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महात्मा बुद्ध एक गाउं में प्रवचन सुना रहे थे। उन्होंने पास हुए लोगों के समीप अपनी मधुर वाणी से सभी को सम्भोधित करते हुए बताया कि हर किसी मनुश्य को धर्ती मा की तरह सेहन शील तथा क्षमा शील होना चाहिए। क्रोध मानव का ऐसा शत्रु है जो दुसरों को तो हानी पहुंचाएगा, साथ में खुद भी उससे नहीं बचपाएगा, इसलिए क्रोध, ईर्शा मानव की सबसे बढ़्ये शत्रु है। सभा में सभी लोग शांती से उनकी बात को ध्यान पूरवक सुन रहे थे, तभी वहाँ उस सभा में एक अति क्रोधी व्यक्ती भी उपस्थित था। वह पहले तो उनकी बात सुनता रहा, फिर वह अचानक महात्मा जी से क्रोधित होकर बोला, बोलते समय उसका आँखे ख�