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MIL_Hindi_Global_Sanjay_Verma_VO_Final

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sanjay verma

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आधुनिक भारतिय भाषा हिंदी के पाठिकरम के संदर्म में आज हम इस उप्योगी भाषा यानि हिंदी की वैश्विक उत्रस्ति के विशय में चर्चा करेंगे। आप इस तत्ते से अच्छी तरह परचेत होंगे कि इकीसी सदी में विश्व पटल पर भारत और चीन जैसे देशों की मुख्य भूमिका हो सकती है। संचार माधिमों के तीवर विस्तार के साथ कई अर्थों में विश्व जवस्था विश्व गाउं जैसे जुम्ले आकार ल ही उपभोगता या ग्रहक हिंदी छेतर में अधिक हैं इसलिए अर्थों विश्व जवस्थाओं में हिंदी की स्थिती अपिक्षकरत वजबूत हुई है। इस बीच सूचना प्रद्यूग्रिकी का भी अग्रत्याशित विष्तार हुआ है जिसने भाषा वयवार कारे के परिवेश और कारे पद्धिती में एक अनिवारे बदलाव ला दिया है। हिंदी भाषा की छम्ता को कई तरह से आपजाता है। उसके बोलने वालों का बढ़ता संख्याबल, साहित्य सुजन की मात्रा, उसके प्रकाशन का विष्तार, हिंदी की बढ़ती शब्द सम्ता, हिंदी का लचीला भाषाई सरूप, जनसंचार माध्यमों में हिंदी की बढ़ती उप्सिती, भाषांतर या अनुवात की विव जीवन में हिंदी को एहवार मिलाती है, हाला कि हिंदी और अंग्रेजी भाषाईं प्रतिष्ठा, प्रामानिक्ता और उपलब्दुता के पैमानों पर अलग-अलग पैदानों में खड़ी दिखती हैं, आज भी अंग्रेजी की स्विकारता रिश्चित रूप से अधिक ह प्रामानिक्ता रिश्चित रूप से अधिक है, आज भी अंग्रेजी की स्विकारता रिश्चित रूप से अधिक है, आज भी अंग्रेजी की स्विकारता रिश्चित रूप से अधिक है, आज भी अंग्रेजी की स्विकारता रिश्चित रूप से अधिक है, आज भी अ हाला की आकडों में देखें तो आबादी के बल पर चीन की भाषा मंदारिन दुनिया में सबसे ज़्यादा बोली जाती है, इसे बोलने वालों की संख्या करीब 1.3 अरब है, दूसरे स्थान पर स्पेनिश, तीसरे स्थान पर अंग्रेजी, और चौथे स्थान पर हिंदी इन देशों में महरिशश, फिजी, सूरी नाम, त्रिनिनदाद, गुयाना, केन्या, नैजीरिया, दक्षिर एफरीका, थाइलेंड, इंडोनेशिया, चेकोसलवाकिया, सिंगापूर्ट, नेपाल, भूतान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, मियानमार, मंगला भूतान, मंगला, भूतान, मंगला, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूतान, भूता कोई भी देश तभी मज़बूत हो सकता है जब उसका अंतरदेशी कारोबार उंदा हो भारत का बाजार बहुत बड़ा है इसके विस्तार की अभी काफी गुञ्जाइश है भारत की बहु संखे आवादी हिंदी भाषी है इसलिए भारतिये बाजार में प्रवेश पाने का एक रास्ता हिंदी भाषा के रास्ते से होकर गुजरता है दूसरा कारण है विज्ञापन और प्रचार प्रसार की भाषा के रूप में हिंदी का बढ़ता इस्तेमाल आज इस्तेती यह है किसी उत्पात का विज्ञापन अगर हिंदी में नहीं हो तो उसे भारत में बेशने में मुश्किल होती है बड़ा बाजार होने के कारण ही अंग्रेजी और दूसरी विदेशी भाषाओं वाली फिल्मों को हिंदी में डप किया जा रहा है इतना ही नहीं दक्षिन भारत और पंजादी की फिल्मों को भी हिंदी में डप किया जाता है दुनिया के कई देशों में हिंदी फिल्में और उनका गीत संगीत काफी प्रचलित हो रहा है पहले से ही फिल्म आवारा का गीत आवारा हूँ, श्री 420 का मेरा जूता है जापानी और मिथुन चक्रवर्ति पर फिल्म आया गया जिम्मी जिम्मी गीत कई देशों में मशूर है कह सकते हैं कि हिंदी के विस्तार में भारती बाजार बड़ी भूनका निभारा है तीसरा कारण हिंदी भाषा के सहत्य के सम्रुद्धता है हिंदी भाषा के सहत्य की तुलिना विश्व के शेष्ट सहत्यों में किये जाती है पिस्ते सो सवा सालों से हिंदी का सहत्य लगातार बढ़ रहा है हिंदी भाषा को विरासत में कई भाषाओं का सम्रुद्ध शब्द भंडार मिला है हिंदी ने अरबी, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी, संस्कृत, बांगला, गुजराती, मराठी, पंजाबी, उडिया और बोलियों में आवधी, मगही, भोजपुरी, ब्रिजभाषा, प्रवासी भार्तियों को अभी हिंदी साहित को सम्रुद्ध करने में योगदान है। विदेशों से हिंदी की पत्रकाय प्रकाशित हो रही हैं। हिंदी में उपन्यास, कविताए, निबंध संघरे, नाटक आधी प्रवासी भार्तिये लिख रहे हैं। प्रवासी भार्त प्रवासी भार्तिये लिख रहे हैं। प्रवासी भार्तिये लिख रहे हैं।

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