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मीडियूम वीव चरसौबा सट्डशम्लवन अच्छे मीटर यानी 648 किलो हर्ट्स पर यी आकाईश वानी का इन दौर केंडर है। इस समय शाम की पांच बज़े हैं। अब आरंब होती है हमारी सांधे कारें सभा। सभा के आरंब में लीजे सुनिये कारिक्रम यूव वानी। नमस्कार आप सुन रहे हैं। नई भारत की आवाज यूव वानी कारिक्रम। मैं इराफ। और मैं प्रत्मेश। फिर हाज़िर हैं आपके अपने प्रोग्राम के साथ जहां हम रोज लेकर आते हैं कुछ नए पुराने किस्से, कुछ रोचक जानकारियां और आपके पसं जहानी, जिसमें हम आपको रूबरू करवाते हैं ऐसे सफल युवाओं से जिन्होंने अपने परिश्रम से लिखी है अपनी तक्तीर। साथ ही आज इतिहास के जहरोखे से जहांकेंगे नेताजी सुभास चंडर बोस की आजाध हिंद फोज की कहानी में, लेकिन उससे पहले आईए जानते हैं आज के दिन के महत्व के बारे में। आज यानि 27 मार्च को विश्वरंगमंच दिवस के रूप में मनाया जाता है। आईए इस खास मौके पर आपको थेयटर की दुनिया की सैर पर लिए चलते हैं। जी हाँ, विश्वरंगमंच दिवस हर साल 27 मार्च को अंतराश्ट्री रंगमंच संस्थान यानि आईटी आई द्वारा मनाया जाता है। यह दिन 1961 से मनाया जा रहा है। आईटी आई की स्थापना 1948 में हुई थी, जिसका मुख्याले पैरिश में स्थित है। इसका उद्देश तुनिया भर में थीयेटर की विविद्धता को उजागर करना और इसके विभिन रूपों को बढ़ावा देना है। यह दिन थीयेटर कला के महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है, जो आजकल शायद अत्ता महत्व खोती जा रही है। हमारे विचार में थीयेटर मनुरंजन का एक साधन मातर नहीं है, बल्कि यह जीवन में बढ़लाव लाने की किशमता भी रखता है। यह विभिन ललित कलाउं या फाईन आर्ट्स का संयूजन है, जो दर्शोकों को एक वास्तविक अनुभव प्रदान करता है। साथियों, थीयेटर का इतिहास बहुत पुराना रहा है। यह प्राचीन युनान से शुरू हुआ, जहां लोग त्योहारों के दोरान नाटक करते थे। समय के साथ यह दुन्या भर में फैल गया और विभिन संस्कृतियों का हिस्सा भी बन गया। भारत में भी थीयेटर का लंबा इतिहास रहा है। संस्कृत नाटक, रामलीला और यक्शगान जैसे विभिन प्रकार के थीयेटर भारत की समर्ध सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा रहे हैं। भले ही आजकल मनोरंजन के कई साधन है, बगर थीयेटर का अपना एक अलग ही आकर्शन है। मंच पर कलाकार और दर्शक आमने सामने होते हैं, जो एक ठीवन्स अनुभव प्रदान करते हैं। साथ ही थीयेटर लगातार नए प्रयोग भी कर रहा है और खुद का नई पी कर लोगों को जागरूब भी किया जा सकता है। तो आईए इस विश्वरंगमंच तेवस पर थीयेटर को अपना समर्थन दे, अपने आजपास हो रहे नाटिकों को देखे, कलाकारों का उत्साह बढ़ाएं और थीयेटर की इस खुब्सल तुन्या का हिस्सा बने। और इ हम जो चलने लगे, चलने लगे हैं ये रास्ते, मंदल पे बैतर लगने लगे हैं ये रास्ते हम जो चलने लगे, चलने लगे हैं ये रास्ते, मंदल पे बैतर लगने लगे हैं ये रास्ते खो जाएं हम, खो जाएं हम यूला पता, मीलो चले जारा कहा, ना हो पता हम जो चलने लगे, चलने लगे हैं ये रास्ते, मंदल पे बैतर लगने लगे हैं ये रास्ते बैठे बैठे ऐसे कैसे कोई रस्ता नया सा मिले, तू भी चले, मैं भी चलू, होंगे कम ये तभी पास ले तेरा मेरा ना हो किसी से वास्ता, ना हो किसी से वास्ता, ना हो किसी से वास्ता, ना हो किसी से वास्ता, ना हो किसी से वास्ता, ना हो किसी से वास्ता, ना हो किसी से वास्ता, ना हो किसी से वास्ता, ना हो किसी से वास्ता, ना हो किसी से वास्ता, ना हो किसी से वास्ता, न हम जो चलने लगे, चलने लगे हैं ये रास्ते, हम जो चलने लगे, चलने लगे हैं ये रास्ते, हम जो चलने लगे, चलने लगे हैं ये रास्ते, हम जो चलने लगे, चलने लगे हैं ये रास्ते, हम जो चलने लगे, चलने लगे हैं ये रास्ते, हम जो चलने लगे, चलन माने काई काई मैं समझा, पाउखाने काई काई मैं समझा, पेछार हिलजी नहीं लगे, पाउखाने काई काई मैं समझा, पेछार हिलजी नहीं लगे, पाउखाने काई काई मैं समझा, पेछार हिलजी नहीं लगे, पाउखाने काई काई मैं समझा, पेछार हिलजी नहीं लगे, पाउखाने काई काई मैं समझा, पेछार हिलजी नहीं लगे, पाउखाने काई का आखें खोले नीदे बोले जाने कैसी जगी बेवखुदी, यहां वहां देखो कहाने के जाने लगी बेवखुदी, मिल जाएगा होगा जहां पे रास्ता, मीलो चले जाना कहा नहों बता, हम जो चलने लगे, चलने लगे हैं यह रात से, मंदल से बहतर लगने लगे हैं यह रात से, चलने, चलने, तुम्हें मत जाने हो, प्रीत की एक भुषि हो, नज़नी धनोड़ा एक भी लिशन करियो, आपके हर पिनैंचल एवरजन्सी में आपके साथ मनपुरम फिनैंस, जो लाए हैं एजी गोल्ड स्कीम, जिसमें जितने दुनों का होगा लोन, उतना ही होगा इंट्रेस्ट, अधिक जानकारी के लिए आज ही विजिद करें, नज़दी की मनपुरम फिनैंस शाथा में या टोल फ्री नमबर एद दबल जीरो, 4202233 पर कॉल करें, लाइसी का निव जीवन शांती क्लान, जिसमें वन टाइम प्रीमियम पे करो और लाइस टाइम गैरंटीट आन्यूटी मिलेगी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाग भी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिं� जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिंदगी के साथ भी, लाइसी जिंदगी के स तो आज एक बहुत खास मेहमान हमारे साथ हैं आकाश्वाणी में, आईये आपको उनसे रूबरू करवाते हैं सात्यों, सफलता की कहाणी में, आज जिस शक्सियत में हम आपको रूबरू करवाएंगे, उनके संगश की कहाणी महज़ एक कहाणी नहीं, बल्कि प्रतियोगी परिक्षाओं के अध्यर्थियों का मूल बंत्र बन सकती हैं बढ़ती जनसंख्या और सेमित पदों के होने के बाद भी UPSC, MPPSC, SSC, IIT, JEE, NEET या अन्य प्रतियोगी परिक्षाओं में चैनित हो पाना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है, ये यात्रा, साहस, आत्मविश्वास, परिश्रम और अन्य कई चोटे बड़े बर परिक्षा के पीनों चर्नों को पार किया और एक बढ़िया साप पैकेज के साथ प्लेश्में भी पाया है एक और खास बात ये है कि वे अपने पहले ही अटेम्ट में सभी परिक्षाओं में उत्तीन हुई है, यानि कि उनकी महनत का हर तीर सफलता के निशाने पर जाकर लगा है यानि खामोशी से कड़ी मेहनत करो और सफलता को शोर मचाने दो यह दो पंक्तियां मेरी पूरी CA जरणी के दोरान बहुत काम आईंगे, जैसे कि मैं CA इक्जांस की जब प्रेपरेशन करती थी तो बहुत बार ऐसा होता था कि मेरे फेंट्स लोग आउटिंग के लिए जाते थे पर मैं नहीं जा पाती थी, उस समय भी मैंने पूरी लग� और वो लोग, जिनके साथ मैं आउटिंग के लिए नहीं जा पाती थी, वो सामने से आए और मिझे से बात करी, congratulations बोला, तो इसलिए जितने भी अभ्यार्टी हैं, जो कि competitive exam की preparation कर रहे हैं, वो अपना काम करते रहे, work hard in silence and let your success make the noise. बिल्कुल सही कहा सुहाणी जी आपने, अच्छा ये बताईए कि इस कहाणी की शुरुवात कहां से हुई, क्या स्कूल में ही आपने CA बनने का सप्ना देख लिया था या फिर किसी से फेड़ ना लिए? जब मैं 11th class में commerce as a stream चूस करा, तो CA एक मुझे एक ही बहुत profession दिखा, जो बहुत ही prestigious profession के रूप में मुझे CA दिखा और इसलिए मैंने CA चुना. साथ ही मेरे एक cousin थे, जो कि Devas में CA थे, और जिन से मैंने coaching लिए 11th class में, वो भी CA थे. उन दोनों सक्षियत ने मुझे बहुती ज़ादा inspire कया, क्योंकि CA एक ऐसा course है, जिसके थूँ आप अपनी life पूरी change कर सकते हैं, इसलिए मैंने CA जॉइन करा. हमारे स्रोताओं की जानकारी के लिए हम ये जानना चाहेंगे, कि 12th के बाद किस तरह से CA बनने की और बढ़ा जाए, कितने चर्णों में परिक्षा होती है, coaching, registration वगेरा वगेरा जो चीज़े होती हैं, वो किस तरह से करना होता है, इसके बारे में ज़राबता ही है? जी, 12th class पास होने के बाद, आपको CA Foundation के लिए registration कराना पड़ता है, CA Institute हमारा, Institute of Chartered Accountants of India है, उसमें as a student आप register करा सकते हैं, उसके बाद ये exam देनी पड़ती है, CA की परिक्षा 3 चर्णों में होती है, CA Foundation, CA Inter, और CA Final, कोठिंग की बाद करें, तो आप private coaching भी कर सकते हैं, आप self-study भी कर सकते हैं, और Institute ने भी बहुत सारी facility प्रिवाइड कर रखी है, जैसे की RTP, MTP, और बहुत सारे summary books प्रिवाइड कर रखे हैं, तो आप उनका भी use कर सकते हैं. अभी कुछ दिनों पहले social media पर एक सत्रा साल की IIT JEE aspirant ने अपना schedule share किया था, जिसमें यह लिखा था कि वो नीन केवल चार गंटे की लेते हैं, और पढ़ाई जो होती है, वो 14 गंटों से जादा की हो जाती हैं, तो क्या आपकी दिनचरिया भी preparation के दोरान कुछ ऐसी ही थी, अगर नहीं तो आपने इन कुछ वर्षों में जो आपका पूरा कारिकाल रहा है, उसमें किस तरह से संगर्श किया, उसके बारे में मताईँ हैं? जी विल्कुल, कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है, और मेरा CA Final की preparation के दोरान मेरा बहुती strict schedule होता था, जिसमें मैं 14-16 गंटे डेली पढ़ाई करती थी, morning में 7 o'clock मैं उठके, freshen up होने के बाद 8 o'clock तक पढ़ाई शुरू कर देती थी, और सुर्फ मैं खाने के लिए break लेती थी, और थोड़ा सा evening मैं walk के लिए जाती थी मेरी मॉम के साथ, उसके अलावा मैं बिल्कुल भी अपना time waste नहीं करती थी, और consistently पढ़ाई करती थी, त मैं आने पर देनी पढ़ती है, देखा जाया तो आपकी तैयारियों के बीच में कोरोना महमारी भी आई, lockdown की वज़ें से आपकी जो बढ़ाई है, वो भी offline से online की और शिफ्ट हुई होगी, और आपकी classes आपने बढ़ाया है कि सोबह से शाम तक होती थी, तो कैसे manage किया, क्या screen time रहता था, और वो सारी बातें हमें बताईँ? जब मैंने CA-Inter की classes जॉइन करी, तो एक महीना मेरी offline classes हुई थी, उसके बार lockdown आ गया था, तो हमारी classes जो रहती थी, morning 8 to 6 तक रहती थी, और एकदम से offline class से online class अप्टर होना बहुत ज़ादा difficult था, teachers के लिए भी, और मेरे लिए भी, क्योंकि इतना screen time रखना बहुत मुश्किल हो जाता था, उस समय मैंने adapt करने की खोशिश करी, मैंने उस समय को भी जो problems हाई, उन्हें मैंने positivity में बदला, जैसे कि मैं, मैंने try किया, कि मैं intervals में पढ़ाई करना start कर दिया था, और जैसे ही मुझे थोड़ा भी समय मिलता था, तो मैं उससे family के साथ time spend करके, अपना mood fresh कर लेती थी, क्योंकि corona के समय पूरी family घर पही थी, और जैसे ही मुझे समय मिलता था, मैं अपना mood fresh करने के लिए अपने परिवार के साथ समय बिता थी थी, तो corona में भी मैंने इस तर होता है, CA की जो तैयारी होती होती है उसमें, जिसे article ship कहते हैं, इसके बारे में थोड़ा सा हमें अलग से समझाईए, कि किस तरह से इसके लिए apply किया जाता है, क्या क्या नियम होते हैं, और आपकी article ship का अनुभव कैसा रहा? So, जैसे ही हम CA inter pass करते हैं, वैसे ही हमें article ship के लिए registration करना पड़ता है, बिना article ship complete करे, एक CA student CA final के लिए eligible नहीं होता है, वो CA final exam जब ही दे पाता है, जब CA final, जब article ship complete होती है, तो article ship का PA देता है, हमारा तीन साल का article ship रहता है, जो कि हमें practicing charted accounted के अंदर करने रहती है, जिससे हमें practical exposure मिलता है, हर field का, जिससे की accountancy, auditing, tax, जो कि हम theoretical पढ़ते हैं, CA interior में और CA final में, वही चीज़ हमें practical exposure मिलता है, तो यह बहुत ही अच्छी journey रहती है, जिसमें हमें client से interact करने को मिलता है, और registration करने के लिए, आपको ICI के साथ ही as a article registration करवाना पड़ता है, और आप किसी भी CA firm में apply कर सकते हैं, as a article, और यह पूरा तीन साल का period रहता है, जो कि बहुत ही अच्छा period रहता है, जिसमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है, as a CA student. आपने बताया की पढ़ाई और article शिप की वज़र से, आप सुबे से शाम तक बाहर रहती थी, घर पर समय दे पाना भी मुश्कल होता होगा, खास कर तेवहारों में, और घर के अनने चारक्रमों में, तो इस पूरी याथ्रा में आपने परिवार से किस तरह से सपोर्ट थी? भी बिल्कुल, article शिप के दौराल में देवास से Indore डेली अपडाउन करती थी, क्योंकि मेरी article शिप Indore में हो रही थी, और मैं देवास में रहती थी, तो इस दौराल बहुत सारे तेवहार आते हैं जिसमें मैं पार्ट नहीं ले पाती थी, और उस समय मेरी फैमिली का बहुत जादा सपोर्ट रहा, जैसे कि मैं आपको एक सामपल देती हूँ, जब मेरी CA फाइनल की एकजाम चल रही थी, उस समय दिवाली थी, और इस बार मेरे घर पर भी दिवाली इतने जोरो सोरो से नहीं मनाई गई, क्योंकि मैं पढ़ाई कर रही थी उस समय, मतलब आप तो पढ़ाई करते हैं, लेकिन परिवार वाले भी आपके साथ पूरी तरीके से सपोर्ट के लिए ख़ड़े होते हैं, और उनके सपोर्ट के बिना तो आप कुछ कर ही नहीं सकते हैं मेरे एसाफसे. तो हम तीन शब्द कहेंगे, टिउशन टीचर, सेल्फ स्ट्रेडि और इंटरनेट, इन तीनों की क्या-क्या भुमिकार रही हैं आपकी पूरी आत्रा में? तीनों शब्द मेरे एसाफसे, एसा-सी-ए-स्टुडन्ट, तीनों बहुत जाधा ज़रूरी हैं. टिउशन टीचर जो हमारे रहते हैं, उनके एक्स्पीरियन्स के साथ जब वो पढ़ाते हैं, तो उनके एक्स्पीरियन्स से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं, उन्हें पता होता है कि पेपर कैसे आने वाले हैं, कैसे पेपर सेट होगे हैं, तो उनके एक्स्पीरियन्स और इतने साल के लर्णिंग जो कन्सेप्ट्शल बताते हैं और प्रैक्टिकल नॉलेज्ज भी देते हैं उस साथ में, तो वो भी बहुत इंपॉर्टिन होता है, सेल्स चड़ी पर इंपॉर्टिन है ही सही क्योंकि टीचर आपको कन्सेप्ट बता देगा, बट आपको उसे अपलाइ करना तभी आएगा जब आप खुद प्रैक्टिस करेंगे, विदाउट प्रैक्टिस आप सक्सीड नहीं हो सकते हैं, और इंटरनेट, इंटरनेट बहुत ज़ादा इउसफुल थीज़ है, क्योंकि कोई सा भी कन्सेप्ट समझ में नहीं आता था, तो यूटूब जो एक प्रैड़फॉर्म है, वो बहुत ज़ादा हेल्फ़ूल हो जाता है, क्योंकि इतनी सारी क्लासेस और इतने सारे टीच की फाइनल के रिजल्ड पर जब वो दो जादुई अकशर, CA लिखे हुए देखे, तो कैसा लगा? और इस करियर को आप किस तरह से देखती हैं? क्या लाब है एक CA होने के? CA result day मेरी लाइफ का सबसे important जन था, best moment था, जब मेरा result आया और मैंने पास देखा, result पर लिखा हुआ, तो मेरी ज़िन्देके का सबसे खुबसूरत पल था वो, क्योंकि पास साल जिस चीज के लिए मैंने महनत करी थी, वो चीज रंग लाई थी, वो महनत रंग लाई थी, और मेरे नाम के आगे दो अक्शा जोड़ गए थे, CA सुहाणी दानगर्श, मेरे परिवार वालों के लिए, मेरे भाईया के लिए, वो moment सबसे best moment था, और CA होने के बहुत सारे फाइड़े हैं, आपको जितना respect के साथ इस society में देखा जाता है as a CA, बहुत ही चुनिदा profession होते हैं, जिन में आपको इतनी respect मिलती है, तीन महिने हुआ हैं मुझे CA बने हुए, but society ने मुझे जितना सम्मान दिया है, मेरे परिवार वालों को जितन के लिए, आप और आपके ब्रदर हैं, वो कई सारी अच्छी अच्छी चीज़े कर रहे हैं, तो क्या है पूरी कहानी इसके बारे में बताइए? हमारी ममी का पिकल्स का बिजनस है, ममी ने जब हमारे financial conditions अच्छी नहीं थी 20 साल पहले की बात बता रही हूं मैं, तब ममी ने पापा को support करने के लिए अच्छार का बिजनस शुरू किया था, जब ममी ने small scale पर शुरू करा था, तो मेरा ब्रदर है और मैं है, तो हम चाहत है कि वह अपने अच्छा का बिजनस का बिजनस चाहता है, तो ये बिजनस को हम आगे बढ़ाना चाहते हैं एक सवाल ये भी मन में आता है कि competitive exams के जो अभ्यारती होते हैं, उनसे एक शिकायत हमेशा रहती है कि वो अपनी हॉबीज और मौझ मस्ती के लिए समय नहीं निकाल पाते है, ये कितना सच है ये बात, और आप क्या कहना चाहेंगी इस बात पर? जी, ये बात तो सच है कि समय नहीं मिल पाता है, लेकिन अगर अभ्यारती चाहें, तो उस चीज को भी manage कर सकते हैं जैसे कि मैं अपना case बताती हूँ, मुझे गाने सुनना बहुत पसंद है, as a hobby मैं गाने सुनती हूँ, जब मैं CA final की preparation कर रही थी, जब मैं CA final की preparation कर रही थी, तो मैं अपने आपको target देती थी, कि इतना पढ़ने पर मुझे गाने सुनने को मिलेंगे, और वो as a motivation मैंने use करा होबी जो है, उनसे हमें खुशी मिलती है करने से, तो आप भी उसी तरह से manage कर सकते हैं, कि अपने आपको target देती है, कि पढ़ाई करेंगे, और उसके बाद अपनी होबी के लिए छोड़ा सा समय निकालेंगे, पाँच से दस मेंट, अंतमें हमारे उन युवा साथ्यों के साथ हो, आप पूरी शिद्धत से उस चीज़ को करिए, 100% focus के साथ करिए, क्योंकि अगर आप किसी चीज़ के त्यारी कर रहे हैं, तो आपका यही फोकस होना चाहिए, कि आपको पास होना ही हैं, किसी भी तरीके से, और जो भी कर रहे हैं, तो देखा दोस्तो, अगर 21 साल की सुहाणी, अपने अदम्य साहस और परिश्रम से अपनी तक्दीर लिख सकती है, अपने माता-पिता का नाम रोशन कर सकती है, तो आप भी कर सकते हैं, तो निकल पढ़िये, अपनी धुन में मस्त होकर, और लिखिये अपनी सफलता की कहा करते हैं, अपने अदम्य साहस और परिश्रम से अपनी तक्दीर लिख सकती है, तो देखा दोस्तो, अगर 21 साल की सुहाणी, अपने माता-पिता का नाम रोशन कर सकती है, तो देखा दोस्तो, अपने माता-पिता का नाम रोशन कर सकती है, तो देखा दोस्तो, अ� तू मेरी अधूरी प्यास-प्यास, तू आ गई मन को रास-रास, अब तो तू आ जा पास-पास, है गो जारिश, है हाल तो दिल का संग-संग, तू रंग जा मेरे रंग-रंग, बस चल ना मेरे संग-संग, है गो जारिश, कह दे तू हाँ तो जिन्दगी, छलनों से छूट के हसेगी, बोती होंगे, बोती राहों में, यही तू मेरी अधूरी प्यास-प्यास, तू आ गई मन को रास-रास, अब तो तू आ जा पास-पास, है गो जारिश, शीशे के खाब लेके रातों में चल रहा हूं, टकरा ना जाओ, आशा की लौ है रोशन, फिर भी तू पाका जर है, लौ बुछ ना जाए कहीं, बस एक हाँ की कुछ जारिश, फिर होगे खुशियों की बारिश, तू मेरी अधूरी प्यास-प्यास, तू आ गई मन को रास-रास, अब तो तू आ जा पास-पास, है गो जारिश, प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प्यास-प् तलहाई दस रही है और धर करू बह रही है एक पल भी चैना हाँ कैसी अजब दासता है बेचैनिया बस यहाँ है तू मेरी अधूरी प्यास-प्यास तू आ गई मन को रास-रास अब तो तू आ जा पास-पास है कुछारी है हाल तो दिल का संग-संग तू रंग जा मेरे रंग-रंग बस चल ना मेरे संग-संग है कुछारी है हाल तो दिल का संग-संग तू रंग-रंग बस चल ना मेरे संग-संग तू रंग-रंग बस चल ना मेरे संग-संग तू रंग-रंग बस चल ना मेरे संग-संग तू रंग-रंग बस चल ना मेरे संग-संग तू रंग-रंग बस चल ना मेरे संग-संग तू रं है कुछारी है हाल तू रंग-रंग बस चल ना मेरे संग-संग तू रंग-रंग बस चल ना मेरे संग-संग तू रंग-रंग बस चल ना मेरे संग-संग तू रंग-रंग बस चल ना मेरे संग-संग तू रंग-रंग बस चल ना मेरे संग-संग तू रंग-रंग बस चल ना मे को अपने जीवन में उठारने की। ऐसी ही एक कहानी आज एतिहास के पन्नों से हम आप के लिए लेकर आए हैं। ये कहानी है भारती सुतंदता अंधोलन के सबसे शातिर और बहादूर क्रांतिकारियों में से एक नेताजी सुभास चंदर बोस और उनकी आजाध हिंद फोज की। नेताजी ऐसी शक्सियत नहीं है कि उनके जीवन का बखान कुछ शब्दों में किया जा सके। अपने जीवन में उन्होंने सब कुछ सीखा पर रुकना नहीं सीखा। उन्होंने आजाधी के पहले ही सिंगापूर में एक अस्थाई सरकार बनाई जिसे दस से जादा देशों से मान्यता दी थी। आजाध हिंद फोज के सरवच सेनापती सुभास चंदर बोस का योगदान इतिहास के पन्नों में आज फी तरच है। आजाध हिंद फोज का गठन राजा महेंद प्रताप सिंग, राज भीहारी बोस एवं निरंजन सिंग किल ने 29 उक्टोवर 1915 को किया। जिसे उस वक्त आजाध हिंद सरकार की सेना कहा गया। इसे आजाध हिंद फोज का नाम तम मिला जब नेताधी सुभास चंदर बोस क में सक्षम थी। शुरू में इसे अंग्रेजों ने बहुत कम्बीरता से नहीं लिया लेकिन नेताधी के कमान सम्हालनी के बाद अंग्रेज सक्रिय हो गए। आपको बता दीं कि आजाध हिंद फोज में करीद 85,000 सैनिक शामिल थी। नेताधी ने आजाध हिंद फोज में महिलाओं को भी बराबर का मौका दिया था। फोज में रानी जहांसी रेजिमेंड नामक एक महिला यूनिट भी थी जिसकी कैप्टन लक्षमी स्वामिनाथन थी। इस महिला रेजिमेंड में बहुत सी लड़कियों को ट्रेनिंग दी गई थी। आज भी नीरा आर्या और सरसुती राजमनी जैसी जासूसों का नाम सबसे पहले लिया जाता है। दोनों ही बृतिश्ट पुलिस के साथ लड़कों के वेश में काफी वक्तर काम करती रहीं। यहां से वे ज़रूरी जानकारिया निकाल कर नेता जी तक पहुंचाती थी। इसके बाद फोज को रास्ते के बेहत खतरनाक जंगलों में ढिरा डालना पड़ा। हफ्तों तक भूके प्यासे घायल और बीमार रहने के बाद सिपाहियों का साहस तूपने गया। कुछ ने दम तोड़ा, कुछ घायलों की देखरेक के लिए वही रुके, तो कुछ आगे बढ़ें। लेकिन अफसोस भी भारत की सरहत पार नहीं कर पाए। लेकिन अंग्रेजों की ये चाल उल्टी ही पढ़ गई। भारतियों के मन में आजाद हिंद फोज के जाबाद सिपाहियों के लिए हमदर दी और सहानु भूती जागी और ये छोटी-छोटी चिंगारियां जंगल के आग में तबदील होगी। आजाद हिंद फोज के बलीदान के चलते ही नौ सेना के 20,000 सिपाहियों ने अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ विद्रो किया जिसने बंबई, कलकता और कराची में अंग्रेजों को संकत में डाल दिया। ऐसे ही एक विरोत जबलपूर कंटैन्मेंट में भारतिय सैनिकों ने किया और फिर क्या था देश भर में आंदुलन और विद्रो की छड़ी सी लग गयी थी। जिस लाल किले पर आजाद हिंद फोज के सैनिकों को मौत की सजा मिली थी, उसी लाल किले पर कुछ महिनों बाद भारत का तिरंगा शान से फैराया। यह लडा के अपनी सैने ताकत से दिल्ली फतह तो नहीं कर पाए, लेकिन अपने बलीदान से लाखों भारतियों के मन मे कंधों से मिलते हैं, कंधे कदमों से कदम मिलते हैं, अम चलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें साथी हैं पर इतना ही कहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें साथी हैं पर इतना ही कहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें साथी हैं पर इतना ही कहना, अब तो हमें आगे ब� रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब तो हमें आगे बढ़ते हैं रहना, अब � जीत के गीत गाते चलो, जोश दिल में जगाते चलो, जीत के गीत गाते चलो, जीत की जो तच्पीर बनाने हम निकले हैं अपनी लहू से, हमको उस में रंग भरना है, शादी मैंने अपने दिल ने अब ये ठालिया है, या तो अब करना है, या तो अब मरना है, जाहें अंगारे बरसे के विजली गिरे, तू अकेला नहीं होगा यारा मेरे, कोई मुश्किल हो या हो कोई मोरचा, साथ हर मोड पर होंगे साथी तेरे, अब जो भी हो शोला बंगे पत्थर है पिगलाना, अब जो भी हो बादल बंगे परबत पर है चाना, कणों से हिलते हैं, करदे कदमों से कदम मिलते हैं, अम चलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं, करदे कदमों से कदम मिलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं, करदे कदमों से कदम मिलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं, करदे कदमों से कदम मिलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं, करदे कदमों से कदम मिलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं, कुछ सपनी ऐसे हैं जो साथ साथ चलते हैं, कोई सपना ना तूटे, कोई वादे ना तूटे, तुम चाहो जिसे दिल से वो तुम से ना रूटे, अब जो भी हो शोरा बनके परतर है पिगलाना, अब जो भी हो बादल बनके परतर पर है चाना, गंदों से मिलते हैं, गंदे गंदों से गदम विलते हैं, हम चलते हैं जबरे से तो बिल, विश्मन के हिलते हैं, चलता है जो ये चार्मा, कुछ इसी है ये वादे ना तूटे, भाई इरम, मुझे तो इतिहास पढ़ने में बहुत रुची हैं, उमीद है कि हमारे दोस्तों को भी होगी, लेकिन पढ़ते वक्त मसला ये है कि ये कमवक्त तारीकों को कैसे याद रखा जाए? ये तो सभी कहा प्रतिश तुमने, इसलिए तो मैं इन चक्करों में पढ़ती ही नहीं हूँ, पर इस बात को नकार भी नहीं सकते कि इतिहास की तारीके याद ना रख पाने की वज़े से, मैंने स्कूल में बहुत सारे अंख भी गवाए हैं। अच्छा ये बताओ कि तुम्हें तारीके याद रखने में दिक्कत क्या आती है? सबसे बड़ी दिक्कत थी, ईसा, पूर्व, ईसवी, बीसी और एडी को याद रखने की. मैं आज तक नहीं समझ पाई कि आखिर ये किस बला का नाम है? तुम्हें बता, यही बात मेरे दोस्तों से भी मुझे सुनने को मिली. चलो, आज तुम्हारी और उन सभी दोस्तों की इस परिशानी को हल किये दिया करते हैं। अरे बाव, तो शुरू करो फिर। देखो, पुरे विश्व में समय की गड़ना ग्रिगोरियन केलेंडर के हिसाब से की जाती है, जिसके अनुसार केंद्र बिंदू है जीज़स क्राइस्ट या ईसा मसी के जन्म का दिन। इतना तो मुझे पता है प्रतमेश, लेकिन ये बीसी एडी है क्या? बताता हूँ, बताता हूँ. देखो, बीसी यानि बिफोर क्राइस्ट, और एडी यानि आफटर क्राइस्ट. हिंदी में समझें तो ईसा के जन्म से पूर्व के घटनाओं के आगे ईसा पूर्व, और ईसा के जन्म के बाद के घटनाओं के आगे ईस वी लगाया जाता है. तो उसे बीसी के अनुरूप मानें, और सी इ पढ़ें तो उसे एडी के अनुरूप. देखा, आसान था न? बरकुल, प्रत्मेश, तुम मुझे पहले मिले होते न, तो शायद मुझे इतिहास में कोछ अंख जादा आजा से. बहुत शुक्रिया, तो चलिए इसी के साथ सुनते हैं हमारा अगला गीद, उसके पहले एक स्पॉंसर मेसेज. जो देगा आपको दो फाइरे, इंशौरंस भी और इंडर्स्मेंट भी. अरत्वल आपके साथ, जो किंगरट को नियम और शर्टों की अधि जानकारी लिये विक्री फमाबल से बहले के ब्याविकर कुछ दिखा को ध्यान पूरवक पढ़ें. लाइसी का न्यू जीवन शांती प्लान, जिसमें वन टैंट प्रीमियम पे करो और लाइस्ट सैंग गैरंटीट आन्यूटी मिलेगी. लाइसी, जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी. मुसीबते और जरूरते कभी बता के नहीं आती. एसे में मनपुरम फ़िनांस के साथ लीजिए एक स्मार्ट डिसीजिन ताकि आप मुश्किलों का सामना कर सकें. आपके हर financial emergency में आपके साथ मनपुरम फ़िनांस, जो लाए है easy gold scheme, जिसमें जितने दुनों का होगा loan, उतना ही होगा interest. अधिक जानकारी के लिए आज ही विजिद करें. नजदी की मनपुरम फ़िनांस शाखा में या toll free नंबर 1800 420 2233 पर call करें. नजदी की मनपुरम फ़िनांस शाखा में या toll free नंबर 1800 420 2233 पर call करें. नजदी की मनपुरम फ़िनांस शाखा में या toll free नंबर 1800 420 2233 पर call करें. नजदी की मनपुरम फ़िनांस शाखा में या toll free नंबर 1800 420 2233 पर call करें. नजदी की मनपुरम फ़िनांस शाखा में या toll free नंबर 1800 420 2233 पर call करें. नजदी की मनपुरम फ़िनांस शाखा में या toll free नंबर 1800 420 2233 पर call करें. नजदी की मनपुरम फ़िनांस शाखा में या toll free नंबर 1800 420 2233 पर call 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