हो अकेलापन उससे ही कहते हैं जब हमारे पास कोई ना हो अकेलापन तो अंदर से अनुभव किया जाता है अकेलापन हमें हमें सा दुखी ही नहीं करता है जिस दिन हम यह समझ जाएंगे उस दिन सारे दहम जीने के सही माइने को समझ पाएंगे चलिए इस पाचित में हम अकेलेपन को समझने की कोशिश करते हैं अकेलापन जब भी हम अकेले होते हैं तो हम अकेला और दुखी महसूस करते हैं हम खुद से प्यार करते हैं जब हम दूसरों के साथ होते हैं इस कारण हम अपनी सुख और दुख दोनों ही दूसरों के नजरों से देखते हैं जिस जन से हम खुद को अपनी नजरों ना सिर्फ नजरों से सही नजरों सुंदर नजरों से देखेंगे उसे जन अकेलापन नस्ट हो जाएगा क्योंकि जो अकेले रह कर आनंदित होना जानते हैं वह भीर में भी अकेले होना जानते हैं क्योंकि आप सतंत्र हो जाएंगे दूसरों से उनसे की गई अपेक्छाओं से उनके अधिकारों से उनके आदेसों से उनके दोरा ये बता जाने की कि आप कैसे हैं इन सब से मुक्त हो जाएंगे जब तक आप पूर्ण रूप से अकेले में आनंदित नहीं हो जाते तब तक आप एक जुट में जी रहे हैं और जो लोग अकेले रह सकते हैं वो किसी भी गहराई को मापने में सक्षम हैं