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नमस्तें दोस्तों आप सभी का कथा एक्सप्रेस में सौगत हैं फबीना कभी इस संसार के हर पुरुष को लगता है कि वही सबसे उपर है लेकिन वो भूल जाता है कि इस्तरी के विनाव कुछ भी नहीं है उसका अस्तर्ट्व भी एक इस्तरी सही है यहां बात मैं इस्तरी या पुरुष किसी के बड़े चोटे होने के नहीं कर रहा यहां मैं यह बताने की कोशिश कर रहा हूँ कि इस्तरी और पुरुष दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं एक बार आदि गुरु शंकराचारे को भी यही लगाता कि इस पूरा संसार केवल भगवान शिवस से है और वो इस बात को साबच करने के पीछे पढ़ गए एक दिन उनके तबच इतनी ज़्यादा खराब हुई कि वो बैट से भी उड़ने के हालत में नहीं थे तब एक इस्तरी उनके पास आए और बोली कि तुम सबको यही बता रहे हो कि संसार का अस्तिर्फ शक्ती के बिना है और अभी तुम्हारे पास खड़े होनी की भी शक्ती नहीं है यह सुनते ही आदि शंकराचारे के आखों से आशू आ गए और उनकी गलती का ऐसास हो गया आज के बाद यदी आपको या आपके आसपास किसी को भी लगे यह पुरुष्य ही सबसे उपार है तो उसको बता दीजेगा कि संसार के भगवान भोले नात भी शक्ती के बिना श