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यह कहानी राजिस्थान की कोटा शहर की एक भूत्या हवेली की है। यह हवेली राजा महराजा के समय में बनाई गई थी लेकिन पिछले अठारा सालों से इस हवेली में आज तब कोई भी रहने के लिए नहीं आया। इच्छा होने पर भी इस हवेली में कोई भी नहीं रह पारा था क्योंकि लोगों को कहना था कि इस हवेली में भूत्या का साया है। जब अजीत सिंग को इस हवेली के बारे में पता चला तो उसने तैक किया कि वो इस रह से कोई जानकां की रहेगा कि क्यों लोग उस हवेली म के लिए पैड आगे बढ़ाए तो दर्वाजे करी किसी अंजान वेक्के ने उसे रोत लिया और नर्दिंग चाती बोला कौन हुआ आप और किदने जा रहे हूँ। अजीत सिंग ने जवाब देने के बचाए सामने से सवाल किया जी आप कौन मेरा नाम अर्जून सिंग है मैं इस हवेली में एक दिन लोगने का पैसा किया है। अर्जून सिंग ने कहा जी हाँ आपने सही सुना है और आप भी अंदर मत जाएए मेरी माने तो आप भी वपस लोड़ जाएए यहाँ बहुत ख़त्रा है। क्या संकर अर्जीत सिंग खुश हो गया जैसे उन्हें कोई लॉटरी लन पहीना। अर्जून इसकी खुशी देखकर बोला आप क्यों खुश हो रहे हैं आपको तो भूत का नाम सुनकर दर लगना ना तेहकर अर्जीत सिंग उस हवेली में चले गया। अंदर जाके अर्जीत ने अपने बैग पो साइड में रखा और हवेली के चारो और देखने लगा। सारे रूम भी चेक कर लियें। बाद में ब्राइन रूम में आकर शोके पर बैठ गया। उसने वहां बैठकर द पिर तो हवेली की सारे लाइटे चैनल बंद मोने लेकूं। यह सब देखकर अर्जीत अपनी जग़ा पर ख़ड़ा हो गया और संपूर्ण तरीके से सचीप हो गया। असानिक उसके सामने एक चोटा टेबल ख़वा में उड़ने लगा। करीवं 6 फूट ख़वा में उप अजीत को समझ पाता उतने में सोफे की सीट की ओर आने लगी। वो जंदर ख़ड़ा हो गया और छलंग लगा के दुसरी ओर भूदि दिया। जिसकी फारल सोफा दिवाल से जाकर टकराया। और अजीत बच गया। अच्छानब सब कुछ शांत हो गया। अजीत चारो ओर स बोला कौन हो तो और क्यों मुझे मारना चाती। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। अजीत ने बोला, मेरे भूल, मैंने कौन से भूल थी। परचाई ने बोला, इस खवेली में आने की भूल, मैं किसी को भी इस खवेली में कुछ नहीं देख सकता। अजीत ने बोला कौन हो तो परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भू परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भूल के कारण। परचाई, तुम्हारी भू
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