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अपना क्या है हम तो पंदे ही हैं उड़के जहां मिलेगा प्लार हम वही पे दिल लुटनेंगे हमसे क्या ही पाओगे तुम दिल दुखा के हम तो इसकी भी नसन बना के प्यार लुट जाएंगे तीन नशित प्यार एक और जुड़ गया है तरक के कैती राजा मुझ को ले के उड़ गया है कैती पकड में मैं ना आती अच्छे अच्छों के पर तुझ में ऐसा क्या है मेरा पूरा ध्यान मुड़ गया है अब कैती हार का जुआ भी चीते गा मैं लिख के देती हूँ जमाना थेरे लिए रुप गया है अगर पता चले फरक तो मर्ज कोसेगा मैं क्या ही दू दवा तो खुद जहर पी के उठ गया है