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ये कहाणी हैं तीन दो सोप लिए। छुट्टियों के बास हैं कि कुलाल से कहीं दूर जंग्लों में छुट्टियों नाने का निमर्यत हैं। करल होकर तब भी जंग्लों के वहर पढ़ते हैं और फेर भूंते भूंते चलते चलते शाम हो जाती हैं। अब मेरा दिनाने के लिए एक सुदर्शित जंग्ल की तलाश करनी थे। तब इन लोगों की नगर एक तूटे उदे घंड़ पर पढ़ती हैं। प्रवातीयों चल पढ़ते हैं उस घंड़ की ओर। पर यह घंड़ एक शापी चोगर का है। जो यह घंड़ में आने वा