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H D Maravi

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AI Mastering

Transcription

The topic discussed in this transcription is psychology. The speaker talks about the need for subjects that are directly related to society, such as psychology. They mention the concept of narcissism and the importance of understanding it in society. They also discuss the challenges of being a parent and the impact it has on children. The speaker emphasizes the need to protect children from negative influences and mentions the term "narcissism" as a problem in Hindi. They explain that narcissism is a psychological condition that affects individuals and society. The speaker also mentions surveys that have shown an increase in narcissistic tendencies globally. Overall, the transcript highlights the significance of psychology and understanding the human mind. आज हम जिस टॉपिक पर बात करेंगे उस टॉपिक का नामना के साइकोलोजी के लिए, मनोविज्यान का है। मुझे ऐसे कई लोग मिलते हैं, जो करते हैं सिर्फ नर्शिसम पढ़ाएंगे, तो मतलब बाकी लोग क्या करेंगे। कुछ विषय और भी तो होनी चाहिए। कुछ ऐसे विषय जो समाज से जोडते हैं, सीधे। फिलोसोफी भी होता है, वो थोड़ा सीधा नहीं जोडता। तो फिर मैंने सोचा कि मानो विज्यान के कुछ विषय जो जीवन में बहुत ज़्यादा जोरी हैं, उन पर बात हो। एक विषय जो मेरे मन में बहुत दिनों से है, जिसकों मैं सोंचता हूँ कि हम समझें, आरोज हमारे समाज में एक सबद खुद चलता है। वो सबद अंग्रेजी का है, परंपरार से उठावा सबद है, जिसकों बोलते हैं नार्सीजम। आप सोंचेंगे ये क्या सबद हुआ। आपने लिए कई लोगों के साथ पहली बार सुनते होंगे। आज कि ये क्लास जितनी जवरी आपके लिए हैं, आप लोगों के लिए आम लोगों के लिए 22-23 से, मतलब 20-22 से लेकर 30-35 के बेच में होगी। आपके लिए तो है ही जवरी, लेकिन ये आपके लिए तो और जवरी होने वाला आरत सुदर के बाद। जब आपके छोटे बच्चे होंगे, उनके कुछ तो के लिए, बाद में परेंट बाद होंगे, बड़ा आसान लगता है परेंट होना जबकि बहुत मुश्किल है, वो ना। आपको बच्चा IT करेंगे या नहीं, MBBS करेंगे या नहीं, बहुत छोटी बात है, कर लेगा तो अच्छी बात है, ना करेंगे तो बहुत बुली बात है, समानी से बात है, पर आपकी संथान, आपका बेटा या पेपकी बेटी, ये कैदे का इनसान बनेगा यहीं, ये ज़ हम सब की और सेधी हैं, हम सब के सो समस्य हैं, तो जीन चीज़ों से बचाना जौरी है अपने बच्चों को, उन्हें से एक समस्य का नाम है, नर्सिशिजम, नर्सिशिजम पहले हिंदी का एक सब्द होता है, जिससे काफी नज़दीक है, उसे कह सकते हैं, आत्ममुग्दता अपने बच्चों को जीन चीज़ों से बचाना जौरी है, नर्सिशिजम पहले हिंदी का एक समस्य का नाम है, नर्सिशिजम पहले हिंदी का एक सब्द होता है, जिससे काफी नज़दीक है, अपने बच्चों को जीन चीज़ों से बचाना जौरी है, नर्सिशिजम पहले ह हिंदी का एक समस्य का नाम है, नर्सिशिजम पहले हिंदी का एक सब्द होता है, नर्सिशिजम पहले हिंदी का एक सब्द होता है, नर्सिशिजम पहले हिंदी का एक सब्द होता है, नर्सिशिजम पहले हिंदी का एक सब्द होता है, नर्सिशिजम पहले हिंदी का एक सब् किक ऐसा ही आत्मा विश्वास से भारे होना और आत्मा मुग्द हो जाना इसके बीच की रेखा भी महुत पत्ली है पर रेखा है, उस रेखा को समझना उसको पहचानना बहुत जोरी है, मोटे तौर पर आत्मा विश्वास एक बहुत अच्छी क्वालिटी है, और जित पॉजटिक क्वालिटी है, होनी चाहिए, और नर्सिजिजम, यानि कि आत्मा मुग्दता, एक ऐसी सिस्तिती है, जो कि न केवल उस वेक्ती के लिए समस्या है, जिसको है, बल्कि उसके आत् कि ये क्या है, और फिर चेक करेंगे कि हमारे अंदर है कितनी, मतलब मनो विज्याम पढ़ना और समानने, टैंपरेमन्ट के लिए क्या है, मैं तो ठीक हूँ, बाकियों की अंदर है ये सब प्रोबलम्स, मज़े की बात है, बाकियों में समझ माता है कि नहीं है, मैं भी ठीक पिछले 30 सालों साल में, दुनिया भर के बस्तिन के देशां में देखा नासे जीजन, यानि आत्मा, मुग्दता की टेंडेंश्यती बहुत बड़ी है, ऐसे सर्वे हुए है, और हमें वही बात की अच्छा है, सर्वे मत्ता हूँ, जो मेडिकल सायंस के सर्वेज हैं, पिछले 30 साल में, दुनिया भर के बस्तिन के देशां में देखा नासे जीजन, यानि आत्मा, मुग्दता की टेंडेंश्यती बहुत बढ़ी है, ऐसे सर्वे हुए है, सर्वे मत्ता हूँ, जो मेडिकल सायंस के सर्वेज हूँ, जो मेडिकल सायंस के देशां में देशां म ये मानना पड़ेगा कि आज के समय में वो भी निकना सुरूप हुगया है। इक्जांपल से बात करते हैं, है न? सिध्धान्तिक बात क्यों करें? आत्मा, मुग्दता का एक लक्षण होता है, वेट्ति को ये लगने लगना कि उसके देशा कोई नहीं है। मैं इतनी सुन्दा हूँ, मैं क्या करूँ, क्या करूँ? आप रिलड कर पा रहे हैं? अगर आपके आसपास आये सब कोई बोले, मैं इतनी सुन्दा हूँ, मैं क्या करूँ, क्या करूँ? उससे बोलना तुम्ही नार्शिस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस्यस् हाँसे में दाखने मैं स्वेर बता रहा हूं लोगों को क्यों नहीं कोई यो नहीं कोई और सही बहुत लंभी है जमी मिले के लागखाम से जम्सन तो खेली तो नहीं तो लोगों को जवाब नहीं दूँ तो मैं को जानता हूं जवज़स्ती वो नहीं कर दिया पर ये दोनों ही लख्षन नर्सिसिजम के हुँ अगर कोई कहे नहीं मैं कौन रहे हूं तो क्या बोलना है इलाज करा लोगों किस इसका? नर्सिसिस्टिक पर्सनलाटिक डिस्टोरडर NPT बोलेंगे उसमें और अगर कोई ये कहे तू नहीं कोई और सही तू भी राज के नाम हो क्योंकि इस वेक्ति को भी जवरत से जदा आपका इसमा सम्मे पर हो गया है जब इस तरह की वाक्ति सुनने लगे आप तो समझिये कि कुछ गर्बर है अगर किसी को लगे कि मैं समिधान से उपर हूँ, कामन से उपर हूँ तब मेरे सामने स्वर्टे हैं और वो कहे हम जहां खड़े होते हैं लाइन वहां से सुदरू होती है काल यह बच्च पर ज़िन्द कर रहे है तो उससे क्या कहना, तुम्हारी लाइन अलग है वो मनवज्ञान का रोग्यों का लाइन है वहां तुमसे लाइन सुदरू होगी क्योंकि तुम्हारी लाइन होना है यह तिसरा वच्छान है

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Title5462
AuthorH D Maravi
CategoryVoice Over
Duration07:52
FormatAUDIO/WAV
Bitrate1411.2 kbps
Size83.29MB
Uploaded8 Dec 2023

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