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नमश्कार और स्वागत है आपका मेरे प्रिये सुन्ने वालो एक और खास एपिसोड में जहां हम बात करेंगे एक ऐसे फिल्म की जो मानफ्ता की असल महत्व को चुनने वाली है आज हम लेकर आए है बारवी फेल हारा वही जो लड़ा नहीं फिल्मों का जर्या हमें अनेक रूप में प्रियेत करता है यहाँ काहानी भी एक ऐसे सफर की है जो एक छोटे से गाउ लडाकू चम्मल से शुरू होता है और एक परिक्षित IPS अधिकारी बनता है जिसका नाम है मनोज कुमार सर्मा जो एक छोटे से सहर से निगलता है लेकिन अपने सपनों ते लिए लड़ता है तो आईए चले सुनते हैं मनोज का सफर शुरू होता है जब उनके पिताजीक इमानदार अफसर सस्पेंड हो जाते है मनोज एक बार भी क्लास का स्टुडिंट अपने परिक्षा के लिए सीट स्लिफ तैयार करता है पर नए डियस्पी दुशिन सेंग चिटिंग को रोग देते हैं जिसका अफर होता है मनोज परिक्षा फेल ही नहीं होता मनोज परिक्षा में फेल ही नहीं होते बलकि उनके सपने भी दुधंच जाते हैं मनोज का सफर आगे बढ़ता है जब उनके घर के हालात को सही करने की सोचते हैं इस सफर में मनोज को अपने भाई के साथ एक रिक्षा चलाने का फैसला करना बढ़ता है पर किसमत उनके साथ नहीं होती जब उनका भाई गलत तरीके से फज जाता है प्रस्थितियों का सामना करते भी मनोज का भाई गलत तरीके से दोसी घूशित होता है लेकिन डियस्पी दुशिन सिंग के मदद से मनोज अपने भाई को बचा लेते है साल गुजनने के बाद मनोज परिशा में चिटिंग के बिना सफलता प्राप्त करता है लेकिन उनके सपने को बड़ा छटका लगता है जब उन्हें मालूम होता है कि उनकी मनजल के रास्ते बंध है लेकिन एक नए दोस्त, एक नए सपना और एक नए उम्मिद के साथ मनोज अपने सपने की और बढ़ता है इस सफर में उनकी मलाकात होती है पूरितम पांडे से एक ऐसे दोस्त से जो उन्हें अस्तिर्जिन्गी की रहा दिखाता है मनोज की महनत और हिम्मत का परिनाम होता है जब वो अपने UPSC ग्जाम क्लियर करते हैं और साथ में सर्धा जोसी उन्हीं की प्रेमिता भी अपने सपनों को सकार करती है मनोज की कहानी प्रेम विश्वास और संघर्ष की कहानी है उसने अपने जीवन में बहुत सी परिक्षाएं दी लेकिन हार नहीं मानी उन्होंने अपने सपनों के लिए लड़ते वे अपने परिवार और प्यार को भी पाया है बारवी फेल एक मानाक्ता भरा संदेश लेकर आता है कि हर सपना सच होता है अगर आप उसके पीछे जान लगा देते हैं इस कहानी में हमें सीख मिलता है कि समय कितनी भी कदिनाईयों से भर हो लेकिन अगर आपका इराज़ा सच्चा है तो सपना कभी अधूरे नहीं होते है आज हमने देखा कि सफलता को पाना मुझ्किल हो सकता है लेकिन ना मुझ्किल नहीं मनोष की कहानी हमें याद दिलाती है कि क्या हार मानासल जीत से पहले की सबसे बड़ी मिंजिल है अगर नहीं तो सोचे धन्यवाद और फिर मिलेंगे अगले एपिसोड में तब तक अपने अध्यान रखे और अपने सपने को सच करने की दिशा में आगे बढ़ते रहे सुबरातरी मसाला माईक के साथ