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Nothing to say, yet
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कुछ तो हवां भी सर्द थी, कुछ था तेरा ख्याल भी, दिल को खुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी, बात वो आदी रात की, रात को पूरे चान की, चान भी एंचेक्ट का, उस पे तेरा जमाल भी, सबसे नजर बचा के हो, मुझको कुछ ऐसे देखता, एक तफ़ा तो � सीशा गिराने शहर के हाथ का ये कमाल भी, उसको न पास सके थे जब दिल का अजीव हाल था, अब जो पलट के देखे, बात थी कुछ महाल की, मेरी तलव का एक शब्स, वो जो नहीं मिला तो फिर हाथ दूआ से यूं गिरा, बूल गया सवाल भी, उसकी सुखन तदारिया मेरे लिए भी ठाल थी, उसकी हसी में छुप गया, अपने गमों का हाल भी, उसके ही बाज़ों में और उसको ही सोचते रहे, जिसम की क्वाईशों पे थे रूँ के और जाद भी, शामकी न समझ, हवा पूछ रही है एक पता, मौजे हवा, एक