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In 1997, some workers in Bangalore found a black stone underground and thought it might be a treasure. However, it turned out to be a grand statue of Nandi Maharaj, from which a continuous stream of water was flowing. Archaeological Survey of India excavated the area and found a temple buried underground that was 400 years old. It remains a mystery where the water flowing from Nandi's mouth comes from. The temple is now known as Dakshin Mukhi Nandi Teerth Kalyani Mandir. 1997 की या बात है जब बैंगलोरी में कुछ मजदूर काम कर रहे थे तभी उन्हें जमीन के अंदरी काला पत्थर मिला लोगों को लगा की कोई स्यूलिंग होगा इसलिए खुदाई करना जोर से स्टार्ट कर देते हैं लेकिन जब खुदाई पूरी हुई तो पता चला कि वह कोई स्यूलिंग नहीं था बल्कि एक नन्दी महराज की ग्रेंड मूर्ती थी और उस मूर्ती के मुक से निरंतर जल की धारा प्रभाहित हो रही थी इसके बाद इसकी जानकारी आर्कियोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया को दी गई रिशर्चर्च ने जब जल की धारा जो नन्दी जी के मुक से निकल रही थी उस धारा को फालो किया तो उन्हें पता चला नन्दी जी के मूर्ती के निचे एक स्यूलिंग भी है इसके बाद उन्होंने देखते ही देखते जमीन के अंधर से पूरा स्यूलिंग, इसके बाद उन्होंने देखते ही देखते पूरा मंदिर जमीन के अंधर से खोद निकाला कारबन्डेटिंग करने पर पता चला कि मंदिर 400 साल पुराना था लेकिन खास बात तो यह थी कि नन्दी जी के मुख से जो जल की धारा निकल रही थी उसका कोई आता पता नहीं था और आज तक उसका कोई पता नहीं रह और आज तक उसका कोई पता नहीं लगा और हाँ आज इस मंदिर को दच्छिन मुखी नन्दी तीर्थ कल्याणी मंदिर के नाम से जाना जाता है 1997 की यह बात है जब बैंगलूरे के कुछ मज़्जूर काम कर रहे थे तभी उन्हें जमीन की अंदरी काला पत्थर मिला दोगों को लगा कि कोई सिविलिंग होगा इसलिए खुदाई करना जूर से स्टार्ट कर देते हैं लेकिन जब खुदाई पूरी हुए तो पता चला कि वह कोई सिविलिंग नहीं था बल्कि एक नन्दी महराज की ग्रेंड मूर्ती थी और उस मूर्ती की मुक से निरंसर जल की धारा प्रवाहित हो रही थी इसके बाद इसकी जानकारी आर्केयोलोजिकल सर्वे अफ इंडिया को दी गई इसके बाद उन्होंने देखते ही देखते पूरा मंदे जमिन के अंदर से खोड निकाला कारवान डेटिंग करने पर पता चला की मंदी 400 साल पुराना था लेकिन खास बात तो यह थी कि नन्दी जी के मुक से जो जल की धारा बह रही थी वो कहां से आ रही थी उसका कोई अता पता नहीं था और आज तक उसका कोई पता नहीं लगा और हाँ आज इस मंदिर को दच्छन मुकी नन्दी तीर्थ कल्याणी मंदिर के नाम से जाना जाता है 1997 की यह बात है जब बैंगलोरो में कुछ मज़दूर काम कर रहे थे तब ही उन्हें जमेन के अंदरी काला पत्थर मिला लोगों को लगा कि कोई सिवलिंग होगा इसलिए खुदाई करना जूर से स्टार्ट कर देते हैं लेकिन जब खुदाई पूरी होई तो पता चला कि वह कोई सिवलिंग नहीं था बलकि एक नन्दी महराज की ग्रेंड मूर्थी थी उस मूर्थी के मुख से लगातार जल की धारा प्रवाहित हो रही थी इसके बाद इसकी जानकारी आर्कियोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया को दी गई रिसर्चर्स ने जब जल की धारा जो नन्दी जी के मुख से निकल रही थी उस धारा को फालो किया तो उन्हें पता चला की नन्दी जी के नीचे एक स्यूलिंग भी है नन्दी जी की मूर्थी के नीचे एक स्यूलिंग भी है इसके बाद उन्होंने देखते ही देखते पूरा मंदिर जमीन के नीचे से पूरा मंदिर जमीन के नीचे से खोज निकाला कारगन डेटिंग करने पर पता चला कि वह मंदिर 400 साल पुराना था लेकिन खास बात तो यह थी कि नन्दी जी के मुख से जो जल की धारा बह रही थी वह कहां से आ रही थी उसका कोई आता पता नहीं था और आज तक उसका कोई पता नहीं लगा और हाँ आज इस मंदिर को दच्छण मुखी नन्दी तीरत कल्याणी मंदिर के नाम ते जाना जाता है