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रिच डैड पुअर डैड के अंतर्दृष्टि

रिच डैड पुअर डैड के अंतर्दृष्टि

Chirag Shah

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Transcription

The transcription discusses the initial pages of a book that challenges traditional views on money. It contrasts the financial teachings of two fathers, one emphasizing security and the other entrepreneurship. The story explores how mindset influences financial decisions, highlighting the importance of financial literacy. The main lesson is that working for money is not the same as making money work for you. The narrative delves into the impact of fear and greed on life choices, advocating for using one's mind to create wealth. Through the example of a comic book business, it illustrates the concept of financial independence. The text emphasizes the need to identify and break free from limiting beliefs about money to achieve financial success. नमस्कार, आज हम एक ऐसी किताब के शुरुवाती पन्नों को समझने की कोशिश कर रहे हैं, जिसने लाखों लोगों की पैसे को लेकर सोच बदली है। रोबर्ट कियो साकी की रिच डैड पूर डैड आमीर लोग ऐसा क्या अलग जानते हैं और वो अपने बच्चों को पैसे के बारे में क्या सिखाते हैं जो शायद मतलब बाकी लोग नहीं सिखा पाते। बिल्कुल और कहानी शुरू होती है लेकर के अपने बच्चपान से बड़े दिल्चस तरीके से उनके पास एक नहीं दो पिता थे एक तरह से। हाँ एक उनके अपने पिता जो खूब पढ़े लिखे थे पीजटी थे जिने वो पूर डाइट कहते हैं वो सारी उम्र आर्थिक रूप से थोड़ा संघर्श करते रहें। और दूसरे उनके सबसे अच्छे दोस्त के पिता आठवी पास थे शायद पर वो हवाई के सबस तो आज हम इसी किताब के परिचे और पहले अध्याय से मुख्य विचारों और सबकों को समझने की कोशिश करेंगे। हाँ दिखते हैं कि उसाकी ने इन दो अलग-अलग प्रभावों से क्या सीखा। तो क्यों साकी बताते हैं कि कैसे बच्चमन में ही वो उल्जन में पड़ गय थे। सोचिए। एक पिता कह रहे है पैसे का मोही सारी बुराईयों की जड़ है। और दूसरे पिता ठीक उल्टा कह रहे है कि पैसे की कमी ही सारी बुराईयों की जड़ है। बड़ा कंफ्यूजिंग रहा होगा उनके लिए। बिल्कुल और ये सिर्फ एक उधारण है ऐसे कई विरोधा भास थे। जैसे पूर डैड अक्सर कहते हैं मैं ये नहीं खरिट सकता। हाँ जबकि रिच डैड ने इस वाक्के परी जैसे पाबंदी लगा दी थी वो कहते थे कि सवाल पूछो मैं इसे कैसे खरिट सकता हूँ। बिल्कुल एक सोच दरवाजे बंद करती है दूसरी खोलती है। और देखे पूर डैड सुरक्षित रास्ता नौकरी की सुरक्ष रास्ता नौकरी की सुरक्षित रास्ता नौकरी की सुरक्षित रास्ता नौकरी की सुरक्षित रास्ता नौकरी की सुरक्षित रास्ता नौकरी की सुरक्षित रास्ता नौकरी की सुरक्षित रास्ता नौकरी की सुरक्षित रास्ता नौकरी की सुरक्षित रास्ता नौक एक और बड़ा फर्क थाना उनके घरों के महुल में? हाँ, खाने की मेश वाला. पूर डैड के घर पर पैसी की बात करना जैसे मना था? बिल्कुल, जबकि रिच्च डैड के यहां पैसे और बिजनिस पर खुल कर रोज चर्चा होती थी, डिनर टेवल पर भी. तो यहीं से क्योसाकी का सीखना असल में शुरू हुआ? सही कहा, उन्होंने किसी एक की बात को आख बंद करके नहीं माना, नहीं खारिज किया. उन्होंने तुलना की, सोचा, और फिर अपने लिए चुना. यह दिखाता है कि हमारी मानसिक्ता, खास कर, पैसी को ले कर, हमारी धारणाएं कितनी असर डालती हैं? हाँ, वो कार्सिटी, बनाम, अबंडन्स वाली बात. विल्कुल, एक सोच हमें रोखती है, दूसरी अफसर दिखाती है. और हमारी जो पारंपरिक सिख्षा है, वो अकसर पैसे के इस साइकलोजिकल पहलू को, मतलब नजर अंदास कर देती है. तो इन अलग-अलग विचारों के बीच, कियो साकी ने अपना पहला सबक कैसे सीखा? अध्याय एक इसी बारे में है, शीर्शक है, सबक एक, अमीर पैसे के लिए काम नहीं करते हैं. हाँ, और ये उनके बच्चपन के एक अनुभाब से शुरू होता है, जब उन्होंने और उनके दोस्त माईक ने अमीर बनने का फैसला किया. और उनका पहला ऐडिया वो तो बड़ा मज़ेदार था. हाँ, हाँ, हाँ, सीसे के पुराने ट्यूब पिघला कर निकल के नकली पर अपने तरीके से. उन्होंने दोनों को अपने एक स्टोर में काम पर रखा, शनिवार को तीन घंटे. और पगार सिर्फ दस सेंट प्रती घंटा, बहुती कम. हाँ, और तीन हफ्ते बाद क्योसाकी का सब्र तूट गया, उन्हें लगा यह तो शोशन है और नकली छोड़ने वाले थे. जिनदगी के थपेड़े मतलब यह कि ज्यादातर लोग अपनी पूरी जिनदगी दो भावनाओं के बीच जूलते रहते हैं, डर और लालच. डर, बिल कैसे चुकाएंगे, नौकरी न चली जाए, और लालच, जब पैसा आता है, तो और अच्छी चीजों की इच्छा. और यह उन्हें एक अंतहीन चक्र में फ़सा देता है, उठो काम पर जाओ, विल चुकाओ. हाँ, फिर थोड़ा ज्यादा कमाओ, तो ज्यादा खर्च करो, फिर और कमाने के लिए और मेहनत, इसी को रिच्च डैड ने चूहा दौड या रैट रेस कहा. यह चूहा दौड है, खुद को बदलो, सीखो. और फिर उन्होंने एक और मतलब चौकाने वाला कदम उठाया, उन्होंने कहा आप तुम दोनों बिना पगार के काम करोगे. हाँ, सुनने में अजीव लगता है ना, लेकिन मकसद गहरा था. वो चाहते थे कि ये लड़के पैसे के लिए काम करने की सोच से बाहर निकले और पैसे से अपने लिए काम करवाने के अफसर ढूमना सीखें. मतलब दिमाग का इस्तमाल करें, डर और लालच को हावी न होने लें. बिलकुल, अपनी भावनाओं को समझें और दिमाग से काम लें, अफसर पहचानें. और इसी दौरान जब वो बिना पगार के काम कर रहे थे, उन्हें अपना पहला असली बिजनिस आईडिया आया. हाँ, वो कॉमिक्स वाला. स्टौर में जब पुरानी कॉमिक्स फेक दी जाती थी, उन्होंने उन्हें एकठठा करना शुरू किया, फिर अपने घर के बेस्मेंट में एक चोटी सी लाइबरेरी खोल दी. और आस पढ़ाउस के बच्चे वहाँ आते थे, दस सेंट देते थे और दो घंटे तक जितनी चाय कॉमिक्स पढ़ सकते थे. और कमाल की बात ये थी कि ये लाइबरेरी तब भी पैसे कमा रही थी जब कियो साकी और माइक वहाँ नहीं होते थे. और यही है वो पहला और शायद सबसे बुनियादी सबक इस किताप का, अमीर पैसे के लिए काम नहीं करते, वो डर या लालच में फसकर जिन्दगी भर उस चूहा दोड़ में नहीं भागते. वो अपने दिमाग का इस्तमाल करते हैं. हाँ, ऐसे सिस्टम या परी संपत्यां बनाते हैं, जो उनके लिए पैसा कमाएं. एक तरह से, वो पैसे को अपना करमचारी बना लेते हैं, ना कि खुद पैसे के गुलाम बनते हैं. और विद्धिय साक्षारता की कमी, Financial Literacy की कमी, अक्सर लोगों को ये रास्ता देखने ही नहीं देती. बिल्कुल. तो Rich Dad Poor Dad के शुरुवाती हिस्से से हमने देखा कि कैसे दो पिताओं की अलग सोच ने लेखक को दिशा दी. चूहा दोड़ का मतलब समझा, और वो पहला � एक विचार सोचने के लिए छोड़ा जा सकता है. अगर हम इमानदारी से, खुद से पूछें कि पैसे को लेकर हमारे अपने अंदर कौन सी भावनाएं, डर या इच्छा ज्यादा चलती हैं, तो क्या हम उन पैटर्स को पहचान सकते हैं, जो हमें शायद असल विद्धिय

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