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मेल पैरोट डैलोक्स सुनती हो, मैं बाहर जाकर कुछ खाने को लेकर आता हूँ, तुम यही रहना और कहीं पर मत जाना, बिना किसी मतलब के बाहर मत जाना, अगर प्यास लगी हो तो बाजु में चितररंजनी नदी है ना, वहां पी लेना. अपने जंगल में कुछ आपदा आई है, सिम ने सभी को साउधान रहने के लिए कहा है, अपना कववा है ना, वो अपने पती से तलाग के लिए हाती नाना के पास गया है, सवरे से लेके शाम तक ठक हार कर खाना लेकर आता हूँ, फिर भी तुम मुझे काम करने के लिए कहती हो, मेरी कोई अहिमियत नहीं है तुम्हे, ये क्या कह रहे हो तुम, सुनो, तुम छोटी सी बात को बड़ा कर रही हो, हाती नाना डायलोक्स. क्या तलक लेना ही है, अवरत और मर्च समान नहीं होते, अगर समान होना है तो अवरत को कई कडम नीचे उतरने होंगे, पती और पत्नी का रिष्ता भोत विचित्र होता है मा, एक दूसरे में रहने वाले हक, इरशा और गुस्सा, इसी में प्यार चुपा होता है, तुमारे पती का अन्मान नहीं है मा, तुमें कुछ न हो जाए, इसी का डर है उसे, बच्चे को जन्म नहीं दूँगी, ऐसा कह रही हो ना, देवता लोग भी सोपन देखते हैं मा श एक बात जान लेना चाहिए, अपनी पत्णियों को बंधी न बनाकर, उनकी इच्छाओं का भी गौरव करना चाहिए, वो समझ सके ऐसा प्यार दिखाना चाहिए, अगर न माने तो मनाना चाहिए