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किसी शाम की तरह फेरा रंग है खिला किसी शाम की तरह फेरा रंग है खिला मैं रात एक तनखा तू चोंड सावला और तुझे देखता रहा किसी खाम की तरह जो अब सामने है तू और कैसे यकी बला तू ताड़ो कभी तारा सचना भे तुझे रंग से मांगा रंग से जो मांगा मिल या भे तुम मिल या कोई जाने ना दूजा भे सामर ने सुनी है फरियों की कहानी वैसा ही नूर तेरा, तेरा है तेरा रुहानी तुझे को मैं अपनी बाहों में शुपा दूँ अपनी इस समी को कर दू मैं अस्मोदी जिन्दगी रोच दू मैं अब सरे सामने पल तो पल छोड़ के तु मेरे साथ में तुझा जो कविदारा सजना भे, तुझे अग से मागा रत से जो मागा मिलिया भे तु मिलिया तो जाने न दूँगा मैं जाने न दूँगा मैं इतनी भी हसी मैं नहीं हो यारा भे मुझसे भी हसी तु तिरा के फ्यार है इतनी भी हसी मैं नहीं हो यारा भे मुझसे भी हसी तु तिरा के फ्यार है ये तेरा देरा प्यार ये जैसे फाम और दूआ अचच कर रहा है देखो मेरा पुरा तु दाजो कविदारा सजना भे तुझी रभ से मागा रभ से जो मागा मिल लिया भे तु मिल लिया तो जाने न दूँगा मैं तु दाजो कविदारा सजना भे तुझी रभ से मागा रभ से जो मागा मिल लिया भे