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The transcription discusses three new laws introduced by the government and their impact on the criminal justice system. The new CRPC and Bharatiya Nyay Sanhita have made significant changes to the legal system. Mob lynching and hate crimes now have distinct punishments. The definitions of organized crime and economic crimes have been modified. Community service has been included as a punishment for minor offenses. Zero FIR now has statutory backing and preliminary inquiries must be conducted by the police. The panel recommended gender-neutral provisions for adultery and there is uncertainty regarding section 377 of the IPC. The new laws also address online case hearings, absconding criminals, and victim-centric justice. Hi everybody and welcome back to your very own article 2.0 right to review. A place where what we intend to do is to empower you through legal literacy. उम ने बात की थी उन तीन नए लौज की जो recently government ने introduce किये हैं. वो क्या हैं, उनके pros and cons क्या हैं, और वो हमारे country के लिए कितने अच्छे और कितने बुड़े साबित हो सकेंगे. लेकिन कुछ भी हो, इन तीनों लौज ने हमारे criminal justice system को significantly change किया हैं. हम उन changes के बारे में बात करेंगे, वो क्या है, जो बदला है, और फिर आप decide करेंगे कि वो अच्छा है या बुरा. So let's get started. तो इन नए bills को 11th August 2023 को Parliament पे introduce किया गया था. और उनको Standing Committee on Home Affairs के review के लिए फेटा गया था. उसके बाद इनको modify किया गया according to the Standing Committee recommendations और 12th December 2023 को फिर से introduce किया गया. Finally, इन ये Parliament ने pass किया और 25th December 2023 को Presidential Assent मिला. So what has changed? The new CRPC i.e. the Bharatiya Nyagrik Suraksha Sanhita now boasts a whopping 531 sections compared to its previous 484 sections. The Bharatiya Nyay Sanhita, the sections have been reduced from 511 to 358. काफी additions और काफी deletions हुए हैं. लेकिन इन deletions और additions ने हमारे legal system का बोच कम किया है या और जादा बढ़ा दिया है, ये अभी देखना बाकी है. तो क्या change हुआ? Mob lynching and hate crimes are now distinct offences with punishments ranging from life imprisonment to death penalty. अब हम देखते हैं कि नियाय सनहिता में क्या changes हैं? पहला change है organized crime और economic crimes की definitions में. Standing committee की suggestions के अनुसार इन definitions को modify किया गया है. Direct mention of money laundering को हटा दिया गया है. It seems they are trying to avoid stepping on the toes of another law called the Prevention of Money Laundering Act 2002. अब आते हैं organized crime पर. तो पहले हम बात करते हैं organized crime syndicate के वारे में. पहले इसको define करते थे as a group of three or more people. But now it's only two people. Petty organized crime. पहले यह term इतना fuzzy था कि पता ही नहीं चलता था कि क्या क्या आता है इसमें. अब इस term का मतलब है चोरी, loot, cheating, ticket की unauthorized selling, etc. Basically, a little more clearer. दूसरा बड़ा change है community service को punishment के रूप में शामिल करना. अब छोटे offenses के लिए court community service का punishment दे सकता है. The government thinking of using it for things like defamation, petty theft, stuff worth less than five grand and even public intoxication. Now the idea behind this is instead of just slapping fines or jail time on people for minor stuff they are saying that why don't they give back to the community. अब हम देखते हैं कि नादरिक सुरक्षा संहिता में क्या changes है? सबसे बड़ा change है zero FIR. Zero FIR को अब statutory backing दी गई है. तो zero FIR क्या है? Zero FIR का मतलब होता है कि किसी भी offense के against अब FIR किसी भी police station में दी जा सकती है. जब वो एक पार record हो जाती है तो within 24 hours उसको concerned police station के हाँ गेच दिया जाएगा. This is huge because it streamlines the whole process. So no more delays because of jurisdictional red tape. दूसरा change है preliminary inquiries का. अब police को कुछ मामलों में पहले inquiry करनी होगी. FIR register करने से पहले उन्हें 14 days मिलते हैं ताकि वो check कर सकें कि क्या Primal Suicide case बनता है या नहीं. मदर यहाँ एक twist है. यह बात Supreme Court के decision के खिलास है जो Lalitha Kumari v.s. Government of India में कही गई थी. उन्होंने कहा था कि अगर कोई crime disclose होता है तो FIR ज़रूरी है. So there is some debate here. तीसरा change है E-FIRs की registration के लिए. अब electronic communication के जरिए FIR register की डा सकती है. So if you shoot off a complaint online, it's legit as long as you sign it within 3 days. But here is the twist. Can cops start investigating right away? Or do they wait for your signature? Again, blur boundaries. According to the Bharatiya Nagrik Suraksha Sanhita, FIRs को 3 दिन के अंदर register किया जाना चाहिए. और preliminary inquiries भी अब एक strict deadline पर हैं. यह ensure करेगा कि अब charge sheet सिफ धूल न खाए. अब हम बात करते हैं, panel की एक बहुत important recommendation की. इस recommendation में उन्होंने gender-neutral provision को suggest किया था, adultery को criminalize करने के लिए. Back in 2018, the Supreme Court said bye-bye to adultery laws, calling them discriminatory and messing with a woman's autonomy. But the panel had a different idea. Panel लें सोचा कि adultery को तो फिर भी a-crime बाना जाए, लेकिन एक gender-neutral तरीके से. Now, on to section 377 of the IPC. Remember, जब 2018 में Supreme Court ने section 377 को ख़तम किया था? हाँ, वो एक बहुत बड़ा moment था, LGBTQ plus rights के लिए. Panel ने एक crucial चीज़ पर ध्यान दिया. जब consensual same-sex relations legal हो गई, तब भी section 377 का इस्तमाल हो सकता था, non-consensual acts में. लेकिन नया बिल इसपर कुछ नहीं कहता. तो अब अगर एक आदमी को rape किया जाता है, दूसरे आदमी के द्वारा, तो फिर क्या होगा? कहां मिलेगा इनसाफ? ये एक मुश्किल सवाल है. और इसमें men और transgender लोगों को किसी भी sexual offenses के खिलाफ कोई legal recourse नहीं मिलता है. इन नए amendments के बारे में बात करते हुए, Home Minister Mr. Amit Shah ने कहा था इन नए laws के अंडर, अगर कोई criminal या accused अपने crime को within 30 days accept कर लेता है, तो उसका punishment कम हो जाएगा. Online के जमाने के साथ आगे बढ़ते हुए, अब तो case hearing भी online होती है, तो victim की statement भी online record हो सकती है. अगर अप्रादी abscond कर रहा है, यानि फरार हो गया है, तो according to these new laws, trials will proceed in their absence, with government appointed lawyers. उपर से तो these reforms are gender neutral, victim centric and justice centric. आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए, आगे बारे में बात करते हुए,